Jhalawar Covid-19: अक्षय तृतीया के अबूझ सावे में नहीं सुनाई दे रही शहनाइयों की आवाज
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Jhalawar Covid-19: अक्षय तृतीया के अबूझ सावे में नहीं सुनाई दे रही शहनाइयों की आवाज

शहर के मैरिज गार्डन व रिसोर्ट में भी चारों तरफ दिखाई दे रहा है, तो सिर्फ सन्नाटा और कोरोना वायरस का डर, जिसके चलते सारे त्यौहार भी अब सिर्फ नाम के लग रहे हैं.

प्रतीकात्मक तस्वीर.

Jhalwar: प्रदेश भर में आज गंगा-जमुनी तहजीब के नजारे देखने को मिल रहे हैं. एक ओर जहां मुस्लिम समुदाय (Muslim community) ईद की खुशियां मना रहा है तो वहीं, हिंदू समुदाय के लिए भी अक्षय तृतीया एक खास दिन होता है, जब आमजन मंदिरों में दर्शन कर दान पुण्य करते हैं. 

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अक्षय तृतीया के अबूझ सावे में तो शहनाइयों की आवाज भी कानों में मिठास भर देती है, लेकिन इस बार कोरोना आपदा (Corona disaster) ने हालात पूरी तरह बदल दिए हैं. जहां एक और मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब नहीं नजर आ रहा, तो वही बैंड बाजा और बारात के नजारे भी अब कहीं नजर नहीं आ रहे. ना शादियों में नाचते बराती... ना ढोल की थाप और ना ही बैंड बाजों का मधुर संगीत... 

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शहर के मैरिज गार्डन व रिसोर्ट में भी चारों तरफ दिखाई दे रहा है, तो सिर्फ सन्नाटा और कोरोना वायरस का डर, जिसके चलते सारे त्यौहार भी अब सिर्फ नाम के लग रहे हैं.

क्या कहना है प्रसिद्ध जनता बैंड के संचालक का
झालरापाटन के प्रसिद्ध जनता बैंड के संचालक अनीस भाई ने बताया कि अक्षय तृतीया - आखातीज के अवसर पर शादियों की धूम रहा करती थी. हालात यह होते थे, कि बैंड बाजों की पूरी टीम लगातार एक के बाद एक शादियों में अपनी सेवाएं देकर रोजगार चलाती थी लेकिन कोरोना काल के चलते शादियों पर लगभग रोक लग गई है. ऐसे में बैंड बाजों की गाड़ियां भी सड़कों पर धूल खा रही हैं. उनकी टीम के सदस्यों को भी रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा, लेकिन घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा. बीते साल भी यही हालात थे और लगातार दूसरे साल भी इस बार रोजगार चौपट हो गया.

खर्च चलाना हुआ मुश्किल
कुछ ऐसे ही हालात का दर्द बयां किया मशहूर ढोल वादक गज्जू ने, जिसे अक्षय तृतीया के दिन तो फुर्सत नहीं मिलती थी. एक ही दिन में कई विवाह समारोह में अपनी सेवाएं दे देता था लेकिन अब ढोल की थाप सुनने वाला कोई नहीं. ऐसे में घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा. आखिर परिवार को पाले तो कैसे?

सूने पड़े हैं बाजार
अधिकांश मंदिरों पर भी ताले लटके नजर आ रहे, बाजार सूने पड़े हैं. ऐसे में अब आमजन नम आंखों से उस दिन का इंतजार कर रहे हैं. जब कोरोना वायरस के संक्रमण से निजात मिलेगी और एक बार फिर सड़कों पर चहल-पहल लौट आएगी.

Reporter- Mahesh Parihar

 

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