जैसलमेर में मिशाल बना बेटी के लिए एक पिता का ये प्यार, अपनी लाड़ली के नाम पर खुद की देह को कर दिया दान
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1513771

जैसलमेर में मिशाल बना बेटी के लिए एक पिता का ये प्यार, अपनी लाड़ली के नाम पर खुद की देह को कर दिया दान

Jaisalmer: राजस्थान के जैसलमेर से एक पिता और बेटी के प्रेम की अनूठी कहानी सामने आई है, जहां पिता ने अपनी बेटी को खोने के बाद खुद के जीवन को दान कर दिया. इस दौरान  होमगार्ड जवान प्रेम कुमार ने बेटी  की तीसरी पूण्यंतिथि पर रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जहां 25 लोगों ने रक्त दान किया.

 

जैसलमेर में मिशाल बना बेटी के लिए एक पिता का ये प्यार, अपनी लाड़ली के नाम पर खुद की देह को कर दिया दान

Jaisalmer: एक समय था जब जैसलमेर में बेटी के जन्म तक को अभिशाप माना जाता था, जिसके तत्कालिक कारण भी रहे होंगे. लेकिन अब समय व दृष्टिकोण बदल चुका है, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा जहां बालिका संरक्षण के लिए समय-समय पर प्रयास किए जा रहे हैं, वही जैसलमेर की बेटियां भी देश-विदेश में उच्च पदों पर सेवाएं देकर जिले का नाम रोशन कर रही हैं.

वहीं, अभिभावक भी अब बेटे-बेटी में कोई भेद नहीं समझते हैं. इसी कड़ी में आज एक अनूठी पहल एक पिता ने की है, जिसको सुन हर कोई हैरान गौरंवति हो रहा है.
जैसलमेर के छप्पर पाड़ा निवासी और होमगार्ड जवान प्रेम कुमार ने अपनी बेटी तमन्ना की तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर जहां हर बार की तरह इस बार भी स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया. जिसमें प्रेम कुमार के परिजनों व रिश्तेदारों ने काफी संख्या में पहुंच रक्तदान किया.

 करीब 25 लोगों ने रक्तदान किया. वहीं, उन्होंने अपनी बेटी को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए देहदान तक का भी निर्णय ले लिया. उन्होंने जोधपुर के एक प्रतिष्ठित चिकित्सालय में अपनी मृत्यु के पश्चात देहदान करने का प्रमाण पत्र भी हासिल कर लिया है.

प्रेम कुमार ने जानकारी देते हुए बताया है कि मेरी बच्ची की पुण्यतिथि पर में हर साल रक्तदान का शिविर आयोजन करता हूं. ताकि अस्पताल में आने वाले इमरजेंसी केस व अन्य केसों में रक्त की जरूरत पड़ती है, तो रक्तदान से किसी की जान बच पाए इसलिए मैं सभी युवाओं से अपील करुंगा कि वह रक्तदान करें. वह उस रक्त से किसी ने किसी व्यक्ति की जान बचती है. 

इसी को लेकर मैं अपनी बच्ची की पुण्यतिथि पर हर साल रक्तदान शिविर का आयोजन करता हूं और वह मैंने इस बार रक्तदान शिविर के अलावा मैंने दे दान की भी सोचा और मैंने इसको लेकर देह दान का रजिस्ट्रेशन करवाया. मैंने सोचा कि मरने के बाद अगर मेरे देह से किसी की व्यक्ति के जीवन में काम आए तो उसे बड़ा कोई पुण्य नहीं होगा.

Reporter- Shankar Dan

ये भी पढ़ें- IPS असलम खान है कृष्ण भगवान की बड़ी भक्त, जयपुर के गोविन्द देवजी मंदिर से है ये नाता​

 

Trending news