Rajasthan Politics: केंद्र सरकार की ओर से गठित 16वें वित्त आयोग से CM भजनलाल ने टैक्स में मांगी 55 प्रतिशत की हिस्सेदारी
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Rajasthan Politics: केंद्र सरकार की ओर से गठित 16वें वित्त आयोग से CM भजनलाल ने टैक्स में मांगी 55 प्रतिशत की हिस्सेदारी

Rajasthan Politics: राजस्थान में केंद्र सरकार की ओर से गठित 16वां वित्त आयोग के सामने गुरुवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश की हर विषम परिस्थितियों का विस्तार से विवरण करते हुए देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान का पक्ष मजबूती से रखा. CM भजनालाल वित्त आयोग से प्रदेश में भीषण जल संकट को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश करने का भी पुरजोर आग्रह किया है. 

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Rajasthan Politics: राजस्थान में केंद्र सरकार की ओर से गठित 16वां वित्त आयोग दो दिवसीय दौरे पर हैं. आयोग के सामने गुरुवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश की हर विषम परिस्थितियों का विस्तार से विवरण करते हुए देश के सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान का पक्ष मजबूती से रखा. भजनलाल शर्मा ने आयोग से कहा है कि वह हर पहलू को ध्यान में रखते हुए अपनी सिफारिशें करें. राज्य सरकार की ओर से वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा ने प्रजेंटेशन दिया. इससे पहले CM भजनालाल ने आयोग के सभी सदस्यों का स्वागत किया. उनके सम्मान में रात्रि भोज भी आयोजित किया. 

 

आयोग के समक्ष शुक्रवार को विभागवार प्रजेंटेशन दिया जाएगा. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि राज्य की विषम भौगोलिक स्थिति, विशाल क्षेत्रफल, मरुस्थलीय भू-भाग, जल संसाधनों की अत्यधिक कमी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति की बड़ी आबादी के परिपेक्ष्य में वित्त आयोग केंद्र सरकार से राजस्थान को अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने की सिफारिश करें. उन्होंने वित्त आयोग से प्रदेश में भीषण जल संकट को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिश करने का भी पुरजोर आग्रह किया है. 

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CM भजनलाल ने गुरुवार को सचिवालय में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. इस दौरान CM भजनलाल कहा कि राजस्थान विशाल भूभाग है और बिखरी हुई आबादी वाला राज्य है. इस कारण यहां शिक्षा, चिकित्सा व स्वास्थ्य, पेयजल विद्युत, संचार सुविधा आदि बुनियादी सुविधाएं आमजन तक पहुंचाने के लिए दूसरे राज्यों की तुलना में अधिक लागत आती है. उन्होंने कहा कि इस अतिरिक्त लागत और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रदेश को वित्तीय संसाधन मुहैया कराई जाए. 

 

CM भजनलाल ने कहा कि राज्य को तकरीबन हबर वर्ष हीट वेव का सामना करना पड़ता है. जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों के निवासियों की आजीविका प्रभावित होती हैं. इसके साथ ही रेगिस्तान टिड के कारण फसलों को क्षति पहुंचाती है. इसको ध्यान में रखते हुए हीट वेव एवं रेगिस्तानी टिड्डियों के खतरे को प्राकृतिक आपदा माना जाए और इन्हें राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि में प्राकृतिक आपदा की परिभाषा में शामिल किया जाए. 

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CM भजनलाल ने वित्त आयोग से केंद्रीय करों के वितरण के लिए ऐसा फॉर्मूला विकसित करने का अनुरोध किया, जो कि क्षेत्रिय विषमताओं को दूर करने का साधन बने और समाज के सभी क्षेत्रों और वर्गों के लिए महत्वपूर्ण न्यूनतम बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए अधिक संसाधन आवंटित करने में सहायक हो. उन्होंने केंद्रीय कर आय में राज्यों की हिस्सेदारी को अंतिम रूप देते समय प्रदेश के क्षेत्रफल को विशेष महत्व दिए जाने का भी आग्रह किया. उन्होंने वित्त आयोग से सड़क एवं पुल, सिंचाई परिसंपत्तियों और वनों के लिए रखरखाव अनुदानों को फिर से शुरू करने का अनुरोध भी किया. 

 

राजस्थान के दौरे पर आए 16वें वित्त आयोग के सामने राजस्थान सरकार ने करों में 50 प्रतिशत हिस्सा मांगा है. आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगड़िया ने गुरुवार को यहां पत्रकारों को बताया कि केश स्कीमों के वजह से राज्य सरकारों का राजकोषीय घाटा बढ़ा है. उन्होंने बताया कि आयोग के समक्ष राज्य सरकार ने पांच प्रमुख आधारों को पेश करते हुए करों में 50 प्रतिशत हिस्सा देने की मांग की है. केंद्र से अभी टैक्स में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी ही मिलती है. 

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इसके साथ ही राजस्थान की भौगोलिक, क्षेत्रफल, जनसंख्या और विशेष परिस्थितियों को देखते हुए राज्यों के बीच हिस्सेदारी के मानकों में भी बदलाव की मांग की है. आयोग इन दिनों राज्यों के दौरे पर है. अब तक आयोग ने चार राज्यों का दौरा किया है. अभी 24 प्रदेशों में दौरा करना बाकी है. पनगड़िया के अनुसार अपने दौरे में आयोग राज्य सरकारों से वार्ता करने के बाद उनकी वित्तीय स्थिति का आंकलन कर रहा है. 

 

सभी राज्यों और केंद्र सरकार से बातचीत के बाद आयोग अपनी सिफारिशें देगा. उसी आधार पर देश में आने वाले समय में केंद्र और राज्यों के बीच करों का वितरण तय होगा. आयोग को यह भी देखना है कि देश में वित्तीय स्थिरता बनी रहे. इसलिए हम इस तरह की योजनाओं से होने वाले असर पर भी विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि हम इसे अपनी सिफारिशों में शामिल करेंगे या नहीं. इस बारे में अभी नहीं बाताया जा सकता है. 

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लेकिन यह जरूर है कि वित्त आयोग इस तरह की योजनाओं से पड़ने वाले असर का आंकलन जरूर करेगा. पनगड़िया के अनुसार राजस्थान सरकार की ओर से बैठक में आयोग के सामने प्रजेंटेशन देते हुए कहा गया कि राजस्थान देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन राज्य का दो तिहाई हिस्सा रेगिस्तान है. देश की वेस्ट लैंड का 21 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में है. यहां करीब 1071 किमी अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर है. 

 

राज्य में जनसंख्या घनत्व कम होने से लोगों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्चा होता है. राजस्थान की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती हैं. वहीं यहां एससी-एसटी की आबादी भी 21 प्रतिशत है. प्रदेश में पानी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में राजस्थान की इन विशेष परिस्थियों को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग से मांग की है कि राज्यों में करों की हिस्सेदारी में भी राजस्थान के मानकों में बदलाव किया जाए. 

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