टोंक जिले के विश्व प्रसिद्ध डिग्गी कस्बे में इन दिनों भू-माफियाओं की नजरें सरकारी जमीनों पर टिकी हुई है. चंद अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर यह भू-माफिया सरकारी भवनों के निर्माण में बड़ा हेरफेर कर रहे हैं.
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Tonk: राजस्थान के टोंक जिले के विश्व प्रसिद्ध डिग्गी कस्बे में इन दिनों भू-माफियाओं की नजरें सरकारी जमीनों पर टिकी हुई है. चंद अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर यह भू-माफिया सरकारी भवनों के निर्माण में बड़ा हेरफेर कर रहे हैं.
यह ताजा मामला डिग्गी कस्बे में ग्राम पंचायत के नवनिर्मित भवन से जुड़ा हुआ है, जहां पर पूर्व नायब तहसीलदार द्वारा नियम और कायदों को ताक में रखकर जमीन आवंटित कर दी गई. ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों से लेकर गांव के ग्रामीण नवनिर्मित ग्राम पंचायत की आवंटित जमीन को बदलने के लिए उपखंड अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं, लेकिन हालात यह हैं भू-माफियाओं के आगे सब बौने साबित हो रहे हैं.
ग्रामीणों की माने तो जो ग्राम पंचायत का भवन बनाया जा रहा है, वह गांव से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. ग्राम पंचायत में इस भवन की जमीन को बदलने के लिए ग्राम पंचायत की कोरम में प्रस्ताव भी पास कर लिया और मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर जिला कलेक्टर उसकी प्रतिलिपि भी पहुंचा दी, लेकिन भू-माफियाओं के आगे सब नतमस्तक नजर आ रहे हैं.
पूरा माजरा कुछ इस तरह है कि जहां पर पंचायत का भवन बनाया जा रहा है. उससे चंद कदमों की दूरी पर एक कॉलोनाइजर ने कॉलोनी बनाई है और इस ग्राम पंचायत के बूते ही उसने सस्ते दामों में खरीदी जमीन को महंगे दामों में बेचने का सपना सजाया है. इसके चलते ना तो ग्राम पंचायत के प्रस्ताव पर कोई अधिकारी गौर कर रहा है ना ही ग्रामीणों की समस्या पर अब थक हार कर ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. ग्राम पंचायत के उपसरपंच से लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप लगाए हैं.
ग्रामीणों ने दो टूक कहां है कि जहां ग्राम पंचायत भवन बन रहा है. वह ग्रामीणों के किसी काम का नहीं है. वहां ना तो कोई बुजुर्ग महिला जा सकती है न ही बुजुर्ग व्यक्ति आमजन को जाने के लिए भी ग्राम पंचायत के लिए ऑटो का सहारा लेना पड़ेगा, जिससे उसे मोटी राशि खर्च करनी पड़ेगी.
वहीं, फिलहाल कस्बे में एक दो ही ऑटो संचालित है. अब सवाल यह उठता है कि जब ग्राम पंचायत के कोरम ने भवन के निर्माण के लिए प्रस्ताव पास कर लिया है और ग्रामीण भी ग्राम पंचायत के समर्थन में खड़े हैं तो फिर जिला प्रशासन और स्थानीय अधिकारी क्यों उस जमीन के भवन निर्माण अड़े हैं.
सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है ग्राम पंचायत का भवन जहां बनाया जा रहा है, उसमें भी ठेकेदार द्वारा घटिया क्वालिटी का निर्माण किया जा रहा है. इस घटिया क्वालिटी के निर्माण के विरोध में भी ग्रामीण कई बार जिला कलेक्टर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी को शिकायत दे चुके हैं. जिला परिषद के एक्शन और जांच कमेटी ने भी निर्माण कार्य में धांधली मान ली है, लेकिन जमीन से ऊपर 3 फीट तक हुए निर्माण को फिलहाल किसी ने तोड़ने की जहमत नहीं उठाई है.
ग्रामीणों का आरोप है कि भवन निर्माण में मिट्टी का उपयोग किया जा रहा है, जबकि सरकारी आदेश में बजरी का उपयोग किया जाना है. वहीं, ठेकेदार पर अधिकारियों की ऐसी मेहरबानी है कि कोई उसके खिलाफ कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठा रहा है. ऐसे में अब ग्रामीण आने वाले समय में विरोध-प्रदर्शन कर सकते हैं.
Reporter- Purshottam Joshi
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