Rajasthan News: नीमकाथाना जिले में लादी का बास गांव के लोग पिछले 8 बार से सभी चुनावों का बहिष्कार करते आ रहे हैं. इसी कड़ी मंगलवार को एक बार फिर ग्रामीणों ने पंच-सरपंच चुनाव के लिए एक भी नामांकन दाखिल न कराकर चुनाव का बहिष्कार किया.
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Neem Ka Thana News: राजस्थान के नीमकाथाना जिले की एक ऐसी ग्राम पंचायत, जहां ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर 4 साल से आंदोलन कर रहे हैं. इसी के चलते ग्रामीणों की ओर से अभी तक 9 बार चुनावों का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक हर तरह के चुनाव का बहिष्कार करते रहेंगे. हाल में इसी सप्ताह सरपंच और पंच के उपचुनाव के नामांकन के दिन एक भी प्रत्याशी ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया, जिससे चुनाव पार्टी को बैरंग ही लौटना पड़ा.
ग्रामीण क्यों कर रहे चुनावों का बहिष्कार?
मामला नीमकाथाना जिले की ग्राम पंचायत लादी का बास का है. यहां राज्य सरकार ने नवंबर 2019 के परिसीमन में अजीतगढ़ को नई पंचायत समिति बनाई थी, जिसमें ग्राम पंचायत लादी का बास को पाटन पंचायत समिति से हटाकर अजीतगढ़ में शामिल किया गया था. तब से लेकर आज तक ग्रामीण पाटन पंचायत समिति में शामिल होने के लिए एकजुट होकर आंदोलन कर रहे हैं. ग्रामीणों के अनुसार, नई पंचायत समिति में शामिल होने पर लोगों को आर्थिक हानि तो होगी ही इसके साथ समय का भी नुकसान होगा.
लादी का बास के लोगों की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि अजीतगढ़ पंचायत समिति ग्राम पंचायत मुख्यालय से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और पाटन पंचायत समिति 15 किलोमीटर की दूरी पर है. अजीतगढ़ पंचायत समिति के लिए संसाधनों का अभाव भी है. यही वजह है कि हम लगातार चुनाव का बहिष्कार कर विरोध जता रहे हैं. उनका कहना है कि यहां पर न कोई सरपंच है न ही कोई वार्ड पंच. ऐसे में यदि समय रहते हमें अजीतगढ़ पंचायत समिति से हटाकर पाटन पंचायत समिति में नहीं जोड़ा गया, तो हम लोकसभा के चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे.
9वीं बार भी किया चुनावों का बहिष्कार
बता दें, मंगलवार को पंच और सरपंच के नामांकन पत्र दाखिल करने की तिथि थी, लेकिन किसी भी ग्रामीण ने नामांकन फॉर्म नहीं भरा, जिससे की पोलिंग पार्टी को बैरंग ही लौटना पड़ा. रिटर्निंग अधिकारी राजेश कुमार चुलेट ने बताया कि पंच-सरपंच के नामांकन फार्म को भरने के लिए ग्रामीणों का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई भी ग्रामीण नॉमिनेशन फॉर्म भरने नहीं आया. चुनाव में भाग लेने के लिए ग्रामीणों को उपखंड प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन तक के अधिकारियों की ओर से समझाया गया, लेकिन ग्रामीण अपने फैसले पर डटे रहे.
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