Surajgarh, Jhunjhunu News: राजस्थान के झुंझुनूं के भूरीवास गांव के जवान 32 वर्षीय नायक वीरेंद्र की गांव में सैन्य सम्मान से अंत्येष्टि की गई. जयपुर-कोटा नेशनल हाइवे 52 पर सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था.
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Surajgarh, Jhunjhunu News: राजस्थान के झुंझुनूं के भूरीवास गांव के जवान 32 वर्षीय नायक वीरेंद्र की गांव में सैन्य सम्मान से अंत्येष्टि की गई. जयपुर-कोटा नेशनल हाइवे 52 पर सड़क हादसे में उनका निधन हो गया था. वीरेंद्र सिंह पुत्र जय सिंह सेना में नायक पद पर जयपुर तैनात थे. सेना की टुकड़ी जवान के पार्थिव देह लेकर बुहाना पहुंची, यहां से युवा तिरंगा यात्रा के साथ गांव में पहुंचे, तो सन्नाटा पसर गया और घर में कोहराम मच गया.
पूर्व पंचायत समिति सदस्य मां सुमित्रा एकलौते बेटे का शव देखकर रो-रोकर बेसुध हो गई, जिसे जवानों और परिवार के सदस्यों ने संभाला है. अंतिम संस्कार से पहले वीरेंद्र को आर्मी और राजस्थान पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. सात साल के बेटे रौनक ने मुखाग्नि दी और इससे पहले चार चाल के बेटे मोनक ने जब अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया तो मौजूद लोगों की आंखें नम हो गई. मां सुमित्रा देवी ने आखिरी बार अपने बेटे का चेहरा देखा तो माहौल गमगीन हो गया. सूरजगढ़ विधायक सुभाष पूनियां, पूर्व सांसद संतोष अहलावत, भाजपा नेता विकास भालोठिया, जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि सोनू सोहली, पूर्व प्रधान नीता यादव, पूर्व उपप्रधान राजपालसिंह तंवर समेत अन्य ने पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए.
देवली से लौटते हुए हादसा
सड़क हादसा जयपुर-कोटा नेशनल हाइवे 52 पर हुआ था. सेवा जवान वीरेंद्र सिंह निजी काम से देवली से जयपुर लौट रहे थे और रास्ते में एक होटल पर खाना खाकर सड़क पर कार घुमाई तो जयपुर से कोटा की तरफ जा रहे ट्रेलर ने उनकी कार को टक्कर मार दी. टक्कर इतनी जोरदार थी कि वह स्टेयरिंग और सीट के बीच फंस गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों की मदद से जवान को बाहर निकाला और लहुलुहान हालत में अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने उनको मृत घोषित कर दिया. परिजन शव को लेकर पैतृक गांव भूरीवास पहुंचे, यहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया.
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2010 में सेना में हुए थे भर्ती
सेना में नायक पद पर तैनात वीरेंद्रसिंह 2010 में भर्ती हुए थे और वे अपने माता-पिता के एकलौते बेटे थे. पत्नी प्रियंकादेवी, सात साल का बेटा रौनक और चार साल का मोनक बेटा हैं और वे जयपुर ही रह रहे थे. वीरेंद्र के दादा हलवदार छलूराम और पिता सूबेदार जयसिंह भी सेना में सेवा दे चुके हैं.
Reporter: Sandeep Kedia
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