Jhunjhunu News: झुंझुनू से रोजाना 50 से अधिक पिकअप गाड़ियां बॉर्डर पर पहुंच रही है और यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है इस कारोबार के लिए तस्करों की अच्छी सेटिंग है. यही कारण है कि तस्कर झुंझुनू के दो थानों और 4 चौकियों से बेखौफ होकर बॉर्डर पार पहुंच रहे हैं.
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Jhunjhunu News: वन विभाग सालाना लाखों रुपये खर्च करके पर्यावरण संरक्षण का संदेश तो देता हैं, लेकिन जिले में अंधाधुंध हो रही हरी लकड़ियों की तस्करी को रोकने में नाकाम साबित हो रहा हैं. झुंझुनूं के हरियाणा बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर हरी लकड़ियों का अवैध कारोबार हो रहा है. झुंझुनूं से उस पार यानी हरियाणा में रोजाना बड़ी संख्या में हरी लकड़िया बेचने के लिए ले जाई जा रही हैं. रोजाना गाड़िया उस पार पहुंच रही हैं. रात होते ही लकड़ी तस्करों के चांदी हो जाती है. ये वाहन रोजाना प्रशासन व विभाग को चकमा देकर अप्रोच रास्तों से गुजरते हैं.
आरा मशीनों तक गाड़ियां पहुंचाने में युवक पेट्रोलिंग करते वाहनों के आगे-आगे चलते हैं, गाड़ियों को सुरक्षित आरा मशीनों तक पहुंचाते है. यह सब प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है. इस कारोबार के लिए तस्करों की अच्छी सेटिंग है. झुंझनूं में अब तस्करों ने अपने फायदे के लिए हरे पेड़ों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है. खेतड़ी, गुढ़ा, उदयपुरवाटी, नवलगढ़ इलाके में यह काम बडे़ पैमान पर चल रहा है.
यहा हरे पेड़ो की अंधाधुन कटाई की जा रही है. झुंझुनूं से अवैध रूप से काटी गई हरी लकड़ियों की तस्करी बॉर्डर पार की जाती है. तस्कर लकड़ियों को चोरी छुपे हरियाणा के सिंघानी इलाके में लगने वाली लकड़ियों की मंडी में बेचने जाते हैं. राजस्थान के मुकाबले हरियाणा में लगने वाली मंडी में लकड़ियों के भाव में 5 से 6 रुपये प्रति किलो का फायदा तस्करों को होता है. इसी के चलते राजस्थान से हरी लकड़ियों की तस्करी हरियाणा में की जाती है. हरियाणा से अच्छे दामों में लकड़ी दिल्ली के होटलों और ढाबों पर सप्लाई की जाती है. डीएफओ आरके हुड़ा ने बताया कि साल 2022 में हरी लकड़ियों से भरी 17 गाड़ियों को जब्त किया था, उनसे बड़ा जुर्माना वसूला गया था.
तस्कर झुंझुनूं कई के थानो व चौकियों से बैखोफ होकर गुजर रहे हैं. अंधेरा होने के साथ ही लकड़ी तस्कर सक्रिय हो जाते हैं. पूरी रात भारी तादाद में पिकअप अन्य वाहनों में लादकर लाखों रुपये की अवैध हरी लकड़ी झुंझुनूं से भरकर हरियाणा के सिंघानी में आरा मशीनों पर डाली जाती है. सबसे बड़ी बात यह गाड़िया झुंझुनूं के दो पुलिस थाना व चार चौकियों से होकर गुजरती हैं. इतना ही नहीं सड़कों पर बेखौफ दौड़ने वाले लकड़ियों से भरे पिकअप व अन्य वाहन बिना नंबर प्लेट व शीशों पर काली फिल्म लगाकर पुलिस की आंखों में भी धूल झोंक रहे हैं.
लकड़ी तस्कर प्रशासन से बचने के लिए हर तीन महीने में रूट बदलते हैं. पहले झुंझुनूं के गुढ़ा से चिड़ावा होते हुए पिलानी, डुलानिया, पिपली से कच्चे रास्ते होते हुए हरियाणा में पहुंचते थे, लेकिन इन दिनों में तस्करों ने अपना रूट बदल दिया है. अब उदयपुरवाटी, गुढ़ा ,बालाजी चौकी, सुल्ताना, चनाना, गाड़ाखेड़ा व पिलोद होते हुए हरियाणा में प्रवेश कर रहे हैं. एसपी मृदुल कच्छावा ने बताया कि हरी लकड़ियों की तस्करी पर कार्रवाई करने का अधिकार वन विभाग का हैं. पूर्व में भी सूरजगढ़ और चिड़ावा पुलिस के सहयोग से प्रभावी कार्रवाई की गई है. वन विभाग से सामंजस्य स्थापित कर प्रभावी तरीके से कार्रवाई की जाएगी.
प्रशासनिक की मिली-भगत के चलते हरी लकड़ियों के तस्करों की चांदी है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर लकड़ियां बॉर्डर पार पहुंच रही हैं. वन विभाग हर साल लाखों रुपये खर्च कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश तो देता है, लेकिन हरी लकड़ियों के तस्करों पर कार्रवाई नहीं करने से तस्करों के हौसले बुलंद हैं. अब देखना यह होगा कि कब वन विभाग हरकत में आता है और इन तस्करों पर कार्रवाई करता है.
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