Jhunjhunu News Sultana iron handicrafts Demand increased in foreign markets
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Jhunjhunu News Sultana iron handicrafts Demand increased in foreign markets

Jhunjhunu News: किसी प्रदेश और देश की तरक्की में लघु उद्योगों का भी बड़ा हाथ होता है. झुंझुनूं जिले के सुल्ताना कस्बे के कारीगरों ने अपने हुनर के दम पर अपनी माटी को सात समंदर पार विशेष पहचान दिलाई है. वर्तमान में करीब 100 परिवार लोहे के तार से हैंडीक्राफ्ट के आइटम बना रहे हैं तो करीब 200 परिवार लोहे से बर्तन बनाने के काम में जुटे हैं. 

Jhunjhunu News Sultana iron handicrafts Demand increased in foreign markets

Jhunjhunu News: किसी प्रदेश और देश की तरक्की में लघु उद्योगों का भी बड़ा हाथ होता है. झुंझुनूं जिले के सुल्ताना कस्बे के कारीगरों ने अपने हुनर के दम पर अपनी माटी को सात समंदर पार विशेष पहचान दिलाई है. वर्तमान में करीब 100 परिवार लोहे के तार से हैंडीक्राफ्ट के आइटम बना रहे हैं तो करीब 200 परिवार लोहे से बर्तन बनाने के काम में जुटे हैं. खास बात है कि इन आइटम्स में वेल्डिंग नहीं होती है. सुलताना के कारीगरों द्वारा बनाई कलात्मक चीजें इटली, फ्रांस, जर्मनी, अमेरिका, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, कनाडा तक पहुंच रही हैं. 

10 करोड़ के हैंडीक्राफ्ट का होता है कारोबार 
रिपोर्ट्स की मानें, तो सुल्ताना कस्बे में सालाना करीब 10 करोड़ रुपए का लोहे का हैंडीक्राफ्ट और करीब 20 करोड़ का रुपए के लोहे के बर्तनों का कारोबार होता है. सुल्ताना कस्बे में बनने वाली इन सजावटी वस्तुओं की खासियत यह है कि इनमें वेल्डिंग नहीं होती. लोहे के पतले व कुछ मोटे तारों से यह बनाए जाते हैं. इन्हें आकृति में ढालने के लिए कोई सांचे या मशीनें भी नहीं हैं. यह सारा काम हाथों से ही होता है. इसलिए इनकी बनावट में एंटीक पीस जैसा लुक आता है, जो इन्हें खूबसूरत भी बनाता है और कुछ अलग भी. 

लोहे की कारीगरी से है सुल्ताना की पहचान
इनकी यही खासियत इन्हें विदेशों में एक अलग पहचान दिला रही है. करीब 40 हजार की आबादी वाले सुल्ताना कस्बे की पहचान लोहे की कारीगरी से ही है. यहां लोहे की कई कलात्मक वस्तुएं बनाई जाती हैं. यहां रामगढ़ शेखावाटी, जोधपुर और जयपुर से हैंडीक्राफ्ट सामान के एजेंट आते हैं. दो दशक से लोहे के तारों से कलात्मक सामान बनाने वाले सुल्ताना के सद्दाम ने बताया कि जोधपुर के एजेंट से इंग्लैंड के लिए बड़ा ऑर्डर मिला था. 

सुल्ताना की इन चीजों की है विदेशों में मांग 
इसके बाद विदेशों में डिमांड बढ़ती गई. उनके यहां लोहे के तार से बने झूमर, लैंप स्टैंड, कुर्सी-डाइनिंग टेबल, टोकणी, पशु-पक्षियों के ढांचे विदेशियों द्वारा खूब पसंद किए जाते हैं.लोहे के कलात्मक साजो सामान बनाने वाले कारीगरों की मांग हैं की सरकार उनकी मदद करे तो उनकी कलाकृतियों को और पसंद किया जाएगा. सुल्ताना कस्बे के कारीगर कलात्मक साजो सामान बनाने में तो माहिर हैं. लेकिन इनको सरकार की ओर से कोई विशेष मदद नहीं मिलती. इन्हें अपने बाजार की भी ज्यादा पहचान नहीं है. 

एजेंटों के जरिए बाजार तक पहुंचता है सामान 
एजेंटों के जरिए इनका सामान बाजार तक पहुंचता है. दिल्ली में होने वाले ट्रेड फेयर में कला का प्रदर्शन करवाने के लिए ये कारीगर बहुत कोशिश करते हैं. लेकिन स्थानीय स्तर पर आज तक प्रशासनिक से मदद नहीं मिली. जिसके चलते एजेंटों के माध्यम से ही आज भी अपना कलात्मक सामान बेच रहे हैं .अगर सरकार और प्रशासन की और से इन कारीगरों को मदद मिले तो इन्हें दिल्ली फेयर में मौका मिले और इन्हें सीधे आर्डर मिल सके.

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