भीषण गर्मी में पेयजल प्रबंधन के लिए तैयार पीएचईडी, जरूरत पड़ी तो चलेगी वाटर ट्रेन
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भीषण गर्मी में पेयजल प्रबंधन के लिए तैयार पीएचईडी, जरूरत पड़ी तो चलेगी वाटर ट्रेन

राजस्थान में भीषण गर्मी के लिए राज्य सरकार ने पेयजल प्रबंधन की तैयारियां शुरू कर दी है. सरकार ने गर्मियों में पानी की अतिरिक्त मांग को देखते हुए कंटीजेंसी प्लान तैयार किया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Jaipur: राजस्थान में भीषण गर्मी के लिए राज्य सरकार ने पेयजल प्रबंधन की तैयारियां शुरू कर दी है. सरकार ने गर्मियों में पानी की अतिरिक्त मांग को देखते हुए कंटीजेंसी प्लान तैयार किया है.

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इस प्लान के तहत हर जिले में जिला कलेक्टर 50-50 लाख रुपये तक के कार्यों की स्वीकृति जारी कर सकेंगे. पानी की कमी को देखते हुए सरकार को यदि पाली में वाटर ट्रेन चलानी पड़ी तो वो भी चलाई जाएगी. जलदाय मंत्री महेश जोशी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कंटीजेंसी प्लान के तहत स्वीकृत राशि का युक्तियुक्त उपयोग करने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में जिला कलक्टर्स के साथ समन्वय से कार्य करें.

जिससे किसी भी आकस्मिक कार्य के लिए इस राशि का उपयोग कर मौके पर लोगों की पेयजल जरूरतों को पूरा किया जा सके. उन्होंने गर्मियों में बेहतर पेयजल प्रबंधन में विभाग के संसाधनों का भरपूर उपयोग करने के लिए अधिकारियों को चालू वित्तीय वर्ष में स्वीकृत हैंडपंप और ट्यूबवेल कमिशनिंग सहित अन्य कार्यों को भी समय पर पूरा करने को कहा है.

तेज गर्मियों में विशेष तौर पर पश्चिमी राजस्थान सहित कुछ अन्य स्थानों पर पेयजल की सम्भावित अतिरिक्त मांग को देखते हुए व्यापक बंदोबस्त किए जा रहे हैं. इसी सिलसिले में सभी जिलों में कलेक्टर्स को आकस्मिक तौर पर 50 लाख रुपये तक के कार्य कराने के लिए अधिकृत किया गया है. जिला कलक्टर्स अपने जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकता के अनुसार 50 लाख रुपये की सीमा में पीएचईडी के अधिकारियों से कार्य करा सकेंगे. जिला कलक्टर्स की अनुशंसा के अनुसार सभी जिलों में पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं द्वारा कंटीजेंसी मद के कार्यों के लिए प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की जाएगी.

पीएचईडी के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत की ओर से इस बारे में जिला कलक्टर्स को कंटीजेंसी प्लान के तहत जारी राशि के उपयोग में प्राथमिकता के तौर पर पम्प या मोटर को बदलने, किसी ट्यूबवेल के अचानक फेल हो जाने पर स्रोत के निर्माण, पुरानी पाइपलाइन की मरम्मत या उसे बदलने और जल योजना के संचालन से सम्बंधित पैनल, स्टार्टर, इलैक्ट्रिक एसेसरीज को बदलने जैसे छोटे-छोटे कार्यों को प्राथमिकता के तौर पर कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसी प्रकार नहरबंदी वाले जिलों में कम गहराई वाले बोरवेल निर्माण, प्रभावित क्षेत्रों में जल परिवहन, निजी स्रोतों को किराए पर लेने, कैनाल एरिया में वाटर पोंडिंग, कॉफर डैम निर्माण, नए स्टोरेज, वाटर लिफ्टिंग व्यवस्था जैसे कार्य कराए जा सकेंगे.

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नहरबंदी के समय सम्बंधित जिलों में कंटीजेंसी मद से कराए जाने वाले कार्यों और पेयजल व्यवस्था से सम्बंधित गतिविधियों के बारे में विभागीय अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट जलदाय मंत्री और एसीएस को भेजनी होगी.

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