हर घर नल कनेक्शन के कार्यों में गति के साथ गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दें: ACS
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हर घर नल कनेक्शन के कार्यों में गति के साथ गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दें: ACS

एसीएस ने कहा कि प्रदेश के गांवों में 'हर घर नल कनेक्शन' और सभी घरों में नल कनैक्शन वाले गांवों की संख्या में लक्ष्य के अनुरूप बढ़ोतरी राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jaipur: जलदाय विभाग (Water supply department) के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधांश पंत (Sudhanshu Pant) ने अधिकारियों को प्रदेश में जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत 'हर घर नल कनेक्शन' के कार्यों में गति के साथ गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान देने के निर्देश दिए हैं. 

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उन्होंने कहा कि कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी स्तरों से सतत मॉनिटरिंग और 'थर्ड पार्टी इंस्पैक्शन' सहित ऐसे सभी तरीके अपनाए जाए, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जनता को लम्बी अवधि तक बिना किसी व्यवधान के पेयजल आपूर्ति का लाभ मिल सके.   

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उन्होंने कहा कि कार्यों की स्वीकृतियां समय पर जारी करने से लेकर लोगों को 'हर घर नल कनेक्शन' का वास्तविक लाभ देने तक सभी निर्धारित नार्म्स की पालना की जाए. सभी प्रक्रियाओं में पूरी सावधानी रखें ताकि कहीं किसी तकनीकी खामी की वजह से स्वीकृतियों में अनावश्यक विलम्ब नहीं हो. 

लक्ष्यों पर पूरा फोकस
एसीएस ने कहा कि प्रदेश के गांवों में 'हर घर नल कनेक्शन' और सभी घरों में नल कनैक्शन वाले गांवों की संख्या में लक्ष्य के अनुरूप बढ़ोतरी राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसको प्राप्त करने के लिए राज्य स्तरीय क्रियान्वयन टीम के अधिकारी अपने स्तर पर उचित रणनीति को अपनाते हुए फील्ड में कार्यरत अधिकारियों की प्रगति की मॉनिटरिंग करें. राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) की बैठकों में जारी स्वीकृतियों की तुलना में तकनीकी स्वीकृतियां और निविदाओं के बकाया कार्य को पूरा कर सभी कार्यादेश शीघ्रता से जारी करे, जिससे 'हर घर नल कनेक्शन' के कार्यों में गति आए. 

वाटर रिजर्वेशन पर लिया फीडबैक
पंत ने बैठक में अधिकारियों के साथ स्वीकृत परियोजनाओं के लिए जल स्रोत की उपलब्धता के बारे में भी विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं के लिए स्थाई स्रोत उपलब्ध नहीं है, वहां जेजेएम की गाइडलाइन के अनुसार वैकल्पिक व्यवस्था के सम्बंध में आवश्यक कार्यवाही करें. उन्होंने पेयजल परियोजनाओं के लिए 'वाटर रिजर्वेशन' के बारे में गत दिनों जल संसाधन विभाग के साथ आयोजित समन्वय बैठक में दिए गए निर्देशों के बारे में सम्बंधित जिलों में प्रोजेक्ट विंग के अधिकारियों द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में भी फीडबैक लिया. इस सम्बंध में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की अगली साझा बैठक जल्द ही आयोजित होगी. 

13 जिलों में लगभग सभी तकनीकी स्वीकृतियां जारी
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) की बैठकों में पूर्व में 9101 गांवों के लिए मंजूर पेयजल योजनाओं की तुलना में अब तक 7096 गांवों की तकनीकी स्वीकृतियां (करीब 80 प्रतिशत) तथा 5184 (लगभग 57 प्रतिशत) गांवों की निविदाएं जारी की गई हैं. जयपुर, चूरू, बूंदी, बारां, दौसा, झुंझुनू, बांसवाड़ा, टोंक, धौलपुर, सीकर, अलवर, भीलवाड़ा एवं भरतपुर में लगभग सभी तथा उदयपुर में 95 प्रतिशत व राजसमंद में 92 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियां जारी कर दी गई हैं. 

वहीं, कम प्रगति वाले जिलों में जैसलमेर में 72 प्रतिशत, जालौर में 68 प्रतिशत, अजमेर में 65 प्रतिशत और श्रीगंगानगर, पाली एवं करौली में 43-44 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियों का कार्य शेष है. इसी प्रकार मेजर प्रोजेक्ट्स के तहत स्वीकृत परियोजनाओं में अब तक 2666 गांवों की तकनीकी स्वीकृतियां और 1500 गांवों की निविदाएं जारी की गई हैं. 

 

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