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Rajasthan Election: राजस्थान में सियासी बिसात बिछाने के कवायद तेज हो गई है. कांग्रेस इस बार राजस्थान में कर्नाटक फार्मूला लागू करने की तैयारी में है. जिसके तहत 2 महीने पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा कर दी जाएगी.
दरअसल कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही कांग्रेस ने चुनावी मैदान में अपने रणबांकुरे उतार दिए थे, जिसका फायदा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिला और पार्टी बड़े बहुमत के साथ सरकार बनाने में कामयाब रही. इसी फार्मूले को राजस्थान में भुनाने की तैयारी है. हालांकि राजस्थान में ऐन वक्त पर उम्मीदवारों की घोषणा की परंपरा रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और भाजपा ने नामांकन प्रक्रिया के अंतिम दौर में उम्मीदवारों की सूची जारी की थी, जिसके चलते कांग्रेस बगावत रोकने में नाकाम साबित हुई थी.
हाल ही में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कई तरीके के नए प्रयोग किए. इन्हीं नए प्रयोगों में से एक प्रयोग टिकट वितरण को लेकर था, कांग्रेस ने चुनाव घोषणा से पहले ही कर्नाटक में 124 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. जिसके बाद 42 और उम्मीदवारों की भी सूची जारी कर दी. ऐसे में कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनावी बिगुल बजने से पहले ही 166 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिए थे, वहीं भाजपा ने कांग्रेस की सूची जारी करने के बाद अपनी सूची तैयार की और उम्मीदवारों की घोषणा की. इससे नुकसान भाजपा को ही उठाना पड़ा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में ग्राउंड लेवल पर उतर कर मजबूत पकड़ बनाने के लिए भी वक्त मिल गया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपने एक बयान में साफ संकेत दे दिए कि राजस्थान में चुनाव घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की घोषणा की जा सकती है. इसके लिए उन्होंने प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी कहा है कि जिन्हें टिकट मिलना है उन्हें 2 महीने पहले ही बता दिया जाए या फिर जिनके टिकट फाइनल है उन्हें इशारा कर दें ताकि वह लोग काम में लग जाए. साथ ही मुख्यमंत्री गहलोत ने यह भी कहा कि दिल्ली में टिकट वितरण को लेकर होने वाली लंबी बैठकों का सिस्टम भी बंद होना चाहिए. सीएम गहलोत के इस बयान से स्पष्ट है कि राजस्थान में भी कर्नाटक की तर्ज पर चुनाव घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों का ऐलान हो सकता है.
कांग्रेस को कर्नाटक फार्मूले से कई बड़े फायदे मिल सकते हैं. सबसे पहले जिन उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी. उन्हें जमीनी स्तर पर उतर के प्रचार-प्रसार का पूरा वक्त मिल सकेगा. वहीं पार्टी को बागियों से भी निपटने का मौका मिल सकेगा और वक्त रहते हैं पार्टी डैमेज कंट्रोल कर सकेगी. यह फार्मूला कर्नाटक में खूब सफल रहा है ऐसे में राजस्थान में यह फार्मूला लागू होना लगभग तय माना जा रहा है.
2018 में के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से पहले तक एक भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, कांग्रेस ने 12 नवंबर से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया के बाद 15 नवंबर को कांग्रेस ने 152 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी, जिसके बाद दूसरी सूची 17 नवंबर को और तीसरी सूची नामांकन के आखिरी दिन से ठीक पहले 18 नवंबर को जारी की , ऐसे में कांग्रेस को कई सीटों पर नुकसान भी उठाना पड़ा, लेकिन इसी के साथ ही कांग्रेस को 100 सीटों पर हार का सामना भी करना पड़ा था. 2018 की गलती से सबक लेते हुए कांग्रेस इस बार कर्नाटक फार्मूले को लागू करने की तैयारी में है.
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