राजस्थान न्यूज: सांप के दंश का पुजारी पर कोई असर नहीं होता. साथ ही राजस्थान में इस जगह पर लोगों ने सांप को गले में डालकर सेल्फी खींची.
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टोंक न्यूज: देशभर में तेजा दशमी पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया लेकिन आस्था और विज्ञान के बीच फिर से आस्था का चमत्कार आपकों आकर्षित कर देगा.
तेजा दशमी का त्योहार मनाया
टोंक जिले में सदियों से चली आ रही तेजा दशमी पर ऐतिहासिक मेले की परम्परा को आस्था के साथ बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान नाग देवता को पुजारी और भक्तों के साथ हठखेलियां करते हुए देखा गया. पुजारी ने नाग देवता को मेले में आने वाले भक्तों के गले में डाला और आशीर्वाद दिलवाया. भक्तों ने भी बढ़े उत्साह के साथ नाग देवता को गले में डालकर फोटो और सेल्फी खींची.
आपकों बता दें कि पूरे भारत में टोंक जिले के सुरेली में एक मात्र ऐसा तेजाजी का मेला लगता है जहां नाग देवता पुजारी को दंश मारते है. मंदिर का पुजारी खुद को नाग देवता से दंश करवा रहा है. एक बार नहीं कई बार. इतना ही नहीं आखिर में नाग देवता के फन को पुजारी ने अपने मुंह में दबा लिया.
सांप के काटने का इलाज
लोगों की मान्यता है कि किसी जहरीले सांप या कीट के खाने से यहां आकर झाड़ा लगवाने से उसका इलाज हो जाता है. मान्यता है कि तेजाजी के नाम से डोरा बांधने से उसका जहर शरीर में नहीं फैलता है. इस डोरे को आज के दिन मंदिर में काटा जाता है.
वहीं सरदारशहर के महंत प्रीतमदास दादू पंथी ताल भूमि सार्वजनिक ट्रस्ट की ओर से सोमवार रात्रि को जलझूलनी एकादशी पर दौलत उत्सव पर्व मनाया गया. लाल मैदान में हुए इस कार्यक्रम में शहर के विभिन्न मंदिरों से 51 पालकियों से लड्डू गोपाल लाये गए तथा सामूहिक पूजा अर्चना की गई.
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