Rajasthan Election Result 2023 : राजस्थान चुनाव में वोटिंग के बाद से ही कयासों का बाजार गर्म है. वोटर पैटर्न की गणित को इस तरह समझें ही कि गहलोत सरकार के 7 मंत्रियों की सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है. वही सरदारपुरा के साथ ही 18 मंत्रियों को सीटों कम मतदान हुआ है. आमतौर पर ये धारणा रही है कि अधिक मतदान सत्ताधारी दल को नुकसान देता है. राजस्थान चुनाव में इस बार 74.96 फीसदी तक वोटिंग हुई है, जो पिछली बार के मुकाबले एक फीसदी ज्यादा है.
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Rajasthan Election Result 2023 : राजस्थान चुनाव में वोटिंग के बाद से ही कयासों का बाजार गर्म है. वोटर पैटर्न की गणित को इस तरह समझें ही कि गहलोत सरकार के 7 मंत्रियों की सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है. वही सरदारपुरा के साथ ही 18 मंत्रियों को सीटों कम मतदान हुआ है. आमतौर पर ये धारणा रही है कि अधिक मतदान सत्ताधारी दल को नुकसान देता है. राजस्थान चुनाव में इस बार 74.96 फीसदी तक वोटिंग हुई है, जो पिछली बार के मुकाबले एक फीसदी ज्यादा है.
बात वीआईपी सीटों की करें तो आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की नागौर की खींवसर सीट पर 3 फीसदी वोटिंग कम हुई है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय है. इधर राजेंद्र राठौड़ की तारानगर सीट पर 7.05 फीसदी ज्यादा वोटिंग हुई है. जो कुछ अलग इशारा कर रहा है.
वसुंधरा राजे के झालरापाटन सीट पर वोटिंग परसेंटेज गिरा है यहां पिछली बार 2018 में 78.43 फीसदी वोटिंग हुई थी और इस बार 76.67 फीसदी वोटिंग हुई है. ये ही नहीं गहलोत सरकार के कई मंत्रियों जैसे सुभाष गर्ग, सुखराम विश्नोई, राजेंद्र यादव, अशोक चांदना, प्रमोद जैन, उदयलाल आंजना, बीडी कल्ला, शांति धारीवाल के इलाकों में पिछली बार के मुकाबले कम वोटिंग हुई है.
वहीं शाले मोहम्मद की पोकरण सीट पर सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. मंत्री शकुंतला रावत के बानसूर में 4.26 कम वोटिंग हुई है. कामां से जाहिदा खान की सीट पर 4 फीसदी और दौसा से मुरारीलाल मीणा की सीट पर 5.98 फीसदी वोटिंग हुई है. सिकराय से ममदा भूपेश की सीट पर 2.96 फीसदी कम तो महेंद्र जीत मालवीया की सीट पर 1.44 फीसदी वोटिंग हुई है. बात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परंपरागत सीट सरदारपुरा की करें तो यहां 67.09 फीसदी वोटिंग पिछले चुनावों में रही थी, जो इस बार घटकर 64.50 तक पहुंच गया है.
राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक कम वोटिंग होना अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव से ज्यादा इस बार वोटिंग हुई है. ये फर्क सिर्फ एक फीसदी का है. ऐसे में 30-40 सीटों का फासला दोनों मुख्य पार्टियों के बीच रह सकता है. ये एक फीसदी वोट ही बीजेपी को 163 से 73 और कांग्रेस को 21 से 99 तक पिछले चुनावों में लेकर आए थे. अब इंतजार 3 दिसंबर का है.