राजस्थान में बेमौसम बारिश से फसल खराबे पर शुरू हुई सियासत, होने लगे नेताओं के दौरे
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राजस्थान में बेमौसम बारिश से फसल खराबे पर शुरू हुई सियासत, होने लगे नेताओं के दौरे

प्रदेश के बड़े हिस्से में फसल खराबा हुआ है. फसल खराबा होते ही नेताओं के दौरे भी शुरू हो गए हैं. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने हाड़ौती में फसल खराबे का जायजा लिया तो पूर्व मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे ने भी एक बार फिर किसानों की सुध ली है. 

राजस्थान में बेमौसम बारिश से फसल खराबे पर शुरू हुई सियासत, होने लगे नेताओं के दौरे

Jaipur: यूं तो आसमान से बरसा पानी किसान और उसकी फसल के लिए अमृत के समान होता है लेकिन अगर यह बारिश फसल पकी होने के वक्त हो तो यह किसान के लिए सबसे बड़ी आफत से किसी सूरत में कम नहीं होती. पिछले चार दिन में बरसे पानी ने भी प्रदेश के किसानों के लिए आसमानी आफत का काम किया है. 

हालात यह हैं कि तकरीबन 26 ज़िलों में हुई बारिश ने किसानों की फसल का खराबा कर दिया है. कई जगह तो हालात पूरी फसल तबाह हो गई है. किसान राजनेताओं का भी पसंदीदा मुद्दा होता है लिहाजा फसल खराबे की आहट के साथ ही नेताओं के दौरे भी शुरू हो गए हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही कि आखिर किसान को राहत कौन देगा? कैसे देगा? क्या नेताओं के दौरे किसान को राहत देंगे? या फिर फसल बीमा कम्पनियों को इसके लिए आगे आना होगा? सवाल यह भी कि कृषि विभाग के अधिकारियों की सक्रियता के बाद अब किसान तक जल्दी राहत पहुंचाने का ज़िम्मा किस पर होगा?

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मॉनसून में आसमान से बरसता पानी सरकार और किसान दोनों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहा था. किसान अपनी अच्छी फसल की उम्मीद से खुश था तो सरकार पीने के पानी की समस्या नहीं होने की बात सोचकर मुस्कुरा रही थी लेकिन जाते मॉनसून में आसमान से बरसा पानी किसानों की उम्मीद पर कहर बनकर टूट पड़ा है. प्रदेश के बड़े हिस्से में फसल खराबा हुआ है. फसल खराबा होते ही नेताओं के दौरे भी शुरू हो गए हैं. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने हाड़ौती में फसल खराबे का जायजा लिया तो पूर्व मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे ने भी एक बार फिर किसानों की सुध ली है. राजे ने तो झालावाड़ में ज़िला कलक्टर और अधिकारियों के साथ बैठक करके किसानों के फसल खराबे के हाल जाने तो जल्द ही उन्हें राहत पहुंचाने को भी कहा.

क्या बोले प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया 
उधर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि फसल खराबे का जायजा लेने के लिए सरकार ने भी गिरदावरी के आदेश दिए हैं लेकिन सरकारी आदेश भी उस सरकार जैसे ही हैं, जो दिख नहीं रही. पूनिया बोले कि वे हाड़ौती में किसानों के बीच जाकर आए लेकिन उन्हें सरकार के अधिकारी कहीं नहीं दिखे.

सचिन पायलट ने भी टोंक में किसानों की सुध ली
उधर पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी टोंक में किसानों की सुध ली. पायलट ने कहा कि जल्द ही सरकार किसानों के फसल खराबे का जायजा करवाकर उन्हें राहत देगी.

क्या बोले कृषि आयुक्त कानाराम 
उधर नेताओं की मलहम, विपक्ष के आरोप और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की तसल्ली के बीच कृषि विभाग की टीम ने भी प्रभावित इलाकों का दौरा किया है. कृषि आयुक्त कानाराम और प्रमुख शासन सचिव आनन्द कुमार ने विभाग के अधिकारियों के साथ हालात का जायजा लिया. कानाराम कहते हैं कि कोटा, भरतपुर, उदयपुर, जयपुर और अजमेर संभाग में फसल खराबा हुआ है. हालांकि गिरदावरी रिपोर्ट तो राजस्व विभाग से आनी है, लेकिन कृषि आयुक्त कहते हैं कि उनकी कोशिश होगी कि पीएम फसल बीमा योजना के दायरे में आने वाले किसानों को अगले 20 से 25 दिन में मुआवजा दिलवा दिया जाए. कानाराम बताते हैं कि कई जगह पकी हुई फसल का नुकसान हुआ है तो कहीं पर कटाई के बाद खेत में रखी फसल भी बर्बाद हुई है. इसके साथ ही कुछ जगहों पर भरतपुर में रबी की अगेती की सरसों की बुवाई की फसल भी खराब हुई है.

किस-किस फसल में हुआ नुकसान?
कोटा, भरतपुर, जयपुर, अजमेर, उदयपुर संभाग में हुआ फसल खराबा.
कोटा में सोयाबीन, धान और उड़द में खराबा.
जयपुर में बाजरा, मूंगफली और ज्वार में खराबा.
उदयपुर में मक्का, धान और सोयाबीन में खराबा.
अजमेर में बाजरा और मूंगफली में खराबा.
भरतपुर में खेत में पानी भरने से सरसों की अगेती बुवाई में खराबा.

किसानों को कैसे मिलेगा मुआवजा?
फसल बीमा कराने वाले किसानों को बीमा के दायरे में मिलेगा मुआवजा.
बीमा नहीं कराने वाले किसानों को एसडीआरएफ के तहत मिलेगी राहत.
इसमें सरकार आदान-अनुदान देती है. केसीसी और को-ऑपरेटिव से लोन लेने वाले किसानों की फसल का बीमा होता है. इसके अलावा लोन नहीं लेने वाले किसान भी प्रीमियम का आंशिक भुगतान करके बीमा करा सकते हैं. बीमा के बाद खड़ी फसल के साथ ही कटी हुई फसल भी बीमा के दायरे में. फसल कटाई के 14 दिन बाद तक फसल खराबा होने पर पोस्ट हार्वेस्ट लोसेस में कवर होती है. बीमा क्लेम करने के लिए किसान को 72 घण्टे में सूचना देनी होती है.

ऑनलाइऩ या ऑफलाइन सूचना दे सकता है किसान.
इसके बाद बीमा कम्पनी और कृषि सुपरवाइज़र संयुक्त सर्वे करते हैं. उसके बाद नुकसान का आकलन करके रिपोर्ट दी जाती है. फिर सरकार बीमा का प्रीमियम जमा कराती है. इसमें किसान के अंशदान के लिए अलावा शेष प्रीमियम में केन्द्र और राज्य की आधी-आधी हिस्सेदारी होती है.

अभी तक कितने किसानों ने दी खराबे की सूचना?
अभी तक कृषि विभाग को 70 हज़ार किसानों से सूचना मिली है. खराबे वाले सभी ज़िलों में त्वरित सर्वे के निर्देश दिए हैं. ज्यादा बारिश वाले ज़िलों में नोडल अधिकारी नियुक्त किये हैं. जो सर्वे की कार्यवाही की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जल्दी सर्वे पूरा हो जाए और क्लेम का आंकलन करके राहत दी जाए. कृषि आयुक्त कानाराम ने फसल खराबे से प्रभावित इलाकों का दौरा किया. कृषि विभाग के प्रमुख शाासन सचिव के साथ दौरा करके आए हैं. टोंक, बूंदी, कोटा का दौरा करके आए हैं. कुल 72 लाख किसानों ने खरीफ में फसल बीमा कराया. प्रदेश में सवाल दो करोड़ खसरों का फसल बीमा हुआ है. 162 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हुई है. इसमें से 66 लाख हैक्टेयर एरिया की उपज बीमित है. कुल बुवाई वाले क्षेत्र का 40 फीसदी हिस्सा बीमित है.

किसान पर आसमान से बरसी आफत
जाते मानसून ने किसान पर आसमान से आफत बरसाई है, लेकिन इस आफत से निपटने के लिए किसानों को भी सजग होना होगा. किसान को फसल खराबे की सूचना समय पर देनी होगी तो साथ ही सर्वे के लिए विभाग की टीम के दौरे के वक्त भी सतर्क रहना होगा. कृषि आयुक्त कानाराम कहते हैं कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले 20 से 25 दिन में किसानों के जख्मों पर मुआवजे की राहत दे दी जाएगी.

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