जालौर का महर्षि जाबालि के नाम पर रखा गया है. महर्षि जाबालि की तपस्थली होने के कारण जालौर का नाम अनेक शिलालेखों, अभिलेखों , प्राचीन संस्कृत और प्राकृत साहित्य में भी मिला है. महर्षि जाबालि एकमात्र ऋषि हैं जिनके नाम पर दो शहर बसे हैं
Trending Photos
Bhinmal : जालोर के भीनमाल में आज ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर उपनिषदों के रचनाकार, ऋषिराज महर्षि जाबालि जी की जन्म जयंती पर संस्कृति शोध परिषद्, जालोर के तत्वाधान में जालोर के आराध्य ऋषिराज जाबालि के मुख्य आवरण चित्र वाली और जालोर जिले के ऐतिहासिक सांस्कृतिक शक्तिपीठों, द्वादश ज्योतिर्लिंग, जालौर के गौरव, धरोहरों की चित्रमयी जानकारी वाली जालौर डायरी का विमोचन किया गया.
राजस्थान में घूम रहे नरपिशाच, 80 साल की बुजुर्ग के साथ हुई दरिंदगी सुनकर कांप जाएगी रूह
विमोचन, अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश, भीनमाल गोपाल सैनी बार एसोसिएशन, भीनमाल अध्यक्ष मदन सिंह राव, संस्कृति शोध परिषद, जालौर के अध्यक्ष अशोक सिंह ओपावत के हाथों हुआ. न्यायालय परिसर में स्थित मामाजी मंदिर प्रांगण में किया गया. इस दौरान एडवोकेट रघुनाथ सियाग शैलेंद्र सिंह राठौड़, नगरपालिका के विधि सलाहकार, शिव नारायण विश्नोई, भंवरपाल सिंह, रोहिन रामनिवास, भादू सत्यवान सिंह, राजपुरोहित जोधाराम देवासी, अभय सिंह राव, हेमाराम देवासी और नारायण लाल मौजूद रहे.
जोधपुर की बेटी सुहासिनी ने रचा इतिहास, केंद्रीय मंत्री पिता का सीना हुआ चौड़ा
जालौर का महर्षि जाबालि के नाम पर रखा गया है. महर्षि जाबालि की तपस्थली होने के कारण जालौर का नाम अनेक शिलालेखों, अभिलेखों , प्राचीन संस्कृत और प्राकृत साहित्य में भी मिला है. महर्षि जाबालि एकमात्र ऋषि हैं जिनके नाम पर दो शहर बसे हैं. राजस्थान का जालौर और मध्यप्रदेश का जबलपुर
महर्षि जाबालि के नाम पर 6 उपनिषद हैं, यहीं नहीं साधना के आधार पर अनेक ऋषियों को राजर्षि, ब्रह्म ऋषि देव ऋषि के नाम से संबोधित किया जाता है, वहीं महर्षि जाबालि जी एकमात्र ऋषि हैं, जिनको ऋषिराज कहा गया है. मानव के जीवन को 100 साल का मानकर, उसमें ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम ,वानप्रस्थ आश्रम और सन्यास आश्रम में विभाजन का पहला उल्लेख जाबालोपनिषद में मिलता है.
रिपोर्टर- डूंगर सिंह
जालोर की खबरों के लिए यहां क्लिक करें