Khinvsar: सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, रोज सुबह 11 बजे से 3:30 बजे तक होगा कथा का वाचन
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Khinvsar: सात दिवसीय भागवत कथा का हुआ शुभारंभ, रोज सुबह 11 बजे से 3:30 बजे तक होगा कथा का वाचन

कस्बे के आकला रोड़ स्थित न्यू बालाजी कॉटन एंड प्रेस में सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ गुरुवार को किया गया. आयोजक रुकी देवी ने बताया कि भागवत कथा की शुरुआत सुबह 11 बजे कस्बे में कलश यात्रा निकालकर की गई. 

भागवत कथा का हुआ शुभारंभ

Khinvsar: कस्बे के आकला रोड़ स्थित न्यू बालाजी कॉटन एंड प्रेस में सात दिवसीय भागवत कथा का शुभारंभ गुरुवार को किया गया. आयोजक रुकी देवी ने बताया कि भागवत कथा की शुरुआत सुबह 11 बजे कस्बे में कलश यात्रा निकालकर की गई. श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन भव्य कलश यात्रा निकाली गई. बैंड बाजे के साथ शुरू हुई कलश यात्रा में बड़ी संख्या में छोटे-छोटे बच्चे, युवती और महिलाओं ने हिस्सा लिया. सुबह के समय कलश के साथ महिला पुरुषों ने बाजे-गाजे के साथ कलश यात्रा निकाली.

कथा का वाचन भागवताचार्य ओमप्रकाश महर्षि करेंगे. कथा प्रतिदिन सुबह 11 बजे से लेकर 3:30 बजे तक होगी. प्रथम दिन कथा वाचक भागवताचार्य ओमप्रकाश महर्षि ने कहा कि भगवान की लीला अपरंपार है. वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य और देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते है. श्रीमदभागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है. आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की. भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है.

भागवत श्रवण प्रेतयोनी से मुक्ति मिलती है. चित्त की स्थिरता के साथ ही श्रीमदभागवत कथा सुननी चाहिए. भागवत श्रवण मनुष्य के सम्पूर्ण कलेश को दूर कर भक्ति की ओर अग्रसर करती है. उन्होंने अच्छे और बुरे कर्मों की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी और गौमाता के पुत्र गोकरण के कर्मों के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया और धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई. 

वहीं धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल कपट से पुत्र प्राप्ती और उसके बुरे परिणाम को समझाया. मनुष्य जब अच्छे कर्मों के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है और हमारे सारे कार्य सफल होते है. ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियं हमारे साथ हो जाती है. इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है. छल और छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता. छल रूपी खटाई से दूध हमेशा फटेगा. 

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छलछिद्र जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है. छलछिद्र रहित और निर्मल मन भक्ति के लिए जरूरी है. पहले दिन भगवान के विराट रूप का वर्णन किया गया. इसे सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए. भजन, गीत और संगीत पर श्रद्धालु देर तक झूमते रहे. श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था भी रहेगी. कथा का समापन 7 सितंबर को किया जाएगा. कथा में भाग लेने वाले सभी श्रद्धालुओं का मुंडेल परिवार ने आभार जताया है. इस दौरान मुंडेल परिवार सहित खेमसिंह, गणपत डूडी, बिरमाराम, सुभाष सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.

Reporter: Hanuman Tanwar

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