राजस्थान संस्कृति की प्रसिद्ध झलक है जायल खिंयाला का प्रसिद्ध अनूठा मायरा व भात भरने की परम्परा
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राजस्थान संस्कृति की प्रसिद्ध झलक है जायल खिंयाला का प्रसिद्ध अनूठा मायरा व भात भरने की परम्परा

Unique Mayra | Jayal News: राजस्थान का नागौर जिला पूरे देश में मायरे के लिए प्रसिद्ध है. राजस्थानी रीति-रिवाज से अनूठा मायरा भरा जाता है. यहां की मायरा व भात भरने की परम्परा की कहानी आज भी सबको रोमांचित कर देती है. 

राजस्थान की कला संस्कृति.

Unique Mayra | Jayal News: राजस्थान का सम्पूर्ण भूभाग विशिष्ट प्रकार की कला संस्कृति से अभिभूत है,राज्य के इतिहास से जुड़ी अनेक घटनाएं आज भी प्रदेश के अलग अलग भागों में प्रचलित है. नागौर जिले के जायल तहसील में भी जायल खिंयाला का मायरा राजस्थान के परम्पराओं संस्कृति की प्रसिद्ध झलक है. राजस्थान की कला संस्कृति और सामाजिक परम्पराओ को जीवित रखने वाला जायल खिंयाला का प्रसिद्ध मायरे का इतिहास महिलाओं द्वारा गीतों में गाया जाता है, शादियों की सीजन में इस क्षेत्र में अनेक जगह भाईयो द्वारा अपनी बहन के लिये अनूठी भात भरी जाती है.

मायरा राजस्थानी परम्परा का इतिहास 

राजस्थान की परम्परा से जुड़ा जायल खिंयाला के मायरे का इतिहास चौदहवीं शताब्दी के आसपास का है जब दिल्ली की सियासत पर मोहम्मद बिन तुगलक का शासन था उस समय राजस्व की वसूली राशि दिल्ली जमा करवाई जाती थी उस समय जायल के गोपालजी जाट और खिंयाला के धर्मोजी चौधरी राजस्व वसूली की राशि ऊंटो पर लादकर जा दिल्ली जा रहे थे उसी समय जयपुर के हरमाड़ा के निकट लिछमा गुजरी के कोई भाई नहीं होने से कोई भात भरने वाला नहीं था. इस व्यथा को देखकर जायल के गोपालजी जाट और खिंयाला के धर्मोजी चौधरी ने ऊंटों पर लदी सोने की मोहरों से लिछमा गुजरी के मायरा भर दिया और खाली ऊंट लेकर दिल्ली दरबार मे पहुंचे ओर सारी घटना बादशाह को बताई तो बादशाह ने आदर्श भात प्रेम ओर साहस की प्रशंसा कर पुरस्कृत किया गया.

गोपाल जी जाट ओर धर्मोजी चौधरी द्वारा लिछमा गुजरी के भरे गये मायरा के इतिहास को आज भी मारवाड़ की महिलाओं द्वारा विवाह और मायरा सहित अन्य उत्सवों में बीरा बणजे तू जायल रो जाट बणजे खिंयाला को चौधरी के रूप में गाया जाता है.

अनूठे मायरे की मिशाल है नागौर जिला

बहनों के मायरा भरने के लिए प्रसिद्ध नागौर जिले में हर साल कोई ना कोई ऐसा मायरा भरा जाता है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाता है और, मायरे की चर्चा चारों ओर तक पहुंच जाती है जिले में पिछले साल राजोद निवासी भाईयों द्वारा लाडनूं निवासी बहन के बोरों में रुपये भरकर 51 लाख रुपये नकद और 25 तोला सोने का मायरा भरा चर्चा में है. पिछले दिनों शहीद कमांडो की बहन की शादी में नागौर पुलिस ने भाई बन भरा मायरा इसकी चर्चा चारों तरफ रही. वही ईनाणा गांव के फुलफगर परिवार द्वारा देशवाल गांव में अपनी बहन के खारी भरकर भरे गए मायरा की चर्चा हर तरफ छाई रही.

वर्तमान में भी अड़सिंगा के ठोलिया परिवार द्वारा ढेहरी गांव में भरा गया टैक्टर वाला मायरा ओर दुगोली गांव में छाजोली के बिड़ियासर परिवार द्वारा अपनी बहन के लिये भरा अनूठा मायरा चर्चा का विषय रहा. इसके साथ ही देशवाल गांव में ईनाणा गांव के रामनिवास ठेकेदार द्वारा अपनी बहन के एक खारी(टोकरी) दस दस के नोटों से भर कर भात भरी थी जिसके हर जगह बहुत चर्चा हुई.

पुलिस द्वारा भात भर निभाया फर्ज 

वहीं दूसरी ओर मायरे (भात) की बात करें तो कई थानों में पुलिस द्वारा अपने रसोईया के भात भरी कर भाई का फर्ज निभाया जा रहा है तो कहीं शहीद की बहन की शादी में पुलिस द्वारा भात भरकर भाई का फर्ज निभाया जा रहा है. हाल ही दिनों मे गैंगस्टर आनन्दपाल को पकड़ने के दौरान हुई मुठभेड़ में शहीद हुए सुखवासी के कांस्टेबल खुमाराम कस्वा की बहन की शादी में बात भरने के लिए नागौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और जयपुर पुलिस उपायुक्त परिस देशमुख ने साथी पुलिस कर्मियों के साथ भात भर कर भाई का फर्ज निभाया. वहीं नागौर के जायल खिंयाला के मायरे के गीत मकराना विधायक रूपाराम मुरावतीया ने विधानसभा सभा में गाया था.

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