शादी के बाद दूसरे मर्द के साथ संबंध बनाना अपराध नहीं- राजस्थान हाईकोर्ट
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शादी के बाद दूसरे मर्द के साथ संबंध बनाना अपराध नहीं- राजस्थान हाईकोर्ट

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने हसबैंड-वाइफ के एक विवाद के केस में बड़ी बात कही है.कोर्ट ने कहा है कि दो वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं, तो यह कोई कानूनी अपराध नहीं है.

 

फाइल फोटो.

Rajasthan High Court News: राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि शादी से इतर जब दो वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं,तो इसको लेकर एक मामले में बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा कि  यह कोई कानूनी अपराध नहीं है.अब जानतें हैं राजस्थान हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा है?

शख्स के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है

मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान में एक पति ने अपनी पत्नी की किडनैपिंग का केस दर्ज करवाया था, लेकिन जब केस कोर्ट तक पहुंचा तो पत्नी ने कहा कि उसका किसी ने किडनैप नहीं किया, बल्कि वो अपनी मर्जी से उस शख्स के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है, जिसके खिलाफ उसके पति ने मामला दर्ज करवाया है. इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि ये कोई कानूनी अपराध नहीं है.

राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा कि शादी से इतर जब दो वयस्क सहमति से संबंध बनाते हैं, तो यह कोई कानूनी अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अनैतिक समझा जाता है. हाई कोर्ट ने पति की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 497 के तहत व्यभिचार अपवाद था, जिसे पहले ही रद्द किया जा चुका है.

 जस्टिस बीरेंद्र कुमार ने कहा कि आईपीसी धारा 494 (द्विविवाह) के तहत मामला नहीं बनता है,क्योंकि दोनों में से किसी ने पति या पत्नी के जीवनकाल में दूसरी शादी नहीं की है. जब तक विवाह साबित ना हो जाए, लिव-इन-रिलेशनशिप धारा 494 के तहत नहीं आता.

आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध नहीं 

आवेदक ने यह आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था कि उसकी पत्नी का एक शख्स ने अपहरण कर लिया है. इसके बाद उसकी पत्नी कोर्ट में हलफनामे के साथ पेश हुई. वहां उसने कहा कि किसी ने उसका अपहरण नहीं किया, बल्कि अपनी मर्जी से आरोपी संजीव के साथ लिव-इन रिलेशन में है. इसी पर अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध नहीं हुआ है और एफआईआर रद्द की जाती है.

इसे अनैतिक समझा जाता है

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि महिला ने स्वीकार किया है कि वह संजीव के साथ विवाहेतर, इसलिए आईपीसी की धारा 494 और 497 के तहत अपराध बनता है.वकील ने सामाजिक नैतिकता की रक्षा के लिए अदालत से अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल की अपील की.

 सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए सिंगल बेंच ने कहा, यह सच है कि हमारे समाज में मुख्यधारा का विचार यह है कि शारीरिक संबंध केवल शादीशुदा जोड़े के बीच हो, लेकिन जब शादी से इतर दो व्यस्क सहमति से संबंध बनाते हैं तो यह अपराध नहीं है. हालांकि, इसे अनैतिक समझा जाता है. 

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