बाबा रामदेव समाधि के दर्शन करने रामदेवरा प्रतिवर्ष भादवा माह के शुक्ल पक्ष की एकम से एकादशी तक भव्य भादवा मेले का आयोजन होता है.
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Jaisalamer: बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने आज से 637 वर्ष पूर्व पश्चमी राजस्थान के रामदेवरा (Ramdevra) स्थित इसी पावन स्थान पर जीवित समाधि ली थी. इसके पश्चात से प्रतिवर्ष बाबा रामदेव की समाधि पर लोग आस्था और श्रद्धा के साथ दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. पहले जहां सैकड़ों लोग आते थे लेकिन वर्तमान समय में लाखों लोग बाबा की समाधि पर पूजा अर्चना करने और अपनी आस्था-मन्नत लेकर आते हैं. बाबा रामदेव ने 1442 विक्रंम संवत को आज के दिन समाधि ली थी, जिसके बाद आज तीसरी बार कोरोना (Corona) के चलते समाधि के पट बंद किए गए है. वहीं समाधि के दर्शन मुख्य द्वार के बाहर सीसीटीवी कैमरें और एलईडी के माध्यम करवाएं जा रहे है.
बाबा रामदेव समाधि के दर्शन करने रामदेवरा प्रतिवर्ष भादवा माह के शुक्ल पक्ष की एकम से एकादशी तक भव्य भादवा मेले का आयोजन होता है, जिसमें देश भर से 50 लाख से अधिक लोग दर्शन करने पहुंचते हैं. पिछले 2 वर्षों से कोरोना संक्रमण के कारण भादवा मेला आयोजित नहीं हो रहा है लेकिन शुक्रवार को देश के अलग-अलग स्थानों से पहुंचे लोगों ने समाधि स्थल के मुख्य द्वार से ही बाबा की समाधि के दर्शन कर अमन चैन और खुशहाली की कामना की.
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बाबा रामदेव कृष्ण भगवान के अवतार माने जाते हैं. वह अपने जीवन के 33 वर्ष पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने यहां पर जीवित समाधि ली थी. अपने जीवन काल के दौरान उन्होंने सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए छुआछूत भेदभाव मिटाने सहित जन हितार्थ कल्याण के कार्य किए थे. ऐसी धारणा और आस्था है कि बाबा के दर पर कोई भी खाली हाथ नहीं जाता है, जो लोग चारों तरफ से निराश हो जाते हैं वह अपनी अरदास लेकर यहां पर रोते-रोते आते हैं. वह उनकी आस्था और मन्नत पूर्ण होने पर यहां से हंसते-हंसते जाते हैं.
बाबा रामदेव को हिंदू और मुसलमान संयुक्त रूप से मानते हैं. हिंदू लोग बाबा रामदेव वहीं मुसलमान लोग इन्हें रामसापीर के नाम से मानते है. सामाजिक सद्भाव और प्रेणता के रूप में बाबा रामदेव जाने जाते हैं, जिसमें सभी धर्म के लोग यहां आकर सामूहिक रूप से पूजा अर्चना करते हैं. गौरतलब है कि बाबा रामदेव ने समाधि ली, जिसके बाद कोरोना के चलते तीसरी बार समाधि के पट बंद किए गए.
Reporter- Shankar Dan