Rajasthan: किरोड़ीलाल मीणा ने संसद में जल शक्ति मंत्री से किया ERCP पर सवाल, मिला ये जवाब
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Rajasthan: किरोड़ीलाल मीणा ने संसद में जल शक्ति मंत्री से किया ERCP पर सवाल, मिला ये जवाब

पूर्वी राजस्थान का आज भी सबसे बड़ा मुद्दा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी आरसीपी है इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में वक्त बेवक्त तकरार देखने को मिलती रहती है इसी बीच राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इआरसीपी को लेकर संसद में

Rajasthan: किरोड़ीलाल मीणा ने संसद में जल शक्ति मंत्री से किया ERCP पर सवाल, मिला ये जवाब

Kirodi Lal Meena On ERCP : पूर्वी राजस्थान का आज भी सबसे बड़ा मुद्दा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना यानी आरसीपी है इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा में वक्त बेवक्त तकरार देखने को मिलती रहती है इसी बीच राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इआरसीपी को लेकर संसद में 4 सवाल किए थे जिसके बाद जल शक्ति मंत्रालय की ओर से इसका जवाब दिया गया है. 

क्या थे किरोडी लाल मीणा के सवाल?

पहला सवाल:  13 जिलों की जनता और किसानों के लिए आवश्यक पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की वर्तमान स्थिति क्या है;

दूसरा सवाल: क्या राजस्थान सरकार ने ईआरसीपी के संबंध में मध्य प्रदेश सरकार के साथ कोई जल समझौता किया है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं.

तीसरा सवाल: इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए केन्द्रीय जल आयोग एवं सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं, तत्संबंधी ब्यौरा क्या है.

चौथा सवाल: क्या ईआरसीपी में छूटे हुए बांधों को इस परियोजना में जोड़ने के लिए कोई अध्ययन कराया गया है, यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और यदि नहीं, तो इसके क्या कारण हैं?

किरोड़ी के सवाल पर जल शक्ति मंत्रालय का जवाब

जल शक्ति मंत्रालय की ओर से कहा गया कि राजस्थान सरकार द्वारा तकनीकी आर्थिक मूल्यांकन के लिए नवम्बर, 2017 में 37,247.12 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत (2014 मूल्य स्तर पर) वाली पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) प्रस्तुत की गई थी. प्रचलित मानदण्डों के अनुसार, अंतर्राज्यीय नदियों पर परियोजनाओं की आयोजना 75% विश्वसनीय उपज के लिए बनाई जानी अपेक्षित है. परियोजना का मूल्यांकन पूरा नहीं किया जा सका क्योंकि परियोजना की आयोजना 50% विश्वसनीय उपज पर बनाई गई है, जो प्रचलित मानदंडों के अनुसार नहीं है और मध्य प्रदेश सरकार (एमपी), जो एक सह-बेसिन राज्य है, को भी स्वीकार्य नहीं है. इस स्थिति से राजस्थान सरकार को अवगत करा दिया गया है. मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना में शामिल किए जाने के लिए तकनीकी- आर्थिक मूल्यांकन और उसके उपरांत निवेश स्वीकृति एक पूर्व-अपेक्षित मानदंड है.

इसके अतिरिक्त, चंबल नदी प्रणाली में जल के इष्टतम उपयोग की दृष्टि से, नदियों के इंटरलिंकिंग संबंधी टास्क फोर्स (टीएफआईएलआर) ने नवंबर, 2019 में पर्वती-कालीसिंध-चंबल (पीकेसी) लिंक नहर परियोजना के साथ ईआरसीपी के एकीकरण की संभावनाओं का पता लगाने का निर्णय लिया गया, जो राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत चिन्हित 30 लिंक परियोजनाओं में से एक है. तदनुसार, राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण (एनडब्ल्यूडीए) ने मध्य प्रदेश के घटकों से संबंधित पार्बती कुनो- सिंध लिंक परियोजना का एक मसौदा पूर्व-व्यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) तैयार किया और इसे ईआरसीपी के साथ एकीकृत करने का प्रस्ताव किया ताकि इसे एक अंतर-राज्यीय इंटरलिंकिंग परियोजना बनाया जा सके जिससे मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों को लाभ पहुंच सके.

पीकेसी लिंक के साथ ईआरसीपी के एकीकरण के मुद्दे पर दोनों राज्यों के साथ विभिन्न प्लेटफार्मों पर विचार-विमर्श किया गया है, ताकि उन्हें विशेष रूप से निर्भरता मानदंड से संबंधित मुद्दे के संबंध में आम सहमति बनाई जा सके. इन विचार-विमशों के आधार पर, 75 प्रतिशत निर्भरता पर उपलब्ध मार्ग बदले जा सकने वाले जल के अनुरूप ईआरसीपी के घटकों के साथ-साथ कुनो, पार्वती और कालीसिंध उप-वेसिनों में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित घटकों को शामिल करते हुए संशोधित पार्वती- कालीसिंध-चंबल (संशोधित पीकेसी) लिंक का एक प्रस्ताव तैयार किया गया है. संशोधित पीकेसी लिंक परियोजना के चरण-1 को बाद में प्राथमिकता लिंक परियोजनाओं में से एक के रूप में चिन्हित किया गया है, जैसा कि नदियों की इंटलिंकिंग के लिए विशेष समिति (एससीआईएलआर) ने दिसंबर, 2022 को आयोजित अपनी 20 वीं बैठक में अनुमोदित किया था. परियोजना के चरण-1 में 902 मिलियन घन मीटर (एमसीएम) का उपयोग करते हुए मध्य प्रदेश में लगभग 2.58 लाख हेक्टेयर (हेक्टेयर) की वार्षिक सिंचाई और लगभग 2,412 एमसीएम जल के उपयोग से पेयजल आवश्यकता को पूरा करने के साथ-साथ राजस्थान में वार्षिक सिंचाई लाभ प्रदान करने की परिकल्पना की गई है.

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