Udaipur: उदयपुर में आदिवासी संस्कृति के उठान की पहल आदि महोत्सव की शुरुआत
Advertisement
trendingNow1/india/rajasthan/rajasthan1370353

Udaipur: उदयपुर में आदिवासी संस्कृति के उठान की पहल आदि महोत्सव की शुरुआत

उदयपुर में विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आदिवासी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन में उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा भी पहुंचे और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का लुफ्त उठाया.

आदि महोत्सव

Udaipur: उदयपुर में विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आदिवासी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पहली बार आदि महोत्सव का आयोजन किया गया. महोत्सव का आगाज संभागीय आयुक्त राजेंद्र भट्ट ने दीप प्रज्वलन के साथ किया. इस मौके पर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहें. आदिवासी क्षेत्र कोटडा में आयोजित होने वाले आदि महोत्सव में 7 राज्यों के आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहें हैं. 2 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में आदिवासी कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे.

यह भी पढ़ें: Adhar Devi Temple: 51 शक्तिपीठों में शामिल है माउंट आबू का यह मंदिर, गुप्त रूप में होती है माता की पूजा

आदिवासी क्षेत्र के व्यंजनों से होंगे रूबरू

यहां आने वाले पर्यटक आदिवासी क्षेत्र के व्यंजनों का भी स्वाद चख सकेंगे. महोत्सव को लेकर देशी-विदेशी पर्यटकों में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है, यही कारण है कि बड़ी संख्या में पर्यटक भी महोत्सव का लुफ्त उठाने के लिए कोटडा पहुंचे. फूड कोर्ट में विभिन्न स्टॉल्स लगाई गई, जिसमें मेवाड़ी दाल बाटी, राब, मोटे अनाज की रोटी, मौसमी सब्जियां, छाछ, पकौडे, चाय, दूध आदि उपलब्ध रहेंगे. आदि महोत्सव में विशेष आकर्षण के रूप में जनजाति क्षेत्र में प्रचलित मक्की की पनियां, मक्की की रोटी, राब, दाल बाटी, खरड का मसाला आदि का फूड कोर्ट लगाया गया, जहां पर्यटक इन व्यंजनों का लुत्फ उठा रहें हैं. इस दौरान सीताफल उत्कृष्ट केंद्र चित्तौड़गढ़ द्वारा एवं विधिक सेवा प्राधिकरण भी एक प्रदर्शनी एवं स्टॉल लगाई गई.

सात राज्यों के कलाकार देंगे प्रस्तुति 

इस दौरान सात राज्यों के कलाकार महोत्सव पहुंचे. आदि महोत्सव में पश्चिम बंगाल से नटुवा नृत्य दल, उडि़सा से सिंगारी नृत्य दल, लद्दाख से जबरो एवं याक डांस दल, गुजरात से राठवा नृत्य दल, महाराष्ट्र से सौंगी मुखौवटे नृत्य का दल एवं मध्यप्रदेश से गुतुम्ब बाजा एवं सिला कर्मा नृत्य का दल यहाँ अपनी प्रस्तुति देंगे. राजस्थान के बारां से सहरिया स्वांग दल, कुशलगढ़ बांसवाड़ा से गैर नृत्य दल, नापला बांसवाड़ा से घूमरा नृत्य दल, ऋषभदेव से गवरी नृत्य दल, उपलागढ़ आबूरोड से वालर अथवा रायन नृत्य दल, अम्बासा एवं झाड़ोल से मावलिया नृत्य दल, उदयपुर से अमित गमेती के नेतृत्व में गवरी नृत्य दल आदि शामिल होंगे. कोटड़ा और आसपास के गांवों के स्थानीय कलाकारों को भी इस मौके पर अपनी कला प्रदर्शन का भरपूर मौका मिल रहा है. स्वांग गीत के लिए बंशी, लादूरा उर्भाया, भंवरलाल पारगी लंकू, लक्ष्मण, देहरी के दल प्रस्तुति देंगी. हरेला गीत के लिए दल्लाराम, वादा, मामेर, कालूराम खैर, सौन्द्रफ का दल प्रस्तुति देगा. ढोल एवं बांसुरी दल में श्रवण कुमार, भादिया देहरी का दल प्रस्तुति देगा. वालर नृत्य में भूरा राम कोचा का दल प्रस्तुति देगा. देशी भजन कार्यक्रम में बक्षीराम पारगी गुरा, कालूराम निचलाथला का दल प्रस्तुति देगा. इसी प्रकार से ढाक पर गीत में भूरजी एवं जोगीवड़ का दल एवं देशी गीत हेतु बाबूलाल गमार एवं उपली सुबरी का दल प्रस्तुति देगा.

पर्यटन विभाग की ओर से उदयपुर शहर से विभिन्न स्थानों से बसों की व्यवस्था भी की गई थी, जिससे कि पर्यटक आसानी से महोत्सव में शिरकत करने पहुंच पाए. महोत्सव के दौरान आदिवासी कलाकारों का उत्साहवर्धन करने के लिए उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा भी पहुंचे और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का लुफ्त उठाया.

Rajasthan CM : सचिन पायलट से नाराजगी का सवाल नहीं, राहुल गांधी के लिए हम जान दे सकते हैं - प्रताप सिंह खाचरियावस

यह भी पढे़ं- बांसवाड़ा में कुत्ते का आतंक, महिला को किया लहूलुहान

 

Trending news