जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पार्टी में फेरबदल के संकेत दिए.
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जयपुर: जी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने पार्टी में फेरबदल के संकेत दिए. उन्होंने कहा, "कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को परिस्थिति की समीक्षा करने के लिए कुछ समय दीजिए और उन्हें अपने मुताबिक बदलाव करने दीजिए. पार्टी में जल्द ही फेरबदल होगा." राहुल गांधी ने पिछले महीने गुजरात व हिमाचल विधानसभा का चुनाव परिणाम आने के दो दिन पहले यानी 16 दिसंबर को कांग्रेस अध्यक्ष का कार्यभार संभाला था. हालांकि कांग्रेस इन दोनों राज्यों में हार गई लेकिन गुजरात में उनकी पार्टी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया. पार्टी गुजरात में पिछले 22 वर्षों से सत्ता से बाहर है.
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी अनिच्छुक राजनेता नहीं हैं, हमने उनको गुजरात में देखा. वह हमेशा बेहतर करने का प्रयास करते रहे और अपना काम कर दिखाया है."
जयपुर लिटरेचर से इतर थरूर ने कहा बीजेपी सरकार आगामी बजट में कर में छूट या निवेश के लिए कुछ प्रोत्साहन के जरिए राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेगी क्योंकि यह इसका आखिरी बजट होगा. उन्होंने कहा, ‘‘कहीं ना कहीं, यह उनका आखिरी बजट होगा और वे एक राजनीतिक संदेश देने की कोशिश करेंगे.’’ थरूर ने कहा कि यदि आप हमारी अर्थव्यवस्था पर नजर डालेंगे जो कि बुरी हालत में है, वे निवेश के लिए कुछ प्रोत्साहन देना चाहेंगे, शायद वहां कुछ कर छूट होगा, उन्हें किसानों के लिए कुछ करना होगा जो बुरी अवस्था में है.
उन्होंने कहा कि यदि वह (भाजपा) चाहती है कि लोग उसे वोट दे तो उसे युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मुहैया करना जैसा कुछ करना होगा. थरूर ने फिल्म ‘पद्मावत’ की रिलीज के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के आलोक में सरकार द्वारा एहतियाती कदम नहीं उठाए जाने की भी आलोचना की.
थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के खिलाफ अपने रुख का बचाव करते हुए कहा कि इस पहल से उन नेताओं को कोई फायदा नहीं होगा जो हिंदी नहीं बोल सकते. संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और थरूर के बीच इस महीने की शुरुआत में लोकसभा में बहस हुई थी. सुषमा ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए सरकार सभी खर्च उठाने के लिए तैयार है जिस पर थरूर ने इसके उद्देश्य को लेकर सवाल उठाए थे. थरूर ने कहा था कि भारत को इस तरह का कोई प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि हिंदी केवल भारत की आधिकारिक भाषा है न कि राष्ट्रीय भाषा.