Jalore के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने का मामला, MLA रविन्द्रसिंह भाटी ने महिलांओं के आंसू देखकर...'
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Jalore के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने का मामला, MLA रविन्द्रसिंह भाटी ने महिलांओं के आंसू देखकर...'

Rajasthan News: Jalore के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने के मामले में MLA रविन्द्रसिंह भाटी का बड़ा बयान सामने आया है. जानिए उन्होंने क्या कहा?

ravindra bhati

Encroachment in Odwada Jalore: जालोर जिले के आहोर उपखंड के ओडवाड़ा गांव में हाईकोर्ट के आदेश पर अतिक्रमण हटाने के मामले में शिव विधायक रविन्द्रसिंह भाटी ने ( MLA Ravindra Singh Bhati)ओडवाड़ा गांव पहुंच कर पीड़ित ग्रामीणों से मुलाकात की.

इस दौरान भाटी ने पीड़ितों की हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाने की बात कही.उन्होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से पैरवी कर मौके की स्थिति को स्पष्ट करे. भूमि के हस्तांतरित-स्थानांतरित नियम अपनाना चाहिए जिससे लोगों को राहत मिले.

भाटी ने कहा,'' प्रशासन का सिस्टम कहीं ना कहीं फेल रहा इसी वजह से आमजन इस तरह से परेशान हुए. अगर पैरवी सही से हुई होती तो आज स्थितियां ये नहीं होती. तमाम परिवारों के साथ में हम मजबूती से खड़ें हैं.''

भाटी से मुलाकत करते समय स्थानीय महिलाओं की आंख से आंसू निकल पड़े. भाटी ने इस दौरान कहा कि वह मदद के लिए आएं हैं.मदद के हरसंभव प्रयास किए जाएंगे.

क्या है पूरा मामला 

दरअसल, इस पूरे मामले की शुरुआत 3 साल पहले हुई थी. ओडवाड़ा गांव के दो भाई मुकेश पुत्र मुल्लसिंह राजपुरोहित और महेंद्रसिंह पुत्र बाबूसिंह राजपुरोहित में जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था. विवाद होने के बाद दोनों भाई जमीनी मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए. दोनों भाईयों के जमीन का नाप हुआ. जिसमें हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूरे ओडवाड़ा गांव की जमीन को ही ओरण भूमि बताया. 

ओडवाड़ा गांव की करीब 440 घर ओरण भूमि पर बने हुए हैं. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ओडवाड़ा गांव के 440 घर ओरण भूमि में बने हैं. इसको लेकर पूर्व में कोर्ट के आदेश पर प्रशासन की ओर से पहले भी इन सभी घरों पर क्रॉस का निशान लगाकर चिन्हित किया गया था. मालिकों को घर खाली करने के नोटिस भी जारी किए गए थे. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद फिर से 2 मई को तहसीलदार ने सभी को नोटिस जारी किए.

मामले को लेकर क्या है अपेडट

राजस्थान हाई कोर्ट ने जालोर के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा- दस्तावेजों का करें वेरीफिकेशन, संपूर्ण जांच प्रक्रिया के बाद कार्रवाई करें तब तक किसी प्रकार का  अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा. जस्टिस विनीत माथुर की कोर्ट ने ग्रामीणों को राहत दी है. अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने बाबू सिंह व अन्य की ओर से कोर्ट में पक्ष रखा. 

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