Rajasthan: अजमेर में होटल कर्मियों के साथ हुई मारपीट के मामले में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौर ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है, अजमेर हाईवे पर 11 जून को ही घटना के बाद ऐसा लग रहा है कि ब्यूरोक्रेसी और पुलिस संविधान की आईपीसी के स्थान पर अब गहलोत पेनल कोड पर अमल कर रहे हैं.
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Rajasthan: नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने आईएएस और आईपीएस अधिकारी के होटल कर्मियों से मारपीट के मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. राठौड़ ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. साथ ही तंज कसते हुए कहा कि अधिकारी भारतीय दंड संहिता की जगह ललित गहलोत पेनल कोड अर्थात जीपीसी पालना कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में कहा कि ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में शासन व्यवस्था समाप्त हो गई और अब पोपा बाई का राज कायम है. अजमेर हाईवे पर 11 जून को ही घटना के बाद ऐसा लग रहा है कि ब्यूरोक्रेसी और पुलिस संविधान की आईपीसी के स्थान पर अब गहलोत पेनल कोड पर अमल कर रहे हैं.
राठौड़ ने कहा कि अजमेर में 11 जून की रात एक भारतीय प्रशासनिक सेवा और एक भारतीय पुलिस सेवा के अफसर ने अपने मातहतों के साथ होटल मकराना राज के कार्मिकों से न केवल मारपीट की बल्कि अपराध पर पर्दा डालने की भरपूर कोशिश की गई. संगठित गिरोह की तरह हमला करने की घटना अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के आचरण पर सवाल खड़ा करती है.
पुलिस और प्रशासनिक ढांचे में शामिल लोगों के खुद को कानून से ऊपर समझने की प्रवृत्ति की ओर इशारा करती है.पुलिस प्रशासन अपराधी के बीच होने के अपराधों में वृद्धि हो रही है दुर्भाग्यपूर्ण इस घटना में पारित हुए अपराध होटल में लगे कैमरों में स्पष्ट हुए.
आईपीएस सुशील और आईएएस गिरधारी के निर्देश पर रुपाराम एएसआई कांस्टेबल गौतम और मुकेश यादव मुकेश जाट हनुमान प्रसाद कनिष्ठ सहायक नरेंद्र दहिया पटवारी की करतूत तमाम सबूतों तथा वीडियो फुटेज रिकॉर्डिंग उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया. यह सरकार की मिलीभगत तथा बदहाल कानून ववस्था को दर्शाती है.
राठौड़ ने कहा कि पुलिस की गेट जिम्मेदारी की हद तो तब हो गई जब अपराधी आईपीएस सुशील कुमार सोमवार दोपहर DGP से मिलते हैं अपराध कार्य करने की घटना सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में प्रकाशित होने के बावजूद पुलिस महानिदेशक राजस्थान से कुछ नहीं पूछते और अपराधी अधिकारी अहंकारी अंदाज में अपने पदस्थापन स्थान पर चले जाते हैं इस संबंध में मुख्य सचिव द्वारा भी इसी के माध्यम से घटना को शर्मनाक बताते हुए अधिकारियों को लताड़ लगाकर मात्र औपचारिकता पूर्ण करती हैं,
अपराधी अधिकारियों को गिरफ्तार करने के लिए कोई निर्देश नहीं दिया जाना स्पष्ट करता है कि सरकार इस प्रकरण में अपराध के घटित होने पर गंभीर नहीं है घटना की गंभीरता देखते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा से भी इस बारे में एडवाइजरी जारी है उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा किया गया करते भारतीय दंड संहिता की धारा 116 167 323 354 आईपीसी की धारा 452 है.
नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि आईपीएस सुशील 2020 में ट्रेनिंग के बाद पोस्टिंग होने पर सभी होटलों के गेस्ट हाउस और अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में बिना पैसा दिए और सुविधाओं का उपयोग करना.आम दिनचर्या में वस्तुओं को फ्री में नियमित रूप से मंगवाना आदि शामिल है,
3 साल में फ्री कि इन वस्तुओं की सुविधाओं का लेखा-जोखा ले तो थाने के आईपीएस है.अगर सभी संपत्ति को नीलाम कर दिया जाए तो भी उस रकम की भरपाई नहीं होगी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पीड़ितों को न्याय दिलवा पर कार्रवाई की जाए.
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