Dress Code on jaipur Temple: पिछले कुछ समय से भारत के सभी बड़े मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.इस बारें में क्वींस रोड स्थित झारखंड महादेव मंदिर प्रबंधन ने गेट पर नोटिस भी चस्पा कर दिया है.
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Dress Code on jaipur Temple: पिछले कुछ समय से भारत के सभी बड़े मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहनकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसी कड़ी में राजस्थान के मंदिरों (jaipur Temple) ने भी पहल शुरू कर दी. जिसमें संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए जयपुर के विभिन्न मंदिर प्रबंधन में श्रद्धालुओं के लिए पोशाक(Dress Code) तय कर दी है. इसके तहत भक्तों से शालीन कपड़े पहनने, मिनी स्कर्ट, व कटी फटी जींस आदि पहनकर मंदिर न आने का आग्रह किया गया है.
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बता दें कि इस बारें में क्वींस रोड स्थित झारखंड महादेव मंदिर प्रबंधन ने गेट पर नोटिस भी चस्पा कर दिया गया है. इस नोटिस में श्रद्धालुओं से शालीन कपड़े(Dress Code) पहनने और मंदिर में प्रवेश करने के दौरान परंपरा अनुरूप कपड़े पहनने का आग्रह किया है. जैसे हाफ पैंट, बरमूडा शॉर्ट्स, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी- फटी जींस और कैपरी पैंट पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं दूसरी तरफ मंदिर की तरफ से दर्शनार्थियों के लिए लागू ड्रेस कोड की गाइडलाइन को लेकर कांग्रेस नेत्री अर्चना शर्मा ने समझाइश की पैरवी की है. उन्होंने कहा कि मंदिर प्रशासन की तरफ से आया आदेश उनकी जानकारी में नहीं आया है. केवल इस बारे में उन्होंने कुछ जगह सुना है. अर्चना शर्मा ने कहा कि इस मामले में समझाइश के जरिए बात की जानी चाहिए। अर्चना शर्मा ने कहा कि कोई ड्रेस कोड लगाने की बजाय समझाइश बेहतर तरीका और विकल्प हो सकता है.
इस बारें में मेमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष जयप्रकाश सोमानी ने बताया कि यह केवल भक्तों से आग्रह है. मंदिर में आने वाले सभी भक्तों से अनुशासन बनाए रखने का अनुरोध किया गया है. मंदिर के मुख्य द्वार पर स्वयंसेवक इसकी विशेष तौर पर निगरानी रखेंगे.
कांग्रेस नेत्री ने की समझाइश की पैरवी
वहीं दूसरी तरफ मंदिर की तरफ से दर्शनार्थियों के लिए लागू ड्रेस कोड की गाइडलाइन को लेकर कांग्रेस नेत्री अर्चना शर्मा ने समझाइश की पैरवी की है. उन्होंने कहा कि मंदिर प्रशासन की तरफ से आया आदेश उनकी जानकारी में नहीं आया है. केवल इस बारे में उन्होंने कुछ जगह सुना है. अर्चना शर्मा ने कहा कि इस मामले में समझाइश के जरिए बात की जानी चाहिए। अर्चना शर्मा ने कहा कि कोई ड्रेस कोड लगाने की बजाय समझाइश बेहतर तरीका और विकल्प हो सकता है.
जयपुर से सचिन शर्मा और शशि मोहन की रिपोर्ट
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