Nagaur news: आर्थोपेडिक सर्जरी के लिए मरीजों को कुचामन से बाहर जाने की जरूरत नहीं, जानें पुरी खबर
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Nagaur news: आर्थोपेडिक सर्जरी के लिए मरीजों को कुचामन से बाहर जाने की जरूरत नहीं, जानें पुरी खबर

Nagaur news: अब मरीजों को कुचामन से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कुचामन के राजकीय जिला अस्पताल को सी आर्म मशीन मिल गई है. जिससे अस्पताल में जल्द ही दूरबीन सर्जरी शुरू होने जा रही है.  

Nagaur news: आर्थोपेडिक सर्जरी के लिए मरीजों को कुचामन से बाहर जाने की जरूरत नहीं, जानें पुरी खबर

Nagaur news: कमर, कूल्हे व शरीर के अन्य हिस्सों की जटिल आर्थोपेडिक सर्जरी के लिए अब मरीजों को कुचामन से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि कुचामन के राजकीय जिला अस्पताल को सी आर्म मशीन मिल गई है. जिससे अस्पताल में जल्द ही दूरबीन सर्जरी शुरू होने जा रही है. पीएमओ डॉक्टर प्रहलाद बाजिया ने बताया की क्षेत्र के विधायक और उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी से राजकीय जिला अस्पताल कुचामन को सी आर्म मशीन मिल गई है. जिसका जल्द इंस्टालेशन कर दिया जाएगा और फिर इसके जरिए सर्जरी शुरू कर दी जाएगी . 

उन्होंने बताया की इस मशीन की खासियत यह है कि शरीर में हुए हर तरह के फ्रैक्चर यानी किसी भी हिस्से की हड्डी टूटने या फटने पर बगैर प्रभावित हिस्से को खोले आसपास के स्थान से होल करके रॉड या प्लेट को आसानी से डालकर हड्डी को कम समय में जोड़ा जा सकेगा. बच्चों व बुजुर्गो को इस मशीन से सबसे ज्यादा फायदा होगा. कई बार बच्चों के हाथ या पैर में फ्रैक्चर हो जाने पर उस हिस्से को खोलकर रॉड या प्लेट डालने में मुश्किल का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सी-आर्म मशीन के जरिये बगैर किसी तकलीफ के जख्म वाले स्थान को खोले बगैर आसानी से रॉड या प्लेट डालकर हड्डी को जोड़ा जा सकेगा. 

अभी तक जिला अस्पताल में इस तरह की सर्जरी या तो हाथ से मैन्युअल तरीके से की जाती थी या फिर ज्यादा जटिल होने पर मरीज को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता था. कुचामन के राजकीय जिला अस्पताल के अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नानू राम चौधरी ने बताया कि सी-आर्म मशीन के जरिये कमर व कूल्हे की हड्डी या बच्चों के हाथ-पैर की हड्डी टूटने पर अब उस स्थान को खोले बगैर, रॉड या प्लेट को डालकर आसानी से सर्जरी को अंजाम दिया जा सकेगा. इस मशीन से सिर्फ चीरा लगाकर दूरबीन के जरिए स्क्रीन पर देखकर ऑपरेशन किया जाता है.

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 सामान्य ऑपरेशन में ज्यादा समय लगता है और मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी देर से मिलती है. अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राजेंद्र खीचड़ ने बताया की इस मशीन की मदद से कई टुकड़ों में टूट चुकी हड्डी को भी पूर्व की तरह बारीकी से जोड़ा दिया जाता है. हड्डी के जुड़ने के वक्त टेढ़ापन जैसी स्थिति नहीं होती है. इस मशीन के सहारे रॉड व प्लेट जैसे बड़े ऑपरेशन आधे घंटे से 45 मिनट में कर लिये जाते हैं.

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