Lakshminath ji temple: फतेहपुर एवं क्षेत्र में जन जन की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र नगर आराध्यदेव भगवान श्री लक्ष्मीनाथ जी में सूतक के साय भगवान को भोग लगता है क्योंकि मान्यता है कि भगवान अपनी भूख मिटाने के लिए हलवाई के पास पहुंच गए थे.
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Lakshminath ji temple: फतेहपुर एवं क्षेत्र में जन जन की आस्था और श्रद्धा का केन्द्र नगर आराध्यदेव भगवान श्री लक्ष्मीनाथ जी के शनिवार को सांयकाल 4 बजे लगे चन्द्रग्रहण के सूतक के दौरान शाम की आरती की गई तथा भोग भी लगाया गया.
मंदिर के पुजारी पवन कुमार खेडवाल बताते है कि फतेहपुर के नगर आराध्यदेव श्री लक्ष्मीनाथ भगवान के मंदिर में सूर्यग्रहण हो या फिर चन्द्रग्रहण हो उस दौरान लगने वाले सूतक में भी मंदिर के पट खुले रहते है जबकि अन्य मंदिरों के पट बंद हो जाते है.
सूतक एवं ग्रहण काल खत्म होने के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना एवं भोग सहित अन्य कार्य किए जाते है, लेकिन लक्ष्मीनाथ बाबा के मंदिर में इन सब के विपरीत किसी भी तरह का ग्रहण हो उसमें लगे सूतक में भी ठाकुरजी की आरती और भोग लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि सूतक के दौरान शाम और रात्रि को दस बजे पोढन आरती की जाती है. साथ ही खीर का भोग लगा कर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया जाता है. उसके बाद रात 11 बजे बाबा के पट मंगल किए जाएगे.
पवन खेडवाल बताते है कि पौराणिक कथा के अनुसार एक ग्रहण के सूतक में अचानक मंदिर के पट बंद कर दिए गए. इस बीच पुजारी की ओर से रात में भगवान श्री लक्ष्मीनाथ को भोग नहीं लगाया गया तो पास के ही एक हलवाई की दुकान पर बाल रुप में जाकर खुद ठाकुरजी ने अपनी पैंजनी गिरवी रख कर खुद को भग लगवाया था.
ठाकुरजी ने हलवाई से यह कह कर बूंदी मांग ली थी की मंदिर वालों ने प्रसाद नहीं लगाया तो मुझे भूख लगी है. बूंदिया दे दो हलवाई ने पैंजनी रख कर बाल रुप ठाकुरजी को बूंदी देदी उसके बाद से यहा श्री लक्ष्मीनाथ बाबा के सूतक में भोग लगाया जाता है और आरती भी की जाती है.
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