Ashok Gehlot Sachin Pilot : 3 साल पहले 10 जुलाई को ही सचिन पायलट ने बगावती रुख अपनाया था, हालांकि अब 3 साल बाद सुखद संकेत दिखाई दे रहे हैं,
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Ashok Gehlot Sachin Pilot : राजस्थान की सियासत में जुलाई का महीना सियासी सावन साबित होता दिखाई दे रहा है. कभी सियासी बादल इतने बरस जाते हैं कि घर बचाने के लिए दौड़ भाग करनी पड़ जाती है तो कभी उसकी हरियाली सियासी संजीवनी सी लगने लगती है.
दरअसल यही वही जुलाई है, जब 3 साल पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच खुलकर तल्ख़ियां सामने आई थी, हालांकि तब दोनों सरकार में साथ थे, लेकिन अब दोनों के बीच सुलह के संकेत हैं. 3 साल पहले 10 जुलाई को ही सचिन पायलट ने बगावती रुख अपनाया था, पायलट का आज ही के दिन राजद्रोह के एक मामले में नोटिस थमाया गया था. जिसके बाद विधायक दल की बैठक बुलाई गई, लेकिन तब सचिन पायलट ने विधायक दल की बैठक में आने से इंकार कर दिया था और उनके साथ 19 विधायकों ने मानेसर का रुख कर लिया था. जिसके बाद राजस्थान में दौड़ भाग शुरू हो गई थी.
अपना किला बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री और विधायकों की बाड़ाबंदी की थी, इसी दौरान सचिन पायलट को बर्खास्त कर उनसे उपमुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ का पद छीन लिया गया था. साथ ही उनके साथ जाने वाले तीन मंत्रियों को भी बर्खास्त किया गया था. हालांकि 1 महीने चली इस सियासी दौड़ भाग के बाद अगस्त 2020 में प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट की घर वापसी हो गई थी, लेकिन इसके बावजूद अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तल्ख़ियां वक्त बेवक्त देखने को मिलते रही.
पायलट कर रहे गहलोत की तारीफ
हालांकि अब 3 साल बाद सुखद संकेत दिखाई दे रहे हैं, 6 जून को दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान मलिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल के अध्यक्षता में राजस्थान कांग्रेस की हुई बैठक के बाद अब एक बार फिर तस्वीर बदलती हुई दिखाई दे रही है. हाल ही में सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री गहलोत को उम्र और अनुभव में वरिष्ठ माना है. जिसके बाद अब कहा जा रहा है कि कांग्रेस में हालात सामान्य हो गए हैं. हालांकि सियासी हलकों में कुछ पंडित यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या सच में गहलोत और पेशेंट के बीच सुलह हो गई है.
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