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जोधपुर: छोटे किसान अपने खेत में सब्जी की फसल ले सके, इसके लिये केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) ने पॉली हाउस की तर्ज पर नेट हाउस विकसित किया है. इस नेट हाउस में कोई भी किसान 1 साल में सब्जी की 4 फसल ले सकता है, जिसमें टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च जैसी फसलें शामिल हैं. पहले एक साल में ही इस नेट हाउस का पूरा खर्चा निकल सकता है . इसके बाद पांच साल किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा सकता है .
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रयासरत हैं. इसको लेकर किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा कैसे हो इसके लिए नवीन तकनीक के साथ ही सब्सिडीय के साथ ही कई योजना भी सत्कार ने बनाई है. किसानों को ज्यादा मुनाफा कैसे हो इसके लिए काजरी ने यह नेट हाउस खास तौर से राजस्थान की भीषण गर्मी, तेज गर्म हवाएं और अन्य कारणों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है.
छोटे किसानों की बढ़ेगी आमदनी
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार का कहना है कि इस नेट हाउस के किसान अक्टूबर से फरवरी तक खीरा, सितंबर से अप्रैल तक टमाटर, शिमला मिर्च, चेरी टमाटर की फसल प्राप्त कर सकता है . इस नेट हाउस का खर्चा करीब डेढ़ लाख रुपए आता है . एक नेट हाउस में 300 से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं . जिन्हें वर्टिकल ग्रोथ दी जाती है . प्रदीप कुमार का कहना है कि हमने सब्जी की फसल का एक मॉडल विकसित किया है , कौन से महीने में कौन सी फसल ली जाएगी. उनका कहना है कि यह खासतौर से छोटे किसानों को ध्यान में रखते हुए नेट हाउस का डिजाइन विकसित किया गया है .
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पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद नेट हाउस तैयार
काजरी के विशेषज्ञों ने करीब पांच साल की कड़ी मेहनत से इस नेट हाउस का सफल परीक्षण किया है. जब इसके सार्थक परिणाम भी सामने आने लगे है. अब काजरी नेट हाउस के इस मॉडल को किसानों के बीच लेकर जा रही हैं . जिसके बाद किसान अपने खेतों में लगाकर अपनी आजीविका बढ़ा सकेंगे , महज डेढ़ लाख रुपए में एक किसान अपने खेत में इसे लगा सकता है , काजरी के निदेश डॉ. ओपी यादव का कहना है कि छोटे किसानों के हित में हमारे वेज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत और अनुसंधान के बाद इसे विकसित किया है.
प्रदीप कुमार ने बताया कि नेट हाउस आठ मीटर चौड़ा, 16 मीटर लंबा और करीब चार मीटर की ऊंचाई का होता है , इसमें ढाई मीटर की उंचाई में तार लगाकर पौधों केा स्थिर किया जाता है , इसमें अक्टूबर से फरवरी तक खीरा, सितंबर से अप्रैल तक टमाटर, शिमला मिर्च और चेरी टमाटर की फसल ली जा सकती है. इसमें सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर ड्रापिंग सिस्टम लगा होता है.
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पॉली हाउस की लागत 40 लाख, नेट हाउस की लागत डेढ़ लाख रुपए
पॉली हाउस एक एकड़ में लगता है, जिसकी लागत करीब 40 लाख रुपए आती है, जबकि नेट हाउस छोटी जगह पर महज डेढ़ लाख रुपए में कम मेंटेंनस पर लगाया जा सकता है. इसमे कम पानी में अधिक फसल ली सकती है. डॉ प्रदीप कुमार का कहना है कि आने वाले समय में पानी की कमी और होगी , ऐसे में कम पानी में अधिक फसल कैसे प्राप्त हो, इसको लेकर एक वृहद योजना के तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद काम कर रही है , नेट हाउस तकनीक भी इसका एक भाग है .