भोपालगढ़: 3 घंटे तक पड़ा रहा दलित का शव, प्रशासन की शख्ती से खुला रास्ता
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भोपालगढ़: 3 घंटे तक पड़ा रहा दलित का शव, प्रशासन की शख्ती से खुला रास्ता

देश भले ही आज आजादी के 75 साल अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा हो, लेकिन अभी भी देश में जाति भेदभाव के चलते लोगों को कई बार अंतिम संस्कार तक करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

3 घंटे तक पड़ा रहा दलित का शव

Bholpalgarh: देश भले ही आज आजादी के 75 साल अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा हो, लेकिन अभी भी देश में जाति भेदभाव के चलते लोगों को कई बार अंतिम संस्कार तक करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा ही कुछ मामला आया जोधपुर जिले के पीपाड़ सिटी का जहां पीपाड़ सिटी के उपखंड के चौढा गांव में मंगलवार को शमशान के रास्ते पर फाटक लगाकर ताला जड़ देने से एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति का शव 3 घंटे तक बीच सड़क पर पड़ा रहा.  

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वहीं बाद में प्रशासन और पुलिस की सख्ती के बाद शव यात्रा निकालकर अंतिम संस्कार किया जा सका. दरअसल चौढ़ा गांव में रहने वाले कोजाराम मेघवाल की शव यात्रा लेकर समाज के लोग निकले तो डोली की कृषि भूमि से शमशान की ओर जाने वाले परंपरागत रास्ते पर फाटक और उस पर ताला लगा मिला, जिसके बाद सरपंच रामचंद्र विश्नोई ने भी रास्ता खुलवाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी. इस बीच दलित समाज के लोग मृतक कोजाराम का शव जमीन पर रखकर धरने पर बैठ गए, जिसके बाद प्रशासन को सूचना मिली और उप जिला मजिस्ट्रेट पद्मादेवी तहसीलदार विजेंद्र सिंह सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और कृषि करने वाले किसान से ताला खोलने का अनुरोध किया, लेकिन नहीं मानने पर प्रशासन ने ताला तोड़ने की चेतावनी दी, जिसके बाद डोली की जमीन पर कृषि कार्य करने वाले किसान ने ताला खोला और उसके बाद कोजाराम की शव यात्रा निकाली जा सकी.

वहीं कोजाराम के अंतिम संस्कार होने तक प्रशासन और पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहें और पूरे घटनास्थल से लेकर अंतिम संस्कार तक की वीडियोग्राफी करवाई, इसके बाद पुलिस ने डोली की जमीन के मालिक को रास्ता अवरुद्ध नहीं करने की हिदायत दी. दरअसल गांव में डोली की भूमि से राजपूत और मेघवाल समाज के मृतकों की शव यात्रा के लिए परंपरागत रास्ता वर्षों से अंगोर की भूमि तालाब की पाल तक जाता है. 

साथ ही 2 वर्ष पहले डोली भूमि के एक हिस्सेदार ने रास्ते पर फाटक लगाकर बंद कर दिया, जिसके कारण दलित समाज के मृतक बुजुर्ग का शव 3 घंटे तक सड़क पर पड़ा रहा ऐसा नहीं है कि यह एक पहला मामला है, इससे पहले भी दो बार प्रशासन ने दखल देकर दलित की शव यात्रा को निकाला था. इस घटना के बाद प्रशासन ने कृषि करने वाले हिस्सेदार को सख्त हिदायत दी है कि भविष्य में इस तरह की पुनरावृति नहीं करें नहीं तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

Reporter: Arun Harsh

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