right to health bill: राजस्थान में RTH बिल पर गतिरोध खत्म नहीं हुआ. आंदोलन का 17वां दिन है. इस गतिरोध के बीच निजी डॉक्टरों और सरकार के प्रतिनिधियों के बीच एक बार फिर सोमवार को वार्ता हुई. तमाम कोशियों के बावजूद यह वार्ता भी बेनतीजा रही. अब डॉक्टरों ने घोषणा की है कि मंगलवार को वह अपने परिजनों के साथ रैली निकालेंगे.
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Doctors Protest, Rajasthan Governments, right to health bill: RTH के विरोध हड़ताल कर रहे डॉक्टर्स और सरकार के बीच चल रहा गतिरोध सोमवार को टूटा है. हड़ताली निजी डॉक्टर्स के प्रतिनिधि मंडल की सरकार से वार्ता हुई. वार्ता सकारात्मक हुई, कुछ बिंदूओं पर सहमति के आसार बनें, लेकिन नतीजा नहीं निकल पाया. ऐसे में डॉक्टर्स अपने परिजनों के साथ मंगलवार को रैली निकालेंगे. इधर डॉक्टर्स ने कहा कि सरकार पहले बिल के प्रावधानों को सरकारी चिकित्सा संस्थानों में लागू करें, वहां सफल होने पर प्राइवेट में लागू करें.
राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में प्राइवेट डॉक्टर्स के आंदोलन को आज 17वां दिन है. डॉक्टर्स लगातार आंदोलन को तेज करते जा रहे हैं, आमरण अनशन से लेकर धरने प्रदर्शन रैली तक निकाल चुके हैं.वहीं डॉक्टर्स ने आंदोलन में अपने परिजनों व बच्चों को भी उतार दिया है. वहीं सरकार लगातार डॉक्टर्स से बिल के सम्बंध में सुझाव देने के लिए वार्ता करने के लिए कह रही है. डॉक्टर्स इस मामले में मुख्यमंत्री से वार्ता कर अपनी बात रखने के रूख अड़े हुए थे. इस बीच आज डॉक्टर्स वार्ता के लिए सचिवालय पहुंचे. ऐसे में उम्मीद जगी कि कोई न कोई हल जरूर निकल पाएगा.
गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्य सचिव उषा शर्मा ने डॉक्टरों को वार्ता के लिए बुलाया था, लेकिन डॉक्टरों ने ''नो राइट टू हेल्थ बिल'' की कहकर बैठक का बहिष्कार कर दिया था. इसके बाद आज फिर डॉक्टर्स वार्ता के लिए पहुंचे तो लग रहा है कि दोनों के बीच बर्फ पिघलती दिखाई दे रही है.सचिवालय के कमेटी रूम में हुई वार्ता में डॉक्टर्स की ओर से विजय कपूर,अशोक शारदा सहित अन्य डॉक्टर शामिल हुए वहीं सरकार की ओर से प्रमुख चिकित्सा सचिव टी रविकांत, विधि विभाग चिकित्सा विभाग के अधिकारी मौजूद थे. करीब दो घंटे चली वार्ता में दोनों ही पक्षों की ओर से अपने अपने सुझाव रखे गए. सरकार की ओर से कहा कि अभी बिल पास हुआ है इसके नियम नहीं बनें, ऐसे में नियम इस प्रकार बनाएंगे जिससे प्राइवेट डॉक्टर्स को ज्यादा परेशानी नहीं हो. वहीं सरकारी अफसरों ने कहा कि बिल विधानसभा से पास हो चुका है, लिहाजा इसे वापस नहीं लिया जा सकता है.
इधर डॉक्टर अशोक शारदा ने कहा कि विधानसभा में बिल पास होने पर वापस नहीं लिया जा सकता है तो सरकार पहले इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सरकारी चिकित्सा संस्थानों में लागू करें. एक वर्ष या कुछ महीनों के बाद प्राइवेट में लागू करें. यदि इस दौरान कोई कठिनाइयां आती है तो उन्हें दूर किया जाए. इसके साथ ही कहा कि चिरंजीवी व आरजीएचएस गतिविधियां हॉस्पिटलों चल रही है, इनमें इमरजेंसी पैकेजेस को सुधार कर लगाए जाएं. बिल किसी भी तरह प्रैक्टिल नहीं लगता है.
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वहीं डॉक्टर राजशेखर यादव ने कहा कि सकारात्मक रूख में वार्ता हुई, मरीजों की परेशानी को देखते हुए हम भी चाह रहे थे कि गतिराेध टूटे और वार्ता हो। सरकार से वार्ता हुई, लेकिन चर्चा रुकी हुई है। कोई हल नहीं निकला, हमने सरकार को हमारे सब बिंदू बता दिए, सरकार के बिंदू हमने सुनें. हम हमारी वर्किंग टीम से चर्चा करेंगे, सरकार आश्वासन दिया है, इस मामले पर निर्णय लिया जाएगा. वहीं दूसरी ओर हमारा आंदोलन जारी रहेगा. चिकित्साकर्मी, उनके परिजन मंगलवार को होने वाली रैली में शामिल होंगे. जयपुर की सड़कों पर उतरकर बिल के खिलाफ सरकार की ओर ध्यान आकर्षित किया जाएगा। यह रैली 27 मार्च को निकाली गई रैली से भी ज्यादा बड़ी होगी.
डॉक्टर्स ने कहा कि सरकार के एक मंत्री बोले थे कि सरकार लोगों की भलाई के लिए चार कदम पीछे हट सकती है, अब हमने भी एक कदम पीछे खींच लिया है. सरकार को भी चार न सही एक कदम पीछे हटना चाहिए. सरकार भी मरीजों और हमारी पीड़ा को समझकर कोई समाधान की तरफ बढ़े. हमारी मंशा थी कि जनता की परेशानियों को ध्यान में रख कर कोई हल निकलना चाहिए.