Trending Photos
Rajasthan Politics : राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. लिहाजा ऐसे में टिकट दावेदारों की मशक्कत शुरू हो चुकी है. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने इस कार्यकाल में भी आईएएस-आईपीएस के अलावा छात्र नेताओं और दूसरे प्रोफेशन से जुड़े लोगों को सियासी नियुक्तियां देकर तवज्जो दी. अब माना जा रहा है ऐसी कई नेताओं को इस बार विधानसभा चुनाव का टिकट मिल सकता है. इसके लिए सियासी दौड़ भाग और मशक्कत जारी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद रह चुके कई बड़े नौकरशाह और बिजनेसमैन को इस बार टिकट मिलने की प्रबल संभावना है. इनमें से कई लोग मौजूदा वक्त में सियासी नियुक्ति पर है. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके पूर्व आईपीएस हरिप्रसाद शर्मा से लेकर मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा और पूर्व मुख्य सचिव रह चुके निरंजन आर्य समेत कई बड़े नेता इस बार टिकट दावेदारी जता रहे हैं.
राजस्थान में पिछले एक पखवाड़े से लाल डायरी को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है. कहा जाता है कि यह लाल डायरी धर्मेंद्र राठौर की ही है. धर्मेंद्र राठौड़ मौजूदा वक्त में राजस्थान पर्यटन विकास निगम यानी आरटीडीसी के चेयरमैन हैं. उनकी राजनीतिक और सामाजिक भागीदारी रहती है. साल 2020 में पायलट गुट के बगावत के वक्त भी धर्मेंद्र राठौड़ खासे सक्रिय थे, राठौड़ पुष्कर और अजमेर उत्तर सीट से टिकट दावेदारी कर रहे हैं.राठौड़ भी मुख्यमंत्री गहलोत के विश्वस्त लोगों में शुमार हैं. सीएम गहलोत ने पिछले कार्यकाल के दौरान भी उन्हें राजस्थान बीज निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी. राठौड़ कर्मचारी नेता रह चुके हैं.
लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे पुराने साथियों में से एक है. राजीव अरोड़ा सीएम गहलोत के हर कार्यकाल में सियासी नियुक्ति पाने वाले एकमात्र नेता हैं. साल 1998 से 2003 तक अरोड़ा आरटीडीसी चेयरमैन रहे. इसके बाद साल 2008 से 2013 तक राजस्थान फाउंडेशन के चेयरमैन की भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. राजीव अरोड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उन चुनिंदा मित्रों में से हैं जो उनके साथ पिछले 40-50 सालों से हैं. साल 2008 में अरोड़ा मालवीय नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, अब एक बार फिर अरोड़ा मालवीय नगर सीट से टिकट दावेदारी कर रहे हैं.
पूर्व आईपीएस और राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हरिप्रसाद शर्मा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद लोगों में शुमार है. आईपीएस रहते हुए हरिप्रसाद शर्मा को बीकानेर, अजमेर, नागौर, उदयपुर, झुंझुनू, जयपुर ग्रामीण और श्री गंगानगर जैसे जिलों की बतौर एसपी जिम्मेदारी निभा चुके हैं. हरिप्रसाद शर्मा राजस्थान के उन गिने-चुने आईपीएस अफसरों में है, जिन्हें बतौर एसपी इतने जिलों की जिम्मेदारी मिली है. शर्मा की छवि एक दबंग अफसर के रूप में रही है. साल 2018 में वह रिटायर हो गए थे, जिसके बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने फुलेरा विधानसभा सीट से ताल ठोकी. हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. बाद में कांग्रेस की सरकार बनी तो उन्हें राजस्थान कर्मचारी चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि हरिप्रसाद शर्मा ने कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया. शर्मा फुलेरा में एक बार फिर अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं माना जा रहा है कि कांग्रेस उन्हें इस सीट से टिकट दे सकती है.
सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे लोकेश शर्मा, साल 2010 से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सोशल मीडिया अकाउंट को संभाल रहे हैं. लोकेश शर्मा को मुख्यमंत्री गहलोत का बेहद करीबी व्यक्ति माना जाता है. मुख्यमंत्री गहलोत के दूसरे कार्यकाल और अब तीसरे कार्यकाल में उनके मीडिया से जुड़े सारे काम काज लोकेश शर्मा ही देखते हैं. वहीं जब गहलोत मुख्यमंत्री नहीं थे तब भी उनसे जुड़े कर सारे काम लोकेश शर्मा ही देखा करते थे. पिछले कुछ वक्त से लोकेश शर्मा बीकानेर पश्चिम सीट पर अति सक्रिय हैं. इस सीट से मौजूदा वक्त में शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला विधायक हैं. उनके इस सक्रियता को लेकर बीडी कल्ला कई बार असहज भी महसूस करते हैं. इसी की बानगी है कि उन्होंने एक बार यह तक कह दिया था कि अगर लोकेश शर्मा चुनाव लड़ना चाहते हैं तो वो सीएमओ की नौकरी छोड़कर मैदान में आ जाए जिसके जवाब में लोकेश शर्मा ने कहा था कि मैं विशुद्ध राजनीतिक आदमी है किसी नौकरी में नहीं हूं.
राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती चूरु सीट से दावेदारी कर रही हैं. रेहाना मूल रूप से चूरू की ही रहने वाली हैं. इस सीट पर कांग्रेस पिछले तीन चुनावों से मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट देती आई है. हालांकि सिर्फ साल 2008 में कांग्रेस की सीट जीत पाई. इससे 1990, 1993, 1998, 2003, 2013 और 2018 में कांग्रेसी हार का सामना कर चुकी है.
राजस्थान के पूर्व मुख्य सचिव निरंजन आर्य मौजूदा वक्त में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार है. साल 2020 में 10 सीनियर आईएएस को दरकिनार कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया था. जिसके बाद से ही उनके कद को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थी, निरंजन आर्य पाली जिले के सोजत से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. साल 2008 में उनकी पत्नी संगीता आर्य भी सोजत से चुनाव लड़ चुकी हैं. हालांकि संगीता आर्य को हार का सामना करना पड़ा था. मौजूदा वक्त में संगीता आर्य आरपीएससी की सदस्य हैं.
पेशे से पत्रकार रहे अक्षय त्रिपाठी मौजूदा वक्त में भीलवाड़ा के जिलाध्यक्ष है. मुख्यमंत्री गहलोत के पहले कार्यकाल के दौरान त्रिपाठी भीलवाड़ा यूआईटी के चेयरमैन रह चुके हैं. वहीं अब माना जा रहा है कि त्रिपाठी भीलवाड़ा सिटी विधानसभा सीट या सहाड़ा से टिकट की मांग कर सकते हैं.
संजय बाफना भी मुख्यमंत्री गहलोत के करीबी माने जाते हैं और उनका पिछले 3 दशक से मुख्यमंत्री गहलोत के साथ जुड़ाव है. बाफना साल 2013 में सांगानेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. अब मालवीय नगर विधानसभा सीट से टिकट दावेदारी कर रहे हैं.
पवन गोदारा अन्य पिछड़ा आर्थिक वर्ग बोर्ड के चेयरमैन हैं. मुख्यमंत्री गहलोत के कार्यकाल के दौरान युवा बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका निभा चुके हैं. छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए गोदारा हनुमानगढ़ सीट से टिकट की दावेदारी जता रहे हैं.
वहीं टिकट दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है, लेकिन मौजूदा वक्त में कई ऐसे मंत्री और विधायक है, जिन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही सियासत में लांच किया था. जिनमें डॉ. सीपी जोशी, डॉ. बी डी कल्ला, महेश जोशी, रघु शर्मा, महेंद्र चौधरी समेत कई नेताओं के नाम शुमार हैं. इनमें से कोई प्रोफेसर तो कोई छात्र राजनीति से संबंध रखता था. जिन्हें मुख्यमंत्री गहलोत सक्रिय राजनीति में लेकर आए.
ये भी पढ़ें-