Jaisalmer news: राजस्थान में मौसम का असर साफ तौर पर देखा जा सकता है. अब पड़ने वाली कड़ाके ठंड किसानों के लिए चुनौती बन चुकी है, फसलों बचाना मुश्किल हो रहा है.
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Jaisalmer news: तेज सर्द हवाओं के बीच कड़ाके की ठंड के मौसम में रात के समय जब सर्दी का पारा जमाव बिंदु पर हो,उस दौरान कोई व्यक्ति घर से निकलने में ही कतरा जाता है. इस खून जमा देने वाली ठंड में भी देश का अन्नदाता किसान खुले आसमान तले बर्फ समान ठंडे पानी से फसल की सिंचाई कर उसे बचाने का प्रयास कर रहा है. कुछ ऐसे ही हालात है ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित खेतों पर. हाड़ कंपकंपा देने वाली इस सर्दी में किसान फसलों की रखवाली करता देखा जा सकता है.
गौरतलब है कि गत एक पखवाड़े से पश्चिमी राजस्थान का सर्दी अपना कहर बरपा रही है.इस कड़ाके की ठंड में आमजन का बेहाल हो रहा है.इस सर्दी के बाद भी किसान रात के समय खेतों व नलकूपों पर सिंचाई कर रहे हैं. कड़ाके की ठंड में बीमारी की परवाह किए बगैर किसान रात में खेतों में फसलों की सुरक्षा करते देखे जा सकते हैं.
लाठी क्षेत्र में बड़ी संख्यां में नलकूप है.विशेष रूप से लाठी,धोलिया,सोढाकोर,लोहटा,केरालिया,डेलासर,धायसर आदि गांवों में बड़ी संख्या में नलकूपधारी किसान है.नलकूपों पर डिस्कॉम की ओर से बारी के अनुसार विद्युत आपूर्ति की जाती है.कई जगहों पर इस कड़ाके की ठंड के मौसम में मध्यरात्रि व अलसुबह विद्युत आपूर्ति हो रही है.
इन दिनों सर्दी का पारा जमाव बिंदु व उससे नीचे पहुंच रहा है,नलकूपों व खेतों में जमीन में नमी होने तथा सिंचाई के लिए पानी ठंडा होने के कारण कड़ाके की ठंड का असर बढ़ जाता है.ऐसी ठंड में फसल को बचाने तथा पैदावार बढ़ाने के लिए किसान देर रात तक उठकर खेतों में जाते है सिंचाई करते है,ताकि मेहनत व धनराशि खर्च कर बोई गई फसल को बचाया जा सके.
इन दिनों सर्दी का असर इतना अधिक है कि यदि पानी को खुले में रात को रख दिया जाए,तो सुबह तक बर्फ जम जाती है.इस कड़ाके की सर्दी में बिजली आने पर खेतों में जाना,नलकूप को शुरू करना तथा एक क्यारी में सिंचाई होने के बाद अगली क्यारी में पाइप को बदलना.ये सब किसानों के लिए मुश्किल हो रहा है. बावजूद इसके किसान अपनी जान को जोखिम में डालकर बीमारी की परवाह किए बगैर सिंचाई कर रहे है.
क्षेत्र के लाठी कस्बा निवासी किसान दीपाराम बताते हैं कि रात के समय तेज शीतलहर व कड़ाके की ठंड में घर से निकलना मुश्किल होता है. हजारों रुपए की राशि खर्च कर फसल बुआई करने व मेहनत के बाद भी यदि फसल जल जाती है,तो एक सीजन पूरी तरह से निकल जाती है.ऐसे में कड़ाके की ठंड में भी फसल की रखवाली व सिंचाई करनी पड़ती है.
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