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Jhunjhunu: रीट समेत अन्य भर्ती परीक्षाओं में धांधली की सीबीआई से जांच कराने जैसी मांगों को लेकर पिछले पांच दिनों से अनशन पर बैठे सीआरपीएफ में असिस्टेंट कमांडेंट शौर्य चक्र प्राप्त विकास जाखड़ को आज पुलिस और प्रशासन ने बीडीके अस्पताल में भर्ती करवा दिया. दरअसल रोजाना की तरह आज सुबह जब बीडीके अस्पताल के चिकित्सक डॉ. हरलालसिंह नेहरा अपनी टीम विकास जाखड़ का चेकअप करने पहुंचे तो उनकी कई रिपोर्टस चिंताजनक थी. इसलिए डॉ. नेहरा ने पुलिस और प्रशासन को लिखित में रिपोर्ट दी थी कि विकास जाखड़ को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाने की आवश्यकता है.
जिसके बाद एसडीएम शैलेश खैरवा, सिटी डीएसपी शंकरलाल छाबा तथा शहर कोतवाल सुरेंद्र देगड़ा अपनी टीमों के साथ जाखड़ों का बास अनशन स्थल पर पहुंचे, जहां करीब एक घंटे तक उन्होंने समझाइश की, लेकिन विकास जाखड़ के चारों ओर गांव की महिलाएं और बाहर से आए युवा बैठ गए और विकास जाखड़ को ना ले जाने की जिद करने लगे. काफी देर तक बहस होने के बाद प्रशासन और पुलिस ने परिजनों को मनाया और विकास जाखड़ को एंबुलेंस के जरिए बीडीके अस्पताल ले गए. इसके बाद वहां मौजूद बाहर से आई अभ्यर्थी इम्रता और सुमित शर्मा अनशन पर बैठ गईं और इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का आह्वान किया.
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करीब एक से डेढ़ घंटे बाद सदर सीआई मनीष शर्मा व शहर कोतवाल सुरेंद्र देगड़ा दोनों थानों की पुलिस और अतिरिक्त जाब्ते के साथ अनशन स्थल पर पहुंचे, जहां पर बैठक युवक-युवतियों को जबरदस्ती उठा उठाकर पुलिस की बस में बैठाया. इस दौरान एक बार अनशन स्थल पर अफरा-तफरी मच गई, लेकिन पुलिस जवानों ने किसी की एक ना सुनी और एक के बाद एक युवक-युवतियों को बस में बैठा लिया. शेष को तितर-बितर कर दिया. पुलिस की इस कार्रवाई के बाद तहसीलदार अजीत जानूं भी जाखड़ों का बास में पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने ग्रामीणों और विकास जाखड़ के परिजनों से सुबह तक अनशन स्थल खाली करने की गुजारिश की। अन्यथा अनशन स्थल को सीज करने की चेतावनी दी, लेकिन इसी दरमियान अनशन स्थल पर विकास जाखड़ का 12 साल का बेटा खुशवंत अपनी बुजुर्ग दादी संतोष के साथ आकर अनशन स्थल पर अपने पिता की जगह बैठ गया और ऐलान किया कि अब वह अपने पिता के लौटने तक धरना देगा. इधर, आंदोलन से जुड़े अभ्यर्थियों ने कल से आंदोलन को तेज करने की योजना बनानी शुरू कर दी है.
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इधर, जी राजस्थान न्यूज से खास बातचीत में विकास जाखड़ ने कहा कि मैं राजस्थान के मुख्यमंत्री से पूछना चाहता हूं कि वे पेपर बेचने के लिए या फिर युवाओं के सपनों का सौदा करने के लिए मुख्यमंत्री बने हैं. क्योंकि पेपरों में भी जो भी धांधलियां हुई हैं वो केवल और केवल पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद डोटसरा तथा वर्तमान के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन के कारण हुई हैं. मैं तो अपना शरीर 2014 में ही डोनेट कर चुका हूं. तब मुझे आतंकियों से मुठभेड़ में जान जाने की संभावना थी. अब युवाओं की इस लड़ाई में भी आखिरी सांस तक लड़ूंगा.
Reporter: Sandeep kedia