Rajasthan News: राजधानी जयपुर में गर्मी से राहत, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम की फूल गई 'सांस',बारिश में फिर डूबेंगे निगम के दावे
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Rajasthan News: राजधानी जयपुर में गर्मी से राहत, लेकिन ड्रेनेज सिस्टम की फूल गई 'सांस',बारिश में फिर डूबेंगे निगम के दावे

Rajasthan News: प्री मानसून की बारिश की खुशियों के बीच सरकारी सिस्टम की लापरवाही से आमजन की परेशानी भी बढ़ गई हैं. हर बार की तरफ नगर निगम ग्रेटर और निगम हैरिटेज प्रशासन के इंतजाम पहली बारिश में डूब गए. 

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Rajasthan News: प्री मानसून की बारिश से जयपुर शहर का ड्रेनेज सिस्टम हाफ गया. कुछ देर की बारिश में निगम प्रशासन के दावे-वादे ओवरफ्लो होकर बह गए. राजधानी जयपुर में नगर निगम ग्रेटर और हैरिटेज प्रशासन की ओर से मानसून से पूर्व नालों की सफाई पूरी करने के दावों की हकीकत प्री मानसून की बारिश ने खोल कर रख दी. शहर में पहली मामूली बारिश में जिम्मेदारों के इंतजाम डूबते हुए नजर आए.

प्री मानसून की बारिश की खुशियों के बीच सरकारी सिस्टम की लापरवाही से आमजन की परेशानी भी बढ़ गई हैं. हर बार की तरफ नगर निगम ग्रेटर और निगम हैरिटेज प्रशासन के इंतजाम पहली बारिश में डूब गए. शहर में जैसे ही कुछ देर बारिश हुई अजमेर रोड, विद्याधर नगर, मानसरोवर मेट्रो स्टेशन के पास की मुख्य सड़कें जलमग्न हो गईं. वाहन के पहिए आधे से ज्यादा पानी में डूबे नजर आए, वहीं कई वाहन तो सड़क पर भरे पानी में ही बंद हो गए. लोग वाहनों को धकाकर किनारे पर ले जाते नजर आए.

तीन माह से निगम ग्रेटर और हैरिटेज के मेयर से लेकर आयुक्त ढोल बजा रहे थे कि अब जलभराव नहीं होगा. लोगों का कहना हैं बारिश होने से काफी दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी से राहत तो मिली हैं लेकिन जिस बारिश से लोगों को गर्मी से निजात दिलाई वहीं बदइंतजामी का दंश भी शहरवासियों को झेलना पड़ा. लोगों का कहना हैं कि एक इंच पानी बरसा कि शहर की सड़कें व निचले इलाके लबालब हो जाते हैं कमर तक पानी, पानी-पानी हुई गृहस्थी के साथ जलभराव से कारण घर छोड़ने तक की नौबत आ जाती हैं.

हर साल नगर निगम जलभराव के निपटने की कवायद करता आ रहा है, लेकिन समस्या जस की तस है. वहीं कागजों में इंतजाम इतने बेहतर हैं कि कहीं पानी भर ही नहीं सकता. निगम के अफसरों का कहना हैं की मानसून सीजन से पूर्व प्रतिदिन नालों की सफाई और मरम्मत करवाई जा रही है. जिसके लिए पूरी मशीनरी के साथ कार्य किया जा रहा है. निगम के अनुसार पूरे शहर में करीब जेसीबी, डंपर, ट्रैक्टर के साथ ही मैन पावर भी लगाई. नालों की सफाई में इस्तेमाल होने वाले अतिरिक्त संसाधनों पर लाखों रूपए खर्च किए गए है. आयुक्त अभिषेक सुराणा का कहना हैं की तैयारी पूरी कर ली गई हैं. संसाधनों की जो कमी हैं उसे पूरा कर लिया जाएगा. निगम की खराब नाव को सुधरवाया जा रहा हैं.

उधर नगर निगम ग्रेटर और नगर निगम हैरिटेज प्रशासन ने प्री-मानसून की बारिश के साथ ही शहर में 6 जगहों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष शुरू कर दिए गए हैं. जलभराव को लेकर शिकायतें भी आना शुरू हो चुकी हैं. हालांकि इन केन्द्रों पर पर्याप्त संसाधन नहीं है. कुछ जगह मिट्टी के कट्टों को पहुंचाने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली नहीं है. तो कुछ जगह जेसीबी नहीं है. मिट्टी के कट्टे भी गिने-चुने ही है.

शहर के सभी छह बाढ़ नियंत्रण केन्द्रों पर 1.20 लाख मिट्टी के कट्टों का स्टॉक हमेशा रहना जरूरी है,लेकिन निगम अफसरों की अनदेखी के चलते अभी तक इन केन्द्रों पर 20 हजार मिट्टी के कट्टे भी नहीं है. जबकि 20 हजार मिट्टी के कट्टे तो एक ही केन्द्र पर भरे होना जरूरी है.आमेर बाढ़ नियंत्रण कक्ष पर नाव तो रखी हैं लेकिन वो खराब हो चुकी हैं. जयपुर ग्रेटर नगर निगम और हैरिटेज नगर निगम ने तीन-तीन बाढ़ नियंत्रण केन्द्र बनाए हैं. ग्रेटर निगम ने विश्वकर्मा, मालवीय नगर व मानसरोवर फायर स्टेशनों पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष शुरू किया है, वहीं हैरिटेज निगम ने आमेर और घाटगेट फायर स्टेशन के अलावा सिविल लाइंस जोन कावंटिया सर्किल पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष बनाया है..ये बाढ़ नियंत्रण कक्ष 24 घंटे कार्यरत रहेंगे.

जोन उपायुक्त को ये निर्देश

5 सेमी से अधिक बारिश होने पर जोन उपायुक्त बाढ़ नियंत्रण कक्ष के सपर्क में रहेंगे.

बारिश के दौरान आम रास्ते, नाले, नालियों में किसी भी प्रकार की गंदगी या अवरोधक नहीं हो.पानी निकासी सुगमता से हो सके.

तेज बारिश के दौरान जल भराव के क्षेत्र चिन्हित कर वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की चेतावनी जारी करना. साथ ही उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की जिमेदारी.

पुलियाओं के नीचे पानी भराव होने पर उसकी निकासी की व्यवस्था करना.

वैकल्पिक व्यवस्था के लिए निचले इलाकों के लोगों के लिए सार्वजनिक स्थान, कॉलेज, स्कूल, धर्मशाला आदि में व्यवस्था करना.

बाढ़ और तेज बहाव से सड़क पर कटाव होने, मिट्टी जमा होने या गड्ढ़े होने पर तत्काल मरमत व सफाई करवाना.

बहरहाल, आसमान से बरसी आफत बारिश में ये लाइन अक्सर सुनने मिल जाती है या कहीं लिखी हुई दिख जाती है. राजस्थान के लिए तो एक एक बूंद, कुदरत की नवाज़िश है.आसमान से रहमत बरसती है, सिस्टम की खामी आफत में बदलती है. आसमान से आफ़त तो तब है जब बारिश न हो.सड़कों पर काफी दिनों तक जलभराव से सड़कें खराब हो जाती हैं और इसका असर राजकोष पर पड़ता है. यदि सरकार राजधानी को जलभराव से मुक्त रखना चाहती है तो उसे संबंधित विभागों की जवाबदेही तय करनी होगी. साथ ही इसके स्थायी हल के लिए ठोस कार्ययोजना पर काम करना होगा.यदि ऐसा नहीं किया गया तो जलभराव से राजधानी को मुक्त नहीं किया जा सकता है.

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