Rajasthan News:आंखों की रोशनी के बिना भी देश का उजाला बन चमकने वाले वाली प्रतापगढ़ की एक बेटी का चयन राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड द्वारा किया गया है.
Trending Photos
Rajasthan News:क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया की ओर से भारतीय महिला टीम का चयन किया जा रहा हैं, जिसके लिए भुवनेश्वर में देशभर की कुल 30 महिला खिलाड़ियों का चयन किया जा रहा हैं. राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड के अध्यक्ष गोवर्धन लाल बैरवा, महासचिव इस्लाम अली और महिला कोच तस्लीमा हुसैन ने बताया की उक्त केम्प मे राजस्थान से सिमु दास, सिमरन जीत और प्रतापगढ़ की बेटी सलोनी का चयन हुआ हैं.
आंखों की रोशनी के बिना भी देश का उजाला बन चमकने वाले वाली प्रतापगढ़ की एक बेटी का चयन राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड द्वारा किया गया है. जिले के बसाड़ गांव रहने वाली सलोनी भोई की आंखों की रोशनी भले ही कम हो, लेकिन अब यह राजस्थान सहित देश का का उजाला बनकर चमक रही हैं. 2021 से क्रिकेट खेलना शुरू करने वाली सलोनी एक सामान्य परिवार से आती है.
क्रिकेट से जुड़ने के बाद से ही सलोनी ने कई मुशिकल मैचों मे राजस्थान को जीत दिलवाई हैं. सलोनी बी-1 श्रेणि की खिलाड़ी हैं जो की पूर्ण रूप से दृष्टिबाधित हैं और राजस्थान के लिए नागेश ट्रॉफी और इंटर सीरीज भी खेल चुकी हैं. साथ ही कही मेन ऑफ द मैच भी अपने नाम करवा चुकी है. इनके चयन से पुरा आरसीएबी बोर्ड और राजस्थानवासियों के साथ जिले के लोगों में भी ख़ुशी का माहौल है.
क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के द्वारा भारतीय महिला टीम का चयन किया जा रहा हैं, जिसके लिए भुवनेश्वर मे दिनांक - 06 जून 2024 से 10 जून 2024 तक देशभर की कुल 30 महिला खिलाड़ियों का कैंप आयोजित किया जा रहा हैं.
राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड राजस्थान में चयनित हुई प्रतापगढ़ की बेटी सलोनी प्रतापगढ़ के बसाड़ गांव की रहने वाली है. हीरालाल भोई की बेटी सलोनी और शिवानी दोनों ही जन्म से ही नेत्रहीन है. दोनों बेटियां बसाड़ के ही सरकारी स्कूल में बढती है. दोनों को क्रिकेट खेलने का शोक है. उन्होंने यह शोक उन्हें स्कूल में एक दिन उदयपुर से ब्रेललिपि पढ़ाने के लिए प्रतापगढ़ जुगल को बताई.
उन्होंने दोनों ही बेटियों से उनकी इच्छा पूछने पर क्रिकेट खेलना बताया तो उन्होंने कोच तस्लीमा हुसैन से इनका परिचय करवाया और उन्होंने दोनों बेटियों को क्रिकेट खेलना सिखाया.अब दोनों ही राजस्थान में क्रिकेट खेलकर अपने प्रदेश और शहर का नाम रोशन कर रहे है.
क्रिकेट एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड इन इंडिया (CABI) की कोच तस्लीमा हुसैन के मुताबिक, क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड इन इंडिया के द्वारा भारतीय महिला टीम का चयन किया जा रहा हैं, जिसके लिए भुवनेश्वर में 10 जून तक देशभर की कुल 30 महिला खिलाड़ियों का कैंप आयोजित किया जा रहा हैं.
राजस्थान क्रिकेट असोसिएशन फॉर द ब्लाइंड द्वारा राजस्थान से सिमु दास, सिमरन जीत और सलोनी का चयन हुआ हैं. राजस्थान से पहली बार भारतीय टीम के कैंप के लिए एक साथ तीन खिलाड़ियों का चयन हुआ हैं, इनमे से सिमु दास और सिमरन जीत पहले भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं जबकि सलोनी का चयन पहली बार हुआ हैं. यह टीम पूरी तरह से भारत के लिए आगे खेलने के लिए तैयार है.
दरअसल, ब्लाइंड क्रिकेट भी नियमों के तहत खेला जाता है जिनमें से ज्यादातर आम क्रिकेट जैसे ही हैं. लेकिन चूंकि ये गेम नेत्रहीन लोगों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, इसलिए इसके कुछ नियम अलग होते हैं. इसमें तीन कैटेगरी होती है- B1, B2 और B3. बी1 में वो प्लेयर्स होते हैं जो पूरी तरह से नेत्रहीन होते हैं.
बी2 में आंशिक रूप से दृष्टिहीन खिलाड़ी होते हैं और बी3 में 70 से 80 फीसदी दृष्टिहीन प्लेयर्स होते हैं. एक टीम में अधिकतम चार आंशिक दृष्टि वाले खिलाड़ी (B1) होने की अनुमति होती है, जबकि हर टीम में आंशिक रूप से दृष्टिहीन (B2) तीन खिलाड़ी शामिल होते हैं. और कम से कम चार पूरी तरह दृष्टिबाधित खिलाड़ी (B3) होने चाहिए. ब्लाइंड क्रिकेट फॉर्मेट की बात करें, तो एक गेंदबाज को केवल अंडरआर्म गेंदबाजी करनी होती है.
बल्लेबाज तक पहुंचने से पहले बॉल की डिलीवरी दो बार पिच होनी चाहिए. बल्लेबाज आमतौर पर ब्लाइंड क्रिकेट में स्वीप शॉट का उपयोग करता है ताकि बल्ले से गेंद आसानी से हिट हो सके. इतना ही नहीं बल्कि गेंदबाज जब बॉल फेंकने वाला होता है तो पहले रेडी कहता है और बल्लेबाज हां में जवाब देता है. इतना ही नहीं गेंद फेंकते समय, गेंदबाज बल्लेबाज को प्ले कहता है.
अगर वह ऐसा नहीं करता है तो अंपायर इसे नो-बॉल करार देता है. इसके अलावा, ब्लाइंड क्रिकेट में उपयोग किए जाने वाले स्टंप लकड़ी या प्लास्टिक के बने होते हैं. विकेट फ्लोरोसेंट नारंगी या लाल होता है. इसके अलावा, ब्लाइंड क्रिकेट में बेल्स नहीं होती हैं. इंडियन वीमेंस ब्लाइंड क्रिकेट टीम की कोच बताती हैं कि ब्लाइंड क्रिकेट में आम क्रिकेट की तरह लेदर की बॉल नहीं होती है.
इसमें एक टफ प्लास्टिक की बॉल होती है जिसमें अंदर से आवाज आती है. उस आवाज से ही प्लेयर्स को बॉल के मूवमेंट का पता चलता है. B1 को आगे लगाते हैं ताकि बॉल की आवाज से वो समझ सकें कि वो कहां जा रही है.
यह भी पढ़ें:चिकित्सा विभाग में तबादलों को लेकर लागू होगा उड़ीसा मॉडल