Rajasthan Politics: जाट बाहुल्य सीकर लोकसभा पर किसका होगा दबदबा? जानें सियासी रूप से क्यों अहम है ये सीट
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Rajasthan Politics: जाट बाहुल्य सीकर लोकसभा पर किसका होगा दबदबा? जानें सियासी रूप से क्यों अहम है ये सीट

Rajasthan Politics: शेखावाटी की सीकर लोकसभा क्षेत्र का राजनीति रूप से अपना अलग ही महत्व है.सैनिकों व सेठ,साहूकारों और वीरों की भूमि होने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में भी अपनी अलग पहचान रखने वाला जिला है.सीकर लोकसभा क्षेत्र है जाट बहुल सीट है. 

 

फाइल फोटो.

Rajasthan Politics: जाट बाहुल्य सीकर लोकसभा पर किसका होगा दबदबा? सीकर के लोगों ने देश के कई सर्वोच्च पदों पर आसीन होकर भी सीकर का मान बढ़ाया है. जहां देश की रक्षा एवं सेवा के लिए अनेक वीर सपूत दिए हैं, तो वहीं राजनीति में भी उपराष्ट्रपति, उप प्रधानमंत्री व लोकसभा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्रियों जैसे पदों पर यहां से जीत कर गए जनप्रतिनिधि आसीन हुए हैं.

 जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व उपराष्ट्रपति एंव राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भेरूसिंह शेखावत, पूर्व उपप्रधानमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ सरीखे नेता शामिल है. राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भी सीकर जिले की बहू है.

 लंबे समय से जाट बाहुल्य सीट 

सीकर लोकसभा सीट लंबे समय से जाट बाहुल्य सीट मानी जाती है. सीकर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर अब तक हुए चुनाव की बात करें तो सीकर सीट पर जाट नेताओं का ज्यादा दबदबा रहा है. वहीं, अधिकतर चुनाव में भाजपा ने सीकर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करते हुए अपना कब्जा जमाया है.

 कांग्रेस ने केवल एक बार जीत दर्ज की

बात करें पिछले 6 लोकसभा चुनावों की तो सीकर से कांग्रेस ने केवल एक बार जीत दर्ज की है, तो वहीं, भाजपा ने पांच बार लोकसभा का चुनाव जीता है.वर्तमान में सीकर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के स्वामी सुमेधानंद सरस्वती सांसद के रूप में लोकसभा में सीकर का प्रतिनिधित्व कर रहे है. जो सीकर से लगातार दो बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. तीसरी बार भी पार्टी ने उन्हीं पर दांव खेला है.

कांग्रेस ने अपना परचम लहराया

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव 2023 के सीकर जिले के चुनाव परिणाम को अगर देखे तो सीकर जिले की आठ विधानसभा में से पांच पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया है, तो वहीं भाजपा की झोली में सिर्फ तीन सीटें ही आई है. माना जा रहा है कि भाजपा की आपसी फूट के चलते जिले में भाजपा को विधानसभा चुनाव में नुकसान का सामना करना पड़ा.अगर भाजपा ने डैमेज कंट्रोल को रोका नहीं किया तो आगामी लोकसभा चुनाव पर भी इसका असर पड़ सकता है.

भाजपा का रहा दबदबा

सीकर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर अब तक हुए चुनाव में भाजपा का दबदबा रहा है. बात करें पिछले पिछले 10 लोकसभा चुनाव की तो भाजपा ने पांच बार जीत दर्ज किया है, तो वहीं एक बार भाजपा समर्थित जनता दल और और चार बार कांग्रेस के उम्मीदवार जीते हैं. पिछले दो लोकसभा चुनाव में भाजपा ने लगातार जीत दर्ज कर अपना परचम लहराया है.

सीकर लोकसभा के अबतक के समीकरण

सीकर लोकसभा सीट पर 1952 में राम राज्य परिषद के नंदलाल शर्मा ने पहली जीत दर्ज की. 1957 और 62 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के रामेश्वर टांटिया, 1967 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के गोपाल साबू, 1971 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के श्रीकृष्णा मोदी, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के जगदीश प्रसाद माथुर, 1980 के चुनाव में जनता पार्टी (सेक्युलर) कुंभाराम आर्य, 1984 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बलराम जाखड़, 1989 में जनता दल के चौधरी देवीलाल, 1991 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बलराम जाखड़, 1996 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के डॉ. हरि सिंह, 1998,1999 व 2004 चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुभाष महरिया, 2009 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महादेव सिंह खंडेला और 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सुमेधानन्द सरस्वती ने जीत का परचम लहराया है.

सांसद सम्मेलन सरस्वती की छवि

भाजपा के तीसरी बार प्रत्याशी सांसद सुमेधानंद सरस्वती की साफ और स्वच्छ छवि है, वह स्वच्छ छवि है वे सभी कौम और जातियों में और इलाके में काफी लोकप्रिय हैं और निर्विवाद व्यक्तित्व के धनी हैं. उनके प्रति लोगों में साधु महात्मा के चलते एक आदर का भाव भी है, इसके अलावा ईमानदार की छवि होना उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है.

 इसके अलावा उन्होंने सीकर में मेडिकल कॉलेज हो रेलवे लाइन का विस्तार हो पेयजल की समस्याएं समाधान हो सड़कों के विस्तार में उन्होंने बेहतरीन कार्य किया है और इसी के चलते भाजपा ने उन पर तीसरी बार दाव खेला है सुमेधानंद सरस्वती सीकर लोकसभा से लगातार दो बार जीत चुके हैं.

जाट राजनीति का केंद्र माना जाता है सीकर

सीकर लोकसभा क्षेत्र राजस्थान में परंपरागत रूप से जाट राजनीति का गढ़ माना जाता है. सीकर लोकसभा क्षेत्र में कुल आठ विधानसभा क्षेत्र है. जिनमें लक्ष्मणगढ़, धोद, सीकर, दातारामगढ़, खंडेला, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर व चौमू है.आठों विधानसभा में कुल 22 लाख 10 हजार 641 मतदाता है.

 सबसे अधिक मतदाता सीकर विधानसभा में 2 लाख 94 हजार 596 है तो सबसे मतदाता चौमू विधानसभा में 2 लाख 53 हजार 954 है.सीकर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा जाट मतदाताओं की संख्या है. इसके बाद दूसरे नंबर पर एससी-एसटी, तीसरे नंबर पर मुस्लिम, चौथे नंबर पर राजपूत मतदाताओं की संख्या है. इसके अलावा ब्राह्मण-महाजन, माली-सैनी, गुर्जर और अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या है.

गठबंधन में माकपा के खाते में सीकर सीट

सीकर लोकसभा सीट गठबंधन में जाने के चलते यहां से इंडिया गठबंधन की ओर से माकपा के अमराराम पर दाव खेला गया है यहां से कांग्रेस प्रत्याशी मैदान में नहीं है क्योंकि यह सीट गठबंधन में चली गई है अमराराम पूर्व विधायक रह चुके हैं और किसान नेता हैं और आंदोलन के लिए जाने जाते हैं ईमानदार छवि भी उनकी और जुझारू नेता की छवि है.

 लोकसभा चुनाव के मुद्दे

बेरोजगारी

प्याज उत्पादन करने वालो किसानों को उचित मूल्य मिले

शहरी इलाकों में जल भराव की समस्या

पेयजल की समस्या
गिरता भूजल स्तर, बढ़ते अपराध

सुमेधानंद सरस्वती की ताकत है कि वो काफी लोकप्रिय है ईमानदार नेता की छवि भाजपा में निर्विवाद व्यक्तित्व. किसी तरह का आरोप नहीं होना. कट्टर जाट की छवि नहीं है, इसलिए अगर जातिवाद हावी होता है तो तुलनात्मक जाट जाति के वोट में छीजत हो सकती है.

अमराराम प्लस प्वाइंट
जुझारू छवि आंदोलन के लिए पहचान ईमानदार नेता की छवि

अमराम की कमीया

माकपा का लगातार गिरता जनाधार इसके अलावा लगातर चुनाव हारना। तो इस चुनाव में कांग्रेस कार्य कर्ता कितने मजबूती से चुनाव में जुटते है। कांग्रेस में भी गुटबाजी है कांग्रेस कार्य कर्तयो में निराशा हालांकि नेता लगातार इंडिया गठबंधन को जीताने की अपील आह्वान कर रहे है
सीकर लोकसभा
कुल वोटर : 2210641

जाट: करीब 7 लाख
मुस्लिम: करीब 2 लाख 50 हजार

राजपूत:1 लाख75 हजार
एससी: 4 लाख करीब

एसटी:70 हजार
सैनी: डेढ़ लाख

ब्राह्मण: एक लाख
वैश्य: 50 हजार

गुर्जर 70 हजार
अन्य: 3 लाख

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