लगभग 8 वर्ष से करंट का दर्द झेल रहा 30 साल का दिनेश,करंट के दौरान बालकिनी से गिरने पर टूट गई रीढ़ की हड्डी
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लगभग 8 वर्ष से करंट का दर्द झेल रहा 30 साल का दिनेश,करंट के दौरान बालकिनी से गिरने पर टूट गई रीढ़ की हड्डी

खाट पर पड़े पड़े दिनेश सोनी सहायता की उम्मीद लगा रहा है.आमेट निवासी ​दिनेश के उपचार और दवा में कर्जा बढ़ता ही जा रहा है.  दिनेश को सहायता के नाम पर 750 रुपये विकलांग भत्ता के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा.

 

लगभग 8 वर्ष से करंट का दर्द झेल रहा 30 साल का दिनेश,करंट के दौरान बालकिनी से गिरने पर टूट गई रीढ़ की हड्डी

Kumbhalgarh: करंट की चपेट में आने से आमेट के एक युवक को ऐसा दर्द मिला है जिसे वह अभी तक भी महसूस कर रहा है. बता दें कि इस हादसे को गुजरे लगभग 8 वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन एक भी दिन बीना उम्मीद के नहीं निकला. ऐसे में पीड़ित युवक को अब जाकर उम्मीद की किरण नजर आई है.जैसे ही इस युवक के बारे में यूथ सोशल केयर संस्थान के सचिव नीरज सिंह राणावत को पता चला तो वह युवक के घर पहुंचे और कुशलक्षेम पूछी.

युवक के दर्द पर राणावत ने मलहम लगाते हुए अपनी संस्थान से वार्षिक खर्चा देने का ऐलान किया है और यूथ सोशल केयर संस्थान द्वारा इस पीड़ित युवक को प्रतिवर्ष लगभग 60 हजार रूपये मदद के रूप में देने का ऐलान किया है. मीडिया से वार्ता के दौरान राणावत ने बताया कि हादसे के बाद दिनेश की हालत काफी चिंता जनक है. परिवार भी आर्थिक तंगी में है. इसी के चलते यूथ सोशल केयर संस्था द्वारा दिनेश को गोद लेकर मेडिकल की सुविधा, खानपान, मकान किराया एवं अन्य खर्च वहन किया जाएगा.

आपको बता दें कि करंट की चपेट में आने से आमेट निवासी 30 वर्षीय दिनेश सोनी इस कदर जख्मी हुआ कि ना तो वह चल सकता है और ना ही दैनिकनिवृति के कार्य कर सकता है. बस युवक दिनेश खाट पर ही लेटे लेटे अपना जीवन जीने को मजबूर है. बता दें कि दिनेश सोनी को वर्ष 2014 में करंट लगा था और तब से अब तक वह खाट पर ही अपना जीवन जी रहा है.आमेट के वाली रोड़ स्थित एक मकान की पहली मंजिल पर सोनी का परिवार किराये पर रहता था. वहीं दिनेश नीचे एक दुकान पर कार्य करता था.

वर्ष 2014 में अचानक मकान के पास में लगा होर्डिंग गिरा जो मकान के पास से गुजर रही 11 हजार वोल्टेज की विद्युत लाइन एवं मकान की बालकनी में लगी लोहे की रेलिंग को सम्पर्कित कर गया. जिससे करंट रेलिंग में प्रवाहित हो गया. इस घटना से अनजान दिनेश की माता कौसल्या देवी बालकनी में जाती है और करंट की चपेट में आने से उनकी मृत्यु हो जाती है. उस दौरान कोसल्या देवी के चिल्लाने की आवाज सुनकर उसकी सास मोहनी देवी और पुत्र दिनेश उस दौरान बचाने के लिए जाते हैं तो ये दोनों भी करंट की चपेट में आ जाते हैं. और मोहनी देवी की भी मृत्यु हो जाती है तो वहीं युवक दिनेश करंट का झटका लगने से बालकिनी से नीचे गिर जाता है. जिसके चलते रीढ़ की हड्डी टूट जाती है और तब से वह बिस्तर पर है. 

जानकारी के अनुसार इस हृदय विदारक हादसे के बाद भी प्रशासन की ओर से दिनेश को इलाज के लिए कोई सहायता राशि नहीं दी गई है. अभी तक वह रीढ़ की हड्डी का दो बार ऑपरेशन करवा चुका है लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हुए. हालांकि काफी गम्भीर ऑपरेशन होने से विशेषज्ञ चिकित्सक ही इस ऑपरेशन को अंजाम दे सकते हैं. इसके लिए मोटी रकम की व्यवस्था करने के लिए सरकार या किसी भामाशाह द्वारा सहयोग करने की जरूरत है.

बता दें कि युवक दिनेश द्वारा अपनी इस पीड़ा को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस हादसे की जानकारी देते हुए एम्स में निशुल्क इलाज कराने की भावनात्मक अपील की थी. प्रधानमंत्री ने दिनेश की फाइल अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान एम्स नई दिल्ली को रिपोर्ट भेजी. एम्स की ओर से दिनेश को जांच के लिए बुलाया गया. वर्ष 2017 को सारी जांचे होने के बाद न्यूरो सर्जन ने दिनेश का इलाज होने में असर्मथता व्यक्त की. जिला अस्पताल में रिहेपेटलाईजेशन करने की सलाह दी. ऐसे में इलाज नहीं होने से दिनेश पुरी तरह से टूट गया और अब दिनेश को जीवन के शेष दिन काटने के लिए सरकारी सहायता ही अन्तिम चारा ही बचा है.

दिनेश का कहना है कि परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है. मेरे इलाज में काफी कर्ज भी काफी हो गया है.मैं हादसे के बाद से ही खांट पर पड़ा हूं.मुझे मात्र 750 रूपए विकलांग भत्ता के सिवाय किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिल रही है. सरकार मुझे आजीवन गुजारा भत्ता, इलाज खर्च की राशि उपलब्ध कराये या फिर मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाए जिससे मुझे इस दर्द से मुक्ति मिल सकें. दिनेश ने बताया कि इतने दिनों बाद एक भामाशाह मेरी सहायता के लिए आगे आये हैं मुझे काफी खुशी है कि किसी ने तो मेरे दर्द को समझा और दिलेरी दिखाई है.

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