कैबिनेट बैठक में दो मंत्री भिड़े, BJP का तंज-ये तो ट्रेलर अभी पूरी पिक्चर सामने आएगी
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कैबिनेट बैठक में दो मंत्री भिड़े, BJP का तंज-ये तो ट्रेलर अभी पूरी पिक्चर सामने आएगी

लगता है राजस्थान की सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कैबिनेट की मीटिंग में सीएम अशोक गहलोत के सामने ही दो वरिष्ठ मंत्री इस कदर उलझ गए की खुद गहलोत को उन्हें समझना पड़ा. 

राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया

Jaipur : लगता है राजस्थान की सरकार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कैबिनेट की मीटिंग में सीएम अशोक गहलोत के सामने ही दो वरिष्ठ मंत्री इस कदर उलझ गए की खुद गहलोत को उन्हें समझना पड़ा. उस वक़्त तो ये शांत हो गए, लेकिन एक बार फिर से मीटिंग ख़त्म होने पर वे अपनी इस बात को लेकर उलझ गए. पूरा मसला वैक्सीनेशन को लेकर ज्ञापन देने से जुड़ा था. जहां पीसीसी अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) कलेक्टर को ज्ञापन देने का सुझाव दे रहे थे वहीँ संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल (Shanti Dhariwal) राष्ट्रपति को ज्ञापन देने पर अड़ गए. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने इसे महज गफ़लत का नतीजा बताया. वहीं, विपक्ष ने साफ़ किया की यह तो महज एक ट्रेलर है, कुछ वक़्त बाद अभी खुलकर लड़ाई सामने आएगी.

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अशोक गहलोत सरकार के केबिनेट की बैठक में बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर विचार होना था, लेकिन बाकी मुद्दों पर जब चर्चा शुरू हुई तो दो वरिष्ठ मंत्री इस कदर आपस में उलझ गए की अब इस पूरी घटना अको लेकर ही सरकार को शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल बैठक में शामिल पीसीसी अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा चाहते थे कि आलामकान के निर्देश पर केंद्र के खिलाफ शुरू हुए वैक्सीनेशन में विफलता के मामले पर 4 जून को सभी मंत्रियों को कलेक्टर को ज्ञापन देना चाहिए, लेकिन एक और वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल ने इस पर आपत्ति जताते हुवे बीच में टोकते हुए कहा कि वैक्सीन केंद्र की मोदी सरकार दे रही है न की कलेक्टर. ऐसे में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देना चाहिए. 

दोनों के बीच बहस इस कदर तेज हुई की पीसीसी अध्यक्ष डोटासरा ने तो सोनिया गांधी से इसकी शिकायत करने की धमकी देते हुवे अपनी कुर्सी से उठाकर जाने लगे और कहा कि कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने की बात ही वे कह रहे हैं जिसे शांति धारीवाल समाज ही नहीं पाए. डोटासरा ने तो यहां तक कह दिया की मुख्यमंत्री जी आपके सामने अध्यक्ष को पूरी बात बोलने ही नहीं दिया जा रहा है ऐसे बर्ताव पर कारवाही होनी चाहिए. यही नहीं डोटासरा ने शांति धारीवाल पर सीएम के सामने ही यह भी आरोप लगा दिया की जयपुर के प्रभारी मंत्री होने के बावजूद भी उन्होंने एक भी बैठक ही नहीं ली जिस पर धारीवाल ने भी तपाक से जवाब दे दिया की मुझे ज्ञान देने की जरुरत नहीं है, मैं सब देख लूंगा. 

उन्होंने तो यहां तक भी कह दिया कि यह कैबिनेट की बैठक है पार्टी की नहीं जहां वे पीसीसी अध्यक्ष की बात मानाने के लिए बाध्य हो जाए. बैठक ख़त्म हुई तो बाहर आकर भी दोनों ने एक दुसरे को देख लेने की धमकी तक दे डाली. जिस पर कई और मंत्रियों ने बीच बचाव करके उन्हें उनकी गाड़ियों में बैठकर रवाना कर इस मामले को ठंडा किया. जब कैबिनेट की यह बहस बाहर आई तो अब गहलोत सरकार के मंत्री सफाई देते नहीं थक रहे हैं.

उधर कोरोना से निपटने और वैक्सीनेशन में अशोक गहलोत सरकार के मंत्रियों द्वारा आये दिन केंद्र सरकार और राजस्थान के बीजेपी सांसदों पर आरोपों से परेशान राजस्थान बीजेपी को मानों बैठे बिठाये सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा मिल गया था. कांग्रेस सरकार के कामकाज पर ही तंज कसते हुवे राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनिया ने कहा की यह तो अभी एक ट्रेलर है, पूरी पिक्चर बाकी है, जल्दी ही एक दुसरे का सिर फोड़ते ये लोग सड़कों पर आ जायेंगे.

साफ़ है कि सरकार की तरफ से भले ही इसे गलतफहमी का नतीजा बताया जा रहा है, लेकिन सच यह भी है की दोनों वरिष्ठ मंत्रियों ने सीएम के सामने ही अपना आपा खोया है और एक दुसरे पर संगीन आरोप भी लगाया, लेकिन उससे भी ज्यादा गंभीर बात यह है कि अति गोपनीय मानी जाने वाली कैबिनेट की बैठक (Rajasthan Cabinet Meeting) के अन्दर हुई यह घटना किस तरह से सबके सामने आ गयी और ऐसे कौनसे और मंत्री हैं जोकि अपनी ही सरकार के इन दो मंत्रियों के झगड़े को सार्वजनिक करके सरकार की किरकिरी कराने में तुले हुए हैं. इससे भी बड़ा सवाल तो यह है कि क्या राजस्थान कांग्रेस के नेता अपने अध्यक्ष की बात को सुनना-समझना ही नहीं चाहते हैं क्या ?

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