Jaipur: राजस्थान में पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर कल से पूरी तरह से प्रतिबंध लगने के बावजूद दीपावली से पहले लोगों ने घरों में जो सफाई की, उसमें करीब 1225 टन प्लास्टिक वेस्ट निकला है. यह आंकड़ा प्लास्टिक बैन के दावों को धरातल दिखाने के लिए काफी है.
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Jaipur: राजस्थान में पर्यावरण को नियंत्रित करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर कल से पूरी तरह से प्रतिबंध लगने के बावजूद दीपावली से पहले लोगों ने घरों में जो सफाई की, उसमें करीब 1225 टन प्लास्टिक वेस्ट निकला है. यह आंकड़ा प्लास्टिक बैन के दावों को धरातल दिखाने के लिए काफी है. करीब 4 महीने पहले नगर निगम हैरिटेज आयुक्त अवधेश मीना ने बताया था कि सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारी संस्थान तक ही नहीं है, बल्कि हर नागरिक को इसके लिए आगे आना होगा. खुद भी पॉलिथीन के इस्तेमाल से बचें और अपने आसपास भी लोगों को जागरूक करें. इसके बाद इसका उपयोग नहीं किया जाएगा. यदि कोई उपयोग करते हुए पाया जाएगा तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए 'जाग्रत जयपुर' नाम से अभियान चलाया जा गया था लेकिन घरों से निकले प्लास्टिक ने पोल खोल दी है.
करीब 1225 टन प्लास्टिक वेस्ट निकला
राजस्थान में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 1 अगस्त, 2010 से पूर्ण रूप से रोक लगी थी. इसके लिए बनाए नियमों के तहत अगर किसी व्यक्ति को इसका उपयोग करते पकड़ा गया तो उस पर 5 साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है....दरअसल फिर से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन की तैयारी की जा रही है. मगर कचरे से निकल रहे प्लास्टिक का निस्तारण करने में दोनों नगर निगम फिसड्डी साबित हो रहे हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में प्रतिबंध के बावजूद दीपावली की सफाई में हर दिन 1225 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हुआ. हालांकि 2010 में राजस्थान में प्लास्टिक को बैन किया गया था और सख्ती बरतते हुए प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने और आवश्यकता पड़ने पर सीजर की कार्रवाई की भी शक्तियां दी गईं. लेकिन अभियान के दौरान ही इस पर नकेल लग पाती है.
दीपावली के दौरान घरों से करीब 2500 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा निकला
प्रदेश में दीपावली के दौरान हर दिन निकला 16 हजार मीट्रिक टन कचरा 15 से 20 प्रतिशत प्लास्टिक वेस्ट शामिल जयपुर का कुल वेस्ट 2500 मीट्रिक टन प्लास्टिक वेस्ट 375 से 450 मीट्रिक टन 300 मीट्रिक टन के लिए आरडीएफ 300-300 मीट्रिक टन के एमआरएफ का लगा रखा टेंडर 700 मीट्रिक टन कचरा वेस्ट टू एनर्जी में इस्तेमाल हो रहा
अकेले राजधानी की अगर बात करें तो दीपावली के दौरान यहां घरों से करीब 2500 मीट्रिक टन से ज्यादा कचरा निकला, जिसमें 375 से 450 मीट्रिक टन तक प्लास्टिक निकला. हालांकि जयपुर में प्लास्टिक वेस्ट को इस्तेमाल करके रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल बनाया जा रहा है. जिसका सीमेंट प्लांट में इस्तेमाल हो रहा है. वहीं हेरिटेज निगम की पर्यटन स्थलों पर प्लास्टिक बोतल क्रश मशीन लगाने की भी प्लानिंग थी, जो फिलहाल फाइलों में दब कर रह गई है.
ये हैं सिंगल यूज प्लास्टिक
40 माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल किया गया है. इसका मतलब प्लास्टिक से बनी वो चीजें हैं, जो एक बार ही उपयोग में लाई जाती हैं और फेंक दी जाती हैं. जिसमें पॉलीथिन कैरीबैग, चाय के प्लास्टिक कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ सभी सिंगल यूज प्लास्टिक में शामिल हैं. बहरहाल, केंद्र सरकार के निर्देश पर प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया. जहां जरूरी है उसके लिए अन्य विकल्प तलाशने की कवायद की गई. लेकिन दीपावली की सफाई ने इस प्रतिबंध की पोल खोल कर रख दी. बहरहाल, इंसान और पर्यावरण दोनों का सबसे बड़ा दुश्मन है प्लास्टिक. यह जमीन और पानी के स्रोतों को खराब कर रहा है. साथ ही इंसान के शरीर में हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड जितना प्लास्टिक जा रहा है. प्लास्टिक कचरे के पहाड़ बन गए हैं. जिनके आसपास रहने वालों का जीना मुहाल हो गया है.