तीसरी बार में बच्चा भेष बदलकर आई डायन को सबक सीखाते हुए उसकी जीवन लीला समाप्त कर देता है.
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Jaipur: प्रदेश स्तरीय पंचतत्व उत्सव का आयोजन जवाहर कला केंद्र में हुआ. कला-संस्कृति विभाग, जवाहर कला केंद्र एवं ओरियन ग्रीन्स जयपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अनोखे अंदाज में ‘अनोखा पेड़’ कथा का वाचन किया गया. प्रियदर्शिनी मिश्रा के निर्देशन में कलाकारों ने हुनर दिखया. “अनोखा पेड़” पद्मश्री स्व. विजय दान देथा ‘बिज्जी’ द्वारा लिखित-कहानी है. यह एक ऐसे बच्चे की कहानी है जिसे गुलगुले बेहद पसंद है.
बच्चा मां द्वारा बनाए 7 गुलगुलों में से एक गुलगुले को, गुलगुले के पेड़ की आशा में जमीन में रोपता है. आशा स्वरूप वह गुलगुलों का बीज प्रस्फुटित होता है और एक बड़ा वृक्ष बन जाता है. इस पर घी में तले हुए गुलगुले फल स्वरुप लगते हैं. इसी बीच बच्चे का सामना एक डायन से होता है जो उसे खाना चाहती है. बच्चा दो बार अपनी सूझबूझ से उसके चंगुल से निकलकर वापस आ जाता है. तीसरी बार में वह भेष बदलकर आई डायन को सबक सीखाते हुए उसकी जीवन लीला समाप्त कर देता है और फिर से अपने गुलगुले वाले वृक्ष पर मजे से गुलगुले खाने लगता है.
यह कहानी आशावादी सोच को दर्शाती है. कथा वाचन लोक धुनों में पिरोये गए संगीत की प्रस्तुति के साथ हुआ जिसे दर्शकों ने खूब सराहा. शाश्वत सिंह, दक्षेश सिंह जादौन , साची जैन, समर्थ शांडिल्य ने अभिनय का हुनर दिखाया. मंच से परे कपिल शर्मा एवं अनुज भट्ट ने संगीत संयोजन किया.
अतिथियों में एनएसडी के पूर्व निदेशक देवेंद्र राज अंकुर, कला संस्कृति विभाग के सयुंक्त शासन सचिव पंकज ओझा, अभिनय गुरु मिलिंद इनामदार, फिल्म एक्टर जोजो उपस्थित रहे.
Reporter-Anup Sharma
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