देश में जाति आधारित जनगणना और उसके आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग उठ रही है. खासतौर से ओबीसी जातियों के आंकड़ों को लेकर बात की जा रही है. जिससे उन्हें जनसंख्या के अनुपात में उसका फायदा मिल सके. इस बीच बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि उनकी पार्टी इसे वैज्ञानिक तरीके से कराना चाहती है जिससे पूरे ओबीसी समाज को न्याय मिल सके.
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जयपुरः देश में जाति आधारित जनगणना और उसके आंकड़े सार्वजनिक करने की मांग उठ रही है. खासतौर से ओबीसी जातियों के आंकड़ों को लेकर बात की जा रही है. जिससे उन्हें जनसंख्या के अनुपात में उसका फायदा मिल सके. इस बीच बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने कहा कि उनकी पार्टी इसे वैज्ञानिक तरीके से कराना चाहती है जिससे पूरे ओबीसी समाज को न्याय मिल सके. लक्ष्मण ने कहा कि आज़ादी के बाद से कोई भी सरकार देश में जाति आधारित जनगणना नहीं करा पाई. लक्ष्मण ने कहा कि बीजेपी जातीय जनगणना कराना चाहती है, लेकिन इसमें कई तरह की पेचीदगियां हैं. इसमें एडमिनिस्ट्रेटिव कंसर्न और लीगल इम्प्लीकेशन भी हैं.
लक्ष्मण ने कहा कि कांग्रेस सरकारों के समय हज़ारों करोड़ रुपया खर्च करके ऐसी कोशिश हुई थी. लेकिन ओबीसी को इन्साफ नहीं मिला. बीजेपी ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 48 लाख जातियां बताई जाति हैं जिसे सही करना चाहिए. लक्ष्मण ने कहा कि पहले प्रदेश स्तर पर जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए और उसके आंकड़े सार्वजनिक होने चाहिए. उन्होंने कहा कि चार-पांच राज्य अपने यहां जातीय जनगणना करा चुके हैं, लेकिन उसे प्रकाशित भी कराना चाहिए.
के. लक्ष्मण ने कहा कि देश के कई राज्यों में जातियों का अलग-अलग स्टेटस हैं. उन्होंने कहा कि कोई जाति किसी राज्य में ओबीसी में शामिल की जाती है तो दूसरे राज्य में वह एससी और तीसरे किसी अन्य राज्य में वह सामान्य श्रेणी में गिनी जाती है. बीजेपी नेता ने कहा कि अगर राज्य पहले जातीय जनगणना कराकर अपनी लिस्ट बनाए तो बढ़िया रहेगा. उन्होंने कहा कि ओबीसी की राज्य और केन्द्रीय सूची अलग-अलग है.
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राज्यों की सूची में से केन्द्र परीक्षण कराकर अपनी लिस्ट में भी ओबीसी में शामिल कर सकता है. लक्ष्मण ने कहा कि हमारे देश में कई जातियां हैं, ऐसे में सबको साथ लेकर चलना हमारा काम है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कानून में संशोधन के जरिये केन्द्र ने राज्यों को पूरा अधिकार दे दिया है कि राज्य किसको ओबीसी में शामिल करना चाहते हैं और किसे नहीं, यह वे अपने स्तर पर तय कर सकते हैं. लक्ष्मण ने दो अलग-अलग लिस्ट होने से विवाद बढ़ने की आशंका को खारिज करते हुए कहा कि राज्यों में जातीय जनगणना होने के बाद केन्द्र उसमें वैज्ञानिक तरीके से वर्गीकरण कर सकते हैं.