श्रीकरणपुर: हथेली पर रखी जान, 3 रेल की पटरियों को पार करके स्कूल जा रहे बच्चे
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श्रीकरणपुर: हथेली पर रखी जान, 3 रेल की पटरियों को पार करके स्कूल जा रहे बच्चे

Shrikaranpur News: श्रीगंगानगर के गजसिंहपुर में एक ऐसा इकलौता स्कूल है. इस स्कूल तक जाने तक के लिए कोई स्थाई रास्ता नहीं है. ये स्कूल सन् 1936 से चला आ रहा है.

श्रीकरणपुर: हथेली पर रखी जान, 3 रेल की पटरियों को पार करके स्कूल जा रहे बच्चे

Shri Ganga Nagar, Shrikaranpur News: भारत-पाकिस्तान सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित गजसिंहपुर में उच्च माध्यमिक स्कूल है. शहर के रेलवे लाइनों के उस पार है, लेकिन बच्चों को वहां तक पहुंचना खतरे से खाली नहीं है. बच्चे तीन-तीन रेल की पटरियों को पार कर अपनी जान हथेली पर रखकर स्कूल जा रहे हैं. इस स्कूल के गेट के आगे रेलवे स्टेशन है, इस रुट सेनांदेड़ साहब एक्सप्रेस वे कोचुविली सुपर फास्ट ट्रेनें गुजराती हैं. इन ट्रेनों का ठहराव गजसिंहपुर स्थानीय रेलवे स्टेशन पर नहीं है. 

इस वजह से यहां बड़ा हादसा हो आ सकता है और मौजूदा केंद्र सरकार और राज्य सरकार इस हादसे का बेसब्री से इंतजार कर रही है. यहां के स्कूली बच्चों और साथ में 100 गांव के लोगों को इस समस्या से जूझना पड़ रहा है. दरअसल यहां रेल ओवर ब्रिज की मांग करीब 10 वर्षों से की जा रही है. केंद्र सरकार और इनके नुमाइंदों की तरफ से हर बार इस मांग को अनसुनी की जा रही है. बता दें कि गजसिंहपुर का यह विद्यालय भारत पाक विभाजन से पहले से चल रहा है.

इलाके के लोगों का आरोप है कि सरकार कोई भी रही हो हर सरकार ने इस शहर की समस्याओं को अनदेखा किया है. लोगों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान सीमा लगने के कारण इस गजसिंहपुर शहर के साथ हमेशा ही पाकिस्तान जैसा व्यवहार किया जा रहा है. सरकार यहां सुविधा विस्तार के लिए घोषणा तो करती है, लेकिन वक्त निकलते ही सारी घोषणा झूठी और खोखली साबित हो जाती है. इस स्कूल में कुछ ऐसे बाशिंदे पढ़े हैं, जो आज इंटरनेशनल खिलाड़ी, डॉक्टर,अध्यापक बन कर निकले है. 

आज भी दुर्घटना का जोखिम उठा कर विद्यार्थी, स्टाफ व अन्य लोग इस स्कूल में पहुंचते है. इस विद्यालय में 200 से 250 बच्चे हैं. ऐसे में 9वीं और 12वीं को छोड़कर बाकी स्कूली बच्चों की अर्धवार्षिक परीक्षा चल रहे हैं, जिसे लेकर खतरा ज्यादा बना हुआ है. अपने बच्चों को खतरे में देख अभिभावक अपने बच्चों के एडमिशन इस स्कूल में करवाने से डरते हैं ताकि इन के घर का चिराग कहीं बुझ ना जाए. बता दें कि इसके अलावा इस स्कूल में मतदान विधानसभा दो बूथ है.  

चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन फिर भी सरकार और सरकार के नुमाइंदों ने आंखों पर काला चस्मा लगा रखा है. ऐसी स्तिथि में भी किसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. लंबे समय इस भी पोलिंग बूथ के स्थान बदलने की मांग की जाती रही है, लेकिन चुनाव आयोग पर भी इसका कोई असर नहीं. लगातार राजनीतिक उपेक्षा का शिकार गजसिंहपुर में एक कुछ ऐसी भी संस्थाएं है, जो रोजमर्रा के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इनमें जाने के लिए कोई स्थाई रास्ता भी नहीं है.

रेलवे स्टेशन के दूसरी ओर बने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जाने के लिए विद्यार्थियों को भी रेलवे स्टेशन के बीच से होकर रेलवे के तीन ट्रैक व पत्थरों के रास्ते से गुजरना पड़ता है. इतना ही नहीं इसी स्कूल के साथ पुलिस थाना भी है, जिसमे जाने के लिए भी लाइनों को पार करना पड़ता है या काफी दूरी पर स्तिथ रेलवे फाटक की ओर से आना पड़ता है. अक्सर फाटक बंद होने से पुलिस को भी परेशानी होती है.

Reporter- Kuldeep Goyal 

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