राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित उनके गुट के अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा कि विधानसभा स्पीकर की ओर से उन्हें नोटिस देने के मामले में लंबित याचिका को खारिज करवाने के लिए पेश अर्जी पर उनका क्या कहना है? इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 25 मई को रखी है.
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Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित उनके गुट के अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर पूछा कि विधानसभा स्पीकर की ओर से उन्हें नोटिस देने के मामले में लंबित याचिका को खारिज करवाने के लिए पेश अर्जी पर उनका क्या कहना है? इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 25 मई को रखी है. एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश पीआर मीणा और अन्य की याचिका में मोहनलाल नामा के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.
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मोहनलाल नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी ने कहा कि दोनों पक्षों में राजनीतिक समझौता हो गया है. इसके अलावा याचिकाकर्ता पीआर मीणा सहित अन्य विधानसभा में विश्वास मत के समर्थन में अपना वोट दे चुके हैं. ऐसे में उनकी विधानसभा और कांग्रेस में सदस्यता बरकरार रखने की प्रार्थना भी एक तरह से मंजूर हो चुकी है.
इसलिए अब याचिका लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है और याचिका को न्याय हित में खारिज की जाए. वहीं, पीआर मीणा की ओर से कहा गया कि उनकी ओर से मामले में पक्ष रखा जाएगा. वहीं, सचिन पायलट सहित अन्य विधायकों की ओर से पेश होने वाले अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें मामले में पक्ष रखने के लिए विधायकों की ओर से कोई निर्देश प्राप्त नहीं है. इस पर अदालत ने पीआर मीणा के अलावा अन्य विधायकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इनको जारी किए नोटिस
वेदप्रकाश सौलंकी, सुरेश मोदी, विश्वेन्द्र सिंह, दीपेंद्र सिंह, सचिन पायलट, भंवरलाल शर्मा, गजराज खटाना, इन्द्रराज, जीएस शेखावत, हेमाराम, रामनिवास, अमर सिंह, बिजेन्दर सिंह ओला, एमएल मीणा, मुकेश कुमार भाकर, राजेश पारीक, हरीश मीणा और रमेशचंद मीणा.
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यह है मामला
राजस्थान हाईकोर्ट ने 24 जुलाई, 2020 को आदेश जारी कर विधानसभा स्पीकर की ओर से पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को 14 जुलाई, 2020 को दिए नोटिस की क्रियान्विति पर यथा-स्थिति के आदेश दिए थे. इसके साथ ही अदालत ने मामले में विभिन्न संवैधानिक बिंदुओं पर सुनवाई के लिए याचिका को लंबित रखा था. वहीं, मोहनलाल नामा की ओर से प्रार्थना पत्र पेश कर याचिका खारिज करने की गुहार की है.
Report- Mahesh Pareek