नीमकाथाना के जिला बनने से सीकर और झुंझुनूं के विधायकों-पूर्व MLAs की बढ़ी परेशानी, अब ऐसे ढूंढ रहे रास्ता
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नीमकाथाना के जिला बनने से सीकर और झुंझुनूं के विधायकों-पूर्व MLAs की बढ़ी परेशानी, अब ऐसे ढूंढ रहे रास्ता

Sikar-Jhunjhunu-Nimkathana News : नीमकाथाना को जिला बनाने के बाद कई जगह आंदोलन में शुरू तो नीमकाथाना में खुशी का माहौल, नीमकाथाना को जिला बनाने की घोषणा कई जनप्रतिनिधियों के लिए गले की फांस बन गया है.  जनप्रतिनिधि अपनी जमीन मजबूत करने के लिए अपने अपने तरीके से बयान देकर अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत बनाने की कवायद में है. 

नीमकाथाना के जिला बनने से सीकर और झुंझुनूं के विधायकों-पूर्व MLAs की बढ़ी परेशानी, अब ऐसे ढूंढ रहे रास्ता

Sikar-Jhunjhunu-Nimkathana News : सीकर जिले के नीमकाथाना को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैसे ही नीमकाथाना को जिला बनाने की घोषणा की वैसे ही सीकर और झुंझुनूं जिले में लोग सड़कों पर उतर गए हैं तो कई जगह इस घोषणा को लेकर जश्न और खुशी का माहौल भी है. सीकर जिले की कई इलाके और झुंझुनू के कई गांव के लोगो ने आंदोलन शुरू कर दिया है अब नीमकाथाना को जिला बनाने की घोषणा कई जनप्रतिनिधियों के लिए गले की फांस बन गया है.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीकर को संभाग कि जैसे ही घोषणा की सीकर जिले में खुशी का माहौल छा गया. लोगों ने इसका जश्न भी मनाया लेकिन जैसे ही नीमकाथाना को जिला घोषित किया नीमकाथाना के लोगों ने जरूर इसके लिए खुशी और जश्न मनाया लेकिन इसके इतर सीकर और झुंझुनूं जिले के सैकड़ों गांव के लोगों ने विरोध में मोर्चा खोल दिया है सीकर जिले के खंडेला विधानसभा के गांव सहित झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी और खेतड़ी इलाके के लोगों ने नीमकाथाना को जिला बनाने के विरोध में धरने-प्रदर्शन और आंदोलन शुरू कर दिया है लोगों के विरोध शुरू होते ही खंडेला और उदयपुरवाटी और खेतड़ी से विधायकों के लिए यह घोषणा गले की फांस बन गया है.

खंडेला विधानसभा 

भाजपा के पूर्व मंत्री बंशीधर बाजिया तो कांग्रेस के विधानसभा में प्रत्याशी रहे सुभाष मील ने इस घोषणा के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया लोगों ने धरने भी दिए लोगों का कहना है खंडेला विधानसभा सीकर जिले में ही रहनी चाहिए जैसे ही स्थानीय विधायक महादेव सिंह खंडेला को विरोध की भनक लगी उन्होंने भी तत्काल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर और लोगों को आश्वस्त किया कि खंडेला विधानसभा सीकर जिले में रहेगी इसमें विरोध करने वालों की दलील है कि बहुत सारे गांव ऐसे हैं जो सीकर जिले के नजदीक हैं ऐसे में उन्हें नीमकाथाना जाने में काफी सुविधा होगी इसलिए लोगों की मांग है कि उन्हें सीकर जिले में ही रखा जाए. उसमें प्रमुख रींगस सहित दर्जनों गांव शामिल है

उदयपुरवाटी विधानसभा 

तो वही बात करें झुंझुनू जिले की तो उदयपुरवाटी के कई गांव नीम का थाना विधानसभा में शामिल होना चाहते हैं तो आधे गांव झुंझुनू जिले में रहना चाहते हैं उनकी भी समस्या दूरी को लेकर है ऐसे में झुंझुनू में भी पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी ने आंदोलन शुरू कर दिया तो वही सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने भी मीडिया से साफ कहा कि आधे गांव नीमकाथाना में जाना चाह रहे हैं आधे गांव में झुंझुनू जिले में रहना चाहते हैं वह इस समस्या के समाधान के लिए जल्द ही जिला बनाने वाली कमेटी से मुलाकात करेंगे और इस समस्या का समाधान का प्रयास करेंगे खेतङी के लोगों को भी कई गांव के लोगों की भी समस्या यही है कई गांव के लोग चाहते हैं कि उन्हें झुंझुनू जिले में ही रखा जाए क्योंकि उनकी दूरी नीमकाथाना से दूर है तो कई गांव खेतडी में शामिल होने से खुश भी हैं

नीमकाथाना विधानसभा 

नीमकाथाना जिला बनने के बाद नीमकाथाना से विधायक सुरेश मोदी खासे प्रसन्न है इसके अलावा भी यहां से आने वाले सभी जनप्रतिनिधि इस घोषणा की काफी तारीफ कर रहे हैं हम आपको बता दें कि विधायक सुरेश मोदी ने नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग को लेकर नीमकाथाना से जयपुर मुख्यमंत्री आवास तक पैदल यात्रा की थी जिसका उन्हें इनाम भी मिला है सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि नीमकाथाना को जिला बनाने के बाद सुरेश मोदी का कद भी बड़ा है तो उन्हें राजनीतिक रुप से लाभ भी मिलेगा इसे लेकर यहां से भाजपा की तरफ से चुनाव लड़ने वाले राजनेताओं में बेचैनी भी है विधायक सुरेश मोदी को जिला बनाने की घोषणा के बाद लोगों ने आंखों पर बिठा लिया और मुख्यमंत्री का आभार भी जताया है

वही झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी खेतड़ी इलाके के लोगों का विरोध है कि उनमें नीमकाथाना के नजदीकी गांव को नीमकाथाना में रखा जाए और जिन की दूरी झुंझुनू जिले से कम है उन्हें झुंझुनू जिले में रखा जाए यह मांग सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा उठा रहे हैं तो विरोध करने वाले भाजपा नेता भी यही मांग दोहरा रहे हैं.

कहीं खुशी कहीं जश्न तो कहीं विरोध प्रदर्शन इन्हीं के बीच नीमकाथाना को जिला बनाने के बाद कहीं जश्न खुशी का माहौल है तो कहीं विरोध के स्वर हैं जनप्रतिनिधि अपनी जमीन मजबूत करने के लिए अपने अपने तरीके से बयान देकर अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत बनाने की कवायद में है. अब आने वाला समय ही बताएगा कि विरोध की बात सुनी जाएगी या विरोध करने वालों की बातें खुशी और जश्न में खामोश हो जाएगी.

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