पिछले दिनों तूडी के अधिक भाव के चलते छोटे किसान और पशुपालकों को तूड़ी महंगी दरों पर खरीदनी पड़ी थी. छोटे किसान और पशुपालकों ने ये सोचकर तूडी कम खरीदी थी
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Suratgarh : तेज गर्मी और बिना पानी के खेतों में बिजान नहीं होने से हरे चारे की पैदावार नहीं के बराबर है और आए दिन पशुओं को हरा चारे के लिए संकट का सामना करना पड़ सकता है. जानकारी के मुताबिक जैतसर एमएसडी, बीजीडी, बीजीएम, एलसी, जेएसडी, जेकेएम,जीबी, एसएडी क्षेत्र के खेतों में किसानों ने ट्यूबवेल का पानी लगाकर पशुओं के लिए हरे चारे का बिजान किया था.
लेकिन भीषण गर्मी के बाद जहां ज्वार में अंकुरण कम हुआ, वहीं कुछ दिनों बाद ही हरे चारे की फसल सूखने लगी. पर्याप्त बारिश और नहर में पानी नहीं होने से कुछ खेतों में हरा चारा सूख गया है. किसान इंद्रजीत सिंह, कुलदीप सिंह, प्रगट सिंह, परमप्रीत सिंह, सोहनलाल, गोपीराम, सीताराम, मदन गोदारा, कुलदीप सिंह रंधावा, परमजीत सिंह, हरिराम मेघवाल, जसविंदर बराड, राकेश मंडा, देवेन्द्र शर्मा, ईश्वर चंद्र, मनीराम शर्मा, ओमप्रकाश, डूंगर राम और नरेंद्र शर्मा ने बताया कि ट्यूबवेल पर 5 घंटे विद्युत आपूर्ति होने के कारण अनेक किसानों के खेतों में अभी तक खरीफ फसलों का बीजान नहीं हो पाया है.
वहीं हरे चारे में ट्यूबवेल का पानी लगाने के लिए किसानों को समय नहीं मिल पाया. जिसके कारण खेतों में हरा चारा गर्मी के कारण झुलस गया. पिछले दिनों तूडी के अधिक भाव के चलते छोटे किसान और पशुपालकों को तूड़ी महंगी दरों पर खरीदनी पड़ी थी. छोटे किसान और पशुपालकों ने ये सोचकर तूडी कम खरीदी थी कि खेतों में हरे चारे का अधिक बिजान कर लिया जाएगा, ताकि पशुओं को 6 महीने हरा चारा खिलाकर तूडी की बचत कर ली जाएगी.
लेकिन हरे चारे के झुलसने से अब पशुपालकों के चेहरे पर चिंता की रेखाएं दिखाई दे रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालक पालतू पशुओं को गौशालाओं में छोड़ रहे हैं. वहीं श्रीकृष्ण गौशाला समिति अध्यक्ष राजेंद्र सेतिया ने बताया कि तूडी के दाम बढ़ने के बाद गौशालाओं में भी तूड़ी की पर्याप्तता नहीं है. इस बार गौशालाओं को भेंट की जानें वाली तूडी कम मात्रा में पहुंची है. आने वाले दिनों में अगर बारिश वक्त पर नहीं हुई तो हरे चारे के साथ खरीफ फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. जो बेजुबानों के लिये अच्छी खबर नहीं होगी.
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रिपोर्टर- कुलदीप गोयल