Chittorgarh में सहकारी संस्था को कमजोर कर राजस्व को चूना लगाने का खेल, जानें मामला
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Chittorgarh में सहकारी संस्था को कमजोर कर राजस्व को चूना लगाने का खेल, जानें मामला

सरकार की दो महत्वाकांक्षी योजनाओं को धत्ता बताकर राजस्व को चूना लगाने वाली सरकारी मशीनरी से जुड़ा मामला है.

फाइल फोटो

Chittorgarh: सरकार की सरकारी राशन प्रणाली को लेकर अनियमितताएं और चोरी की घटनाएं सामने आना नई बात नहीं है, लेकिन क्या कहा जाए, जब पहले एक ब्लॉक में राशन चोरी करते हुए पकड़ी गई फर्म को पूरे जिले में राशन वितरण का ठेका दे दिया जाए.
वह भी ऊंची दरों पर और वह भी तब जब कम दर पर काम करने वाली सहकारी संस्था तैयार हो. सरकार की दो महत्वाकांक्षी योजनाओं को धत्ता बताकर राजस्व को चूना लगाने वाली सरकारी मशीनरी से जुड़ी ऐसी ही एक खबर है.

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प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सहकारिता मंत्री लगातार सहकारिता क्षेत्रों में नवाचार कर सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. वहीं, चित्तौड़गढ़ जिले में आर्थिक रूप से सहकारी संस्था को कमजोर कर राजस्व को चूना लगाने का मामला सामने आया है, जिसमें ऐसी फर्म को काम दे दिया गया, जो पहले ही राशन चोरी करते हुए पकड़ी गई.

क्या है पूरा मामला
दरअसल, गरीबों के पास राशन की दुकानों से घर तक राशन पहुंचाने के लिए दुकानों तक राशन पहुंचाने की वितरण प्रणाली का ठेका दिया जाता है. चित्तौड़गढ़ में जिले में राशन पहुंचाने का काम पहले क्रय विक्रय सहकारी समिति चित्तौड़गढ़ (Cooperative Society Chittorgarh) द्वारा किया जा रहा था, लेकिन चित्तौड़गढ़ में पदस्थापित हुए जिला रसद अधिकारी विनय शर्मा के पदस्थापन के बाद यह टेंडर प्रतापगढ़ जिले के मैसर्स शुभम इंटरप्राइजेज (M/s Shubham Enterprises) को दिया गया, और वह भी आधार दर से 27% अधिक की दर पर वर्क आर्डर जारी कर काम दे दिया गया.

राशन चोरी हुए पकड़ी गई थी फर्म
बड़ी बात यह है कि इस फर्म को साल 2016 में राशन चोरी करते हुए जिला पुलिस की टीम ने रंगे हाथों पकड़ा था. इस मामले में जिले के भदेसर थाने में प्रकरण संख्या 94/16 दर्ज करते हुए जांच के बाद न्यायालय में जांच में दोषी पाए गए प्रोपराइटर सहित कई लोगों के विरुद्ध पुलिस ने चालान भी प्रस्तुत किया.

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इस पूरे मामले में जहां सहकारी संस्था इस फर्म से एक ब्लॉक में काम करवा रही थी वही ऊंची दरों पर चोरी के मामले में शामिल होने के बाद इस फर्म को पूरे जिले का टेंडर दे दिया गया. जानकारी में यह भी सामने आया है कि इसी फर्म द्वारा प्रतापगढ़ जिले में भी 38% अधिक दर पर वितरण का काम किया जा रहा है. जबकि इसी काम को आधार दरों पर सहकारी संस्था करने के लिए तैयार है.

राजस्व को लगाया गया चूना
पूरे मामले में सरकार को दो तरफा चूना लगाकर निजी फर्म को जबरन फायदा पहुंचाया गया और अधिक दर पर काम देकर एक और राजस्व को चूना लगाया गया, वहीं, सहकारी संस्था को आर्थिक रूप से तोड़ने की कवायद भी की गई. इस मामले में जिले के रसद अधिकारी ऑनलाइन टेंडर (Online Tender) होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया.

जबकि हकीकत यह है कि खाद्य निगम जिला स्तरीय अधिकारी (Food Corporation District Level Officer) और जिला रसद अधिकारी के साथ लेखा अधिकारियों की टीम इस पूरी प्रक्रिया को जिला स्तर पर फाइनल करने के बाद अनुमोदन के लिए राज्य स्तर पर भेजती है.

अधिकारियों के खिलाफ कब होगी कार्रवाई
ऐसे में साफ है कि जहां एक राशन की दुकान लेने के लिए भी रसद विभाग चरित्र प्रमाण पत्र से लेकर कहीं दस्तावेज मांगता है. बीपीएल (BPL) में नाम जोड़ने के लिए भी दस्तावेजों की लंबी सूची दी जाती है. इसके बावजूद जिले की राशन वितरण प्रणाली (Ration Distribution System) को लेकर की गई गड़बड़ी महज एक लापरवाही नहीं हो कर जानबूझकर की गई एक अनियमितता है, जिस पर अब देखने वाली बात होगी कि ऐसे कवायद करने वाले अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है और सरकार को हुए नुकसान की किस प्रकार भरपाई की जाती है.

Reporter- DEEPAK VYAS

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