Bohra Ganesh Ji : राजस्थान (Rajasthan)के उदयपुर (Udaipur) में चांदी और सोने के चोले से सुसज्जित और मखमल की पोशाक पहले बोहरा गणेश जी की मूर्ति ऐसी लगती है, मानों श्रीगणेश साक्षात सामने हो. उस पर मोतियों, पन्ना, मानक, हीरे और जेवरात, इस प्रतिमा की छवि को मनमोहक बना देते हैं.
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Bohra Ganesh Ji : राजस्थान के उदयपुर में चांदी और सोने के चोले से सुसज्जित और मखमल की पोशाक पहले बोहरा गणेश जी की मूर्ति ऐसी लगती है, मानों श्रीगणेश साक्षात सामने हो. उस पर मोतियों, पन्ना, मानक, हीरे और जेवरात, इस प्रतिमा की छवि को मनमोहक बना देते हैं.
लगभग 70-80 साल पहले तक जब किसी को शादी ब्याह में रुपए-पैसों की जरूरत होती थी. तो वो सीधी बोहरा गणेश जी के सामने अपनी जरूरत की पर्ची रख देते थे. मान्यता है कि इस जरूरत को किसी ना किसी रूप में आकर श्रीगणेश पूरा करते थे. जिसके बाद पर्ची रखने वाला व्यक्ति ब्याज समेत उस रकम को चुकाता था.
आमतौर पर ये काम बोहरा किया करते थे, इसलिए इन मंदिर का नाम ही बोहरा गणेश हो गया. करीब 350 साल पुराने इस मंदिर में रखी श्रीगणेश की प्रतिमा त्रेतायुग की मानी जाती है. हर हिंदू राजा ने इस मंदिर के अपना योगदान दिया. माना जाता है कि यहां एक बार जो हाजरी लगा लेता है वो कभी खाली हाथ नहीं जाता है.
इस मंदिर के साथ साथ कई सारे अवतारों का भी वर्णन हुआ है. जैसे त्रेता युग में भगवान श्री राम इस मंदिर के साक्षी है. रावण भी मंदिर का साक्षी है. वहीं 5 पांडव भी मंदिर के साक्षी है. द्वापर युग के भगवान श्री कृष्ण भी इस मंदिर के साक्षी है.
जिस जगह ये मंदिर है, उसे पहले ताम्बावती नगरी के नाम से जाना जाता था.
उदयपुर में मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी (Mohanlal Sukhadia University)के पास स्थिति ये मंदिर बुधवार को विशेष रूप से भक्तों की भीड़ से भरा रहता है. राजस्थान के साथ साथ आस पास के राज्यों से भी लोग यहां अपनी अर्जी देने के लिए आते हैं और कामना पूरी होने के बाद ब्याज समेत उस कर्ज को लौटा भी देते हैं.
उदयपुर में कोई भी शुभ कार्य बोहरा गणेश जी के दर्शन के बिना शुरू नहीं किया जाता है. उदयपुर रेलवे स्टेशन से महज 4 किमी दूर इस मंदिर के खुलने का समय सोमवार से शुक्रवार के बीच सुबह 6 बजे से रात 8 बजे के बीच का है.