Rajasthan Chief Secretary: 30 जून को मुख्य सचिव उषा शर्मा रिटायर हो रही हैं. वीनू गुप्ता, सुबोध अग्रवाल और शुभ्रा सिंह का नाम मुख्य सचिव पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहा है. राजेश्वर सिंह, अभय कुमार या अखिल अरोड़ा भी रेस में हैं.
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Rajasthan Chief Secretary: राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी का नए बॉस यानि की मुख्य सचिव पद की दौड़ तेज हो गई है. 30 जून को मुख्य सचिव उषा शर्मा रिटायर हो रही हैं. उनकी जगह कौन लेगा? इसकी तलाश राज्य सरकार ने शुरू कर दी है. ब्यूरोक्रेसी की टॉप सीट की रेस में कई नाम सामने आ रहे हैं. चर्चा ये है की सीएम गहलोत एक बार महिला सशक्तिकरण की भावना के साथ ब्यूरोक्रेसी की सबसे ऊंची कुर्सी महिला आईएएस अफसर को सौंप सकते हैं. सरकार वरिष्ठता लांघने के बजाय वरिष्ठता को ही ज्यादा महत्व दे सकती है. सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि गहलोत सरकार के साढे चार साल यानि की दिसंबर 2018 से लेकर अब तक डीबी गुप्ता, राजीव स्वरूप, निरंजन आर्य और उषा शर्मा मुख्य सचिव बनाए गए हैं. अब उषा शर्मा के रिटायरमेंट के बाद जिसे भी इस कुर्सी पर बैठाया जाएगा वे गहलोत सरकार में 5 वें मुख्य सचिव होंगे.
राजस्थान में नौकरशाही की सबसे बड़ी कुर्सी की दौड़ शुरू हो चुकी है. राजस्थान की मुख्य सचिव उषा शर्मा इसी माह 30 जून को रिटायर हो रही हैं. लिहाजा राजस्थान का अगला मुख्य सचिव कौन होगा? इसके लिए रेस शुरू हो चुकी हैं. मुख्य सचिव उषा शर्मा का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर गहलोत सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है. फिलहाल इसको लेकर नौकरशाही में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. अगर उषा शर्मा को एक्सटेंशन नहीं मिलता है तो मुख्य सचिव बनने की रेस में भारतीय प्रशासनिक सेवा अफसर लॉबिंग में जुटे हैं.
सीएस की रेस में सबसे पहले नंबर पर वीनू गुप्ता का नंबर आ सकता है और दूसरी चॉइस एसीएस सुबोध अग्रवाल हो सकते हैं. हालांकि सरकार किसी भी सीनियर आईएएस को यह जिम्मा सौंप सकती हैं. ऐसे में शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह, अभय कुमार या अखिल अरोड़ा भी हो सकते हैं. संयोग कुछ ऐसा बन रहा है कि उषा शर्मा के बाद सबसे सीनियर अधिकारी महिला IAS वीनू गुप्ता हैं. सीएम अशोक गहलोत की सरकार में पिछले 4 सालों से जिस तरह के पदों पर वीनू गुप्ता पदस्थ रही हैं. उससे वे मुख्य सचिव की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं. अगर उनके नाम की घोषणा होती है लगातार दूसरी महिला मुख्य सचिव होगी और राजस्थान पहला राज्य होगा, जहां तीसरी बार महिला मुख्य सचिव होंगी. इतना ही नहीं राजस्थान में यह पहला मौका होगा जबकि पति और पत्नी दोनों मुख्य सचिव बने हो.
दूसरे नंबर पर आईएएस सुबोध अग्रवाल जो वर्तमान में जलदाय और जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं और दिसंबर 2025 में रिटायर होंगे. इससे पहले वे बिजली और खान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे हैं. उन्हें मुख्य सचिव की रेस में करीब डेढ़ साल पहले तब भी माना जा रहा था, जब उषा शर्मा को मुख्य सचिव बनाया गया था. उनके पास हमेशा महत्वपूर्ण विभाग रहे हैं, ऐसे में वह सीएम के नजदीक बने रहते हैं. उन्हें इस सबसे बड़ी कुर्सी की रेस में प्रमुख दावेदार माना जा रहा है.
तीसरे नंबर पर शुभ्रा सिंह साल 1988 बैच की आईएएस हैं और प्रदेश काडर में उनकी सीनियरिटी चौथे नंबर है. वे पिछले 12 सालों से दिल्ली में ही रही हैं. हाल में वहां राजस्थान की रेजिडेंट कमिश्नर थीं. अब वे दिल्ली से जयपुर लौटी हैं. उनका लौटना ही सबको चौंका रहा है कि अगर उन्हें सीएस नहीं बनाया जा रहा है, तो फिर उन्हें दिल्ली से वापस जयपुर क्यों लाया गया है? सचिवालय के गलियारों में यह चर्चा है कि शुभ्रा सिंह, जिनका सीएस के लिए पिछले 10 सालों में कभी एक बार भी नाम तक नहीं चला वे ठीक दो महीने पहले जयपुर क्यों लौटी हैं?
वहीं 1991 बैच के आईएएस अभय कुमार फिलहाल पंचायत राज विभाग और खा्र विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं. इससे पहले वह सीएम गहलोत के विभाग गृह के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे. उनका वहां से तबादला हुआ और पंचायती राज विभाग मिला. मेरिट के हिसाब से मुख्य सचिव बनने में उनकी सीनियरिटी का ग्राफ थोड़ा नीचे जरूर है. क्योंकि उषा शर्मा के रिटायर होने के बाद भी 9 अफसर उनसे सीनियर हैं.
1993 बैच के आईएएस अफसर और वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं अखिल अरोड़ा. उनका नंबर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में 12वें नंबर की सीनियरिटी पर है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि सीएम गहलोत की निजी पसंद की लिस्ट में उनका नंबर पहला है. वह पिछले चार साल से वित्त विभाग संभाल रहे हैं और यह पहला अवसर है, जब राजस्थान की वित्तीय-आर्थिक स्थिति बहुत समृद्ध है. सीएम अपनी जिन फ्लैगशिप योजनाओं को पूरा कर चुके हैं और जिन्हें पूरा करना चाह रहे हैं. उनकी कामयाबी में अरोड़ा के वित्तीय प्रबंधन की खास भूमिका रही है. ऐसे में सीएम उन्हें 11 अफसरों के ऊपर से लाकर सीधे सीएस की कुर्सी पर बैठा सकते हैं. करीब तीन साल पहले सीएम गहलोत ने अपने पसंदीदा अफसर निरंजन आर्य के मामले में ऐसा ही किया था. गहलोत ने आर्य को उनसे सीनियर 10 अफसरों की मौजूदगी के बावजूद सीएस बना दिया था. गहलोत अरोड़ा के लिए भी ऐसा कर सकते हैं.
1-वीनू गुप्ता-1987 बैच की आईएएस ऑफिसर और सबसे सीनियर-प्लस फैक्टर
-वीनू गुप्ता वर्तमान में उद्योग विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS)हैं
उद्योग-निवेश एक ऐसा विभाग है, जहां कोई भी सीएम अपने विश्वस्त अफसर को ही कमान सौंपते हैं
वीनू गुप्ता के साथ कोई राजनीतिक-प्रशासनिक विवाद भी नहीं है और वे उषा शर्मा के बाद ब्यूरोक्रेसी में दूसरे नंबर पर हैं
पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की पत्नी हैं, दोनों सरकारों में सीएस के पद पर रहे
मुख्य सचिव पद से रिटायर्ड होने पर गहलोत ने उन्हें कुछ समय के लिए अपना सलाहकार भी बनाया था
और बाद में उन्हें राजस्थान का मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) नियुक्त किया गया
वीनू गुप्ता के पास सीएस के हिसाब से PWD,उद्योग, खान, चिकित्सा ACS जैसे पदों पर प्रोफाइल अच्छा
सीएस जैसे अहम पद पर नियुक्ति के साथ नई सरकार आने पर हटाकर नए सीएस की नियुक्ति को लेकर जो आशंका रहती है
वह नहीं रहेगी क्योंकि वीनू का दिसंबर 2023 में रिटायरमेंट है
उन्हें सीएस बनाया तो यह पहला मौका होगा जबकि पति और पत्नी दोनों सीएस बने हों
वरिष्ठता में उषा शर्मा के बाद दूसरे स्थान पर होने के चलते किसी को सचिवालय से बाहर नहीं जाना पडेगा
वीनू गुप्ता के सीएस बनने पर किसी सीनियर आईएएस को सचिवालय से बाहर नहीं करना पड़ेगा
वीनू गुप्ता को मुख्य सचिव बनया जाता हैं तो ये पहला मौका होगा जब एक महिला सीएस के बाद दूसरी महिला सीएस के रूप में कार्यभार संभाले
वीनू के सीएस बनने से अन्य दो अन्य सीनियर IAS के भविष्य में सीएस बनने के अवसर समाप्त नहीं होंगे
1-वीनू गुप्ता-1987 बैच की आईएएस ऑफिसर और सबसे सीनियर-माइनस फैक्टर
दूसरा पहलू ये भी हैं की वीनू गुप्ता को सीएस बनाया तो एक ही परिवार को बार-बार उपकृत करने के आरोप लग सकते हैं
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2-डॉ.सुबोध अग्रवाल-1988 बैच-सीनियरिटी में दूसरे नंबर पर-प्लस फैक्टर
सुबोध अग्रवाल वरिष्ठता में तीसरे नंबर पर हैं
वर्तमान में जलदाय और जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं
गहलोत के सबसे भरोसेमंद अफसरों में शामिल हैं
खान एवं पेट्रोलियम में रहते हुए रिकॉर्ड रेवेन्यू कलेक्शन सरकार को दिया,इस लिहाज से उनको मौका मिल सकता
सीएस पद के लिए तीनों प्रमुख दावेदारों में इनकी प्रोफाइल बेहतर मानी जा रही
पूर्व में जब निरंजन आर्य सीएस थे तब खुद के सीनियर होते हुए भी उनके साथ सचिवालय में काम करना अच्छा माना गया
रिजल्ट ओरिएंटेड होना। खासतौर पर खान विभाग में अच्छे राजस्व की उपलब्धि,
2-डॉ.सुबोध अग्रवाल-1988 बैच-सीनियरिटी में दूसरे नंबर पर-माइनस फैक्टर
हाल ही में सांसद किरोडीलाल मीणा ने JJM में टेंडरों में भ्रष्टाचार की शिकायत उनके आडे आ सकती हैं
इन आरोपों के बीच उन्हें सीएस बनाया जाता हैं तो भाजपा घेर सकती है
रिटायरमेंट दिसंबर 2025 में होने के चलते उनके आगे सीएस बन सकने की संभावना समाप्त नहीं होंगी
ऐसे में हो सकता हैं किरोडी के आरोपों के बाद सरकार फिलहाल उन्हें सीएस नहीं बनाएं
सुबोध को सीएस बनाया गया तो वीनू गुप्ता को सचिवालय से बाहर पोस्टिंग देनी पड़ेगी
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3-शुभ्रा सिंह-1989 बैच-सीनियरटी में चौथे नंबर पर -प्लस फैक्टर
शुभ्रा सिंह को दिल्ली से राजस्थान लाया गया तब से सीएस बनाने की चर्चा छिडी
वर्तमान में मुख्य सचिव उषा शर्मा की भरोसेमंद।
अपने पति को शुभ्रा एक किडनी दे चुकी हैं, ऐसे में उन्हें सीएस बनाकर दिया जा सकता अच्छा संदेश।
एक महिला सीएस के बाद दूसरी महिला सीएस बने इसका बेहतर मौका।
3-शुभ्रा सिंह-1989 बैच-सीनियरटी में चौथे नंबर पर-माइनस फैक्टर
राजस्थान सरकार में ज्यादा समय अहम पदों पर नहीं रहीं।
शुभ्रा सिंह ने ज्यादातर समय दिल्ली में ही बिताया है।
शुभ्रा के हेल्थ इश्यूज भी नेगेटिव फेक्टर।
रिटायरमेंट जनवरी 2026 में होने के चलते आगे सीएस बन सकने की संभावना है जिसके चलते संभवतः उन्हें अभी सीएस न बनाया जाए।
उन्हें सीएस बनाया गया तो वरिष्ठ आईएएस वीनू गुप्ता और सुबोध अग्रवाल को सचिवालय से बाहर पोस्टिंग देनी पड़ेगी।
उधर राजस्थान के मुख्य सचिव की कुर्सी की रेस में देखा जाए तो टॉप-10 सीनियर आईएएस अफसरों में से 6 दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं. सभी की प्रतिनियुक्ति की समयावधि खत्म होने में अभी एक से तीन साल बकाया हैं. उनमें से किसी भी अफसर की सेवाएं राज्य सरकार ने अब तक वापस नहीं मांगी हैं. उषा शर्मा भी मुख्य सचिव बनने से पहले दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर ही थीं. लेकिन उनकी सेवाएं तीन महीने पहले (30 जनवरी-2022 से पहले अक्टूबर-2021) वापस मांग ली गई थी. दिल्ली में प्रतिनियुक्ति वाले किसी भी आईएएस अफसर की सेवाएं वापस मांगने की लंबी प्रक्रिया है और केंद्र व राज्य सरकार दोनों की सहमति की जरूरत पड़ती है. किसी दूसरे अफसर के लिए यह प्रक्रिया अब तक राज्य सरकार ने नहीं की है. जिसे तीन महीने पहले (30 जून-2023 से) शुरू करना चाहिए था. ऐसे में दिल्ली में पदस्थ आईएएस अफसरों को अब इस रेस में शामिल नहीं माना जा रहा है.
केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में गए अफसरों में से कोई भी फिलहाल राजस्थान लौटने के लिए इच्छुक भी नहीं है. वरिष्ठ अधिकारियों में वी श्रीनिवास, रोहित कुमार सिंह, संजय मल्होत्रा, सुधांश पंत केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर है. एसीएस राजेश्वर सिंह रेवेन्यू बोर्ड अजमेर में अध्यक्ष है. एसीएस अभय कुमार ही सीनियर अधिकारी हैं, जो सचिवालय में तैनात हैं. राजस्थान में पहली बार मुख्य सचिव की सबसे ऊंची कुर्सी पर वर्ष 2009 में महिला आईएएस अफसर कुशल सिंह नियुक्ति हुई थी. तब भी सीएम अशोक गहलोत ही थे. गहलोत की तब पूरे देश में सराहना हुई थी कि उन्होंने इस भ्रम को तोड़ा कि ब्यूरोक्रेसी की सबसे ऊंची कुर्सी केवल पुरुषों के लिए ही होती है. एक बार फिर गहलोत ने ही बतौर सीएम जनवरी-2022 में उषा शर्मा को दिल्ली से लाकर मुख्य सचिव बनाया. देश में दो बार महिला मुख्य सचिव केवल राजस्थान में ही बनी हैं.
विधानसभा चुनाव में अब केवल पांच-छह महीने शेष हैं. वीनू गुप्ता का रिटायरमेंट भी दिसंबर-2023 में होना है. ऐसे में सीएम गहलोत एक बार महिला सशक्तिकरण की भावना के साथ ब्यूरोक्रेसी की सबसे ऊंची कुर्सी महिला आईएएस अफसर को सौंप सकते हैं. गौरतलब हैं की वैसे तो सीएस की पोस्ट ब्यूरोक्रेटिक सीनियरिटी के हिसाब से ही तय होती है. फिर भी हर मुख्यमंत्री अपनी निजी पसंद और सोशल-पॉलिटिकल परिस्थितियां भी अपनी भूमिका निभाते ही हैं. मेरिट में जो अफसर टॉप पर होते हैं, उन्हें सुपरसीड करके भी किसी को बना दिया जाता है. क्योंकि वो सरकार की जातिगत, क्षेत्रवाद और राजनीति संबंधी सोच और संदेश को मजबूत करता है.
बहरहाल, इस कुर्सी पर अभी उषा शर्मा काबिज हैं, जो 30 जून को रिटायर होने वाली हैं. इनके बाद इस कुर्सी पर किसी और आईएएस अफसर की नियुक्ति होगी. नियुक्ति पूरी तरह से सीएम अशोक गहलोत की इच्छा पर निर्भर करेगी. ब्यूरोक्रेसी में यही एकमात्र ऐसी कुर्सी है. जिसके लिए कोई तय नियम-कायदे नहीं हैं. अब चुनावी साल है ऐसे में सीएम उन्हें सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठाकर प्रशासनिक मशीनरी की तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत हो सकते हैं. वह ऐसा करना भी चाहेंगे क्योंकि चुनावी साल में उनका ध्यान, समय और ऊर्जा राजनीतिक कार्यों में ज्यादा खर्च होगी. ऐसे में उन्हें प्रशासनिक स्तर पर कोई मजबूत और अनुभवी अफसर की सख्त आवश्यकता है.
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