रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कार्य बहिष्कार में आइसीयू और इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं रहेंगी. वहां पर डॉक्टर्स काम करते रहेंगे हालांकि इस बहिष्कार से वार्ड मे और ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं. ओपीडी में आने वाले मरीजों का रूटीन चैकअप रेजिडेंट डॉक्टर्स ने नहीं किया है.
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Jaipur: सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में उतरे रेजिडेंट डॉक्टर्स ने आज से अस्पतालों में दो घंटे के कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मंगलवार सुबह 9 से 11 बजे तक रूटीन कार्य बहिष्कार कर दिया है. इससे एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े व अन्य अस्पतालों में दो घंटे का तक कार्य प्रभावित रहा.
रेजिडेंट डॉक्टर्स का कहना है कार्य बहिष्कार में आइसीयू और इमरजेंसी सेवाएं प्रभावित नहीं रहेंगी. वहां पर डॉक्टर्स काम करते रहेंगे हालांकि इस बहिष्कार से वार्ड मे और ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं. ओपीडी में आने वाले मरीजों का रूटीन चैकअप रेजिडेंट डॉक्टर्स ने नहीं किया है.
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जार्ड के अध्यक्ष डॉ.नीरज डामोर ने बताया कि डॉक्टर्स की प्राथमिकता रहेगी कि मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसलिए आइसीयू और इमरजेंसी में रेजिडेंट्स काम करते रहेंगे. वहीं, जब तक सरकार का कोई प्रतिनिमंडल हमारे से बात नहीं कर लेता हैं, तब तक यह सांकेतिक रुप से कार्य बहिष्कार जारी रहेगा.
पिछले दो दिनों से सरकार की बॉन्ड नीति के विरोध में अस्पतालों में कार्यरत रेजिडेंट्स डॉक्टर्स काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे थे. रेजिडेंट्स का आरोप है कि दो दिन तक सरकार के कई प्रतिनिधियों से बातचीत करने का प्रयास किया गया लेकिन किसी ने नहीं सुनी तो जार्ड ने जनरल बॉडी की बैठक बुलाकर कार्य बहिष्कार का निर्णय लिया. रेजिडेंट्स डॉक्टर्स ने आरोप लगाए हैं कि राज्य सरकार की बॉन्ड नीति अत्यंत जल्दबाजी अपारदर्शिता के साथ एवं अपरिपक्व तरीके से लाई गई है. सरकार दवारा बॉन्ड नीति की विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेज में अभ्यर्थियों का बिना किसी पारदर्शी प्रक्रिया के एसआर के पदों पर नियुक्त हो जाना, भ्रष्टाचार और धांधली है.
डॉक्टर्स ने रखी यह मांग
डॉक्टर्स ने मांग की है कि इस बॉन्ड नीति में इन सर्विस रेजिडेंट डॉक्टर्स को भी समान अवसर प्रदान किए जाए और नीति की विसंगतियों को दूर करने एवं रुपरेखा तैयार करने के लिए एक कमेटी गठित की जाए. जिसमें रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए.इसके तहत प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों से पीजी और सुपरस्पेशिलिटी कोर्स के बाद पांच साल की सरकारी सेवा की बाध्यता घटाकर दो साल कर दी गई है. वहीं अन्य प्रावधान लागू किए गए हैं, जो आमजन और डॉक्टर्स के हित में नहीं हैं.
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